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नील तिवारी, JABALPUR. मध्यप्रदेश में दूध बेचने के लिए अब लाइसेंस की जरूरत पड़ेगी। बिना लाइसेंस के दूध बेचने पर कार्रवाई की जाएगी। जबलपुर, इंदौर, भोपाल और ग्वालियर समेत पूरे मध्यप्रदेश में बिना लाइसेंस और NOC के धंधा कर रहे दूध विक्रेताओं के खिलाफ नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नजपाण्डे ने जनहित याचिका लगाई गई थी l जिसमें पिछली सुनवाई के निर्देश अनुसार आज सरकार ने शपथ पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया।
बिना लाइसेंस के दूध बेचने पर होगा एक्शन
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पिछली सुनवाई में आपत्ति दर्ज की गई थी कि सुनवाई के बाद शासन द्वारा अवैध विक्रेताओं पर लगातार कार्रवाई नहीं की जाती है। इसके बाद माननीय न्यायालय ने मध्यप्रदेश सरकार को शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए थे। आज शासन की ओर से शपथ पत्र पेश कर बताया गया कि पिछले 5 सालों में लगभग 2 हजार लोगों को अवैध दूध व्यापार के लिए दंडित किया जा चुका है और आगे भी ये कार्रवाई सतत चलती रहेगी।
8 सालों से चल रही कवायद, नहीं रुक पा रही मनमानी
जबलपुर सहित अन्य जिलों मे भी अवैध दूध वेंडरों को रोकने की कोशिश लगातार की जाती रही है। कुछ समय के बाद प्रशासन की ओर से ढुलमुल रवैया अपना लिया जाता है, जिसका फायदा बिना लायसेंस के दूध बेचने वालों को होता है l 8 साल पहले भी तत्कालीन जबलपुर कलेक्टर महेश चंद्र चौधरी ने डेयरी संचालकों के दूध के दाम 46 रुपए लीटर कर देने के बाद वेंडरों पर नकेल कसने की तैयारी की थी और कलेक्टर महेश चंद्र चौधरी ने निर्देश जारी किए थे कि आने वाले समय में जितने भी वेंडर हैं, उन्हें लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा।
आज भी हाल जस के तस
तत्कालीन कलेक्टर महेश चंद्र चौधरी के मुताबिक दूध विक्रेता बिना लाइसेंस के दूध नहीं बेच सकेंगे और सभी वेंडरों का पंजीयन भी कराना अनिवार्य होगा। तब ये भी कहा गया था कि आने वाले समय में जनता को राहत मिलेगी पर आज भी हाल जस के तस बने हुए हैं l ऐसे में न्यायालय के आदेश और जनहित याचिका से प्रदेश के उपभोक्ताओं को न्याय की आस बंध रही है l
अगस्त 2011 में केंद्र सरकार ने लागू किया था ये एक्ट
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के तहत 12 लाख से ज्यादा टर्नओवर वाले कारोबारियों को लाइसेंस और इससे कम वालों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जिन दुकानदारों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है, उनमें सभी प्रकार के कैटर्स, राशन दुकान, फुटकर खाद्य विक्रेता, वितरक, खाद्य आयातक, निर्यातक, सभी भोजनालय, होटल, रेस्टारेंट, कैंटीन, हलवाई, ट्रांसपोर्टर्स, खाद्य प्रोसेसिंग इकाइयां, किराना स्टोर, फल, सब्जी, दूध विक्रेता, चाय, नाश्ता की दुकानें, आईसक्रीम पार्लर, मीट की दुकान, चाट दुकान, पान गुमटी, वेयर हाउस, रेस्टारेंट, कैंटीन, होटल संचालन, आटा चक्की, मध्यान्ह भोजन पकाने वाले समूह, मसाला उद्योग, दूध विक्रेता आदि शामिल हैं।
दूध विक्रेता कैसे बनवाएं लाइसेंस
- FSSAI के पोर्टल पर जाएं।
- फूड लाइसेंस पोर्टल पर व्यक्ति और व्यवसाय का नाम भरें।
- ईमेल ID और मोबाइल नम्बर दें।
- व्यवसाय की प्रकृति का चयन करें।
- अपने पते सहित अन्य जानकारियां भरकर निर्धारित शुल्क जमा करें।
दिल्ली में भी दूध बेचने के लिए लाइसेंस अनिवार्य
दिल्ली में जो लोग डेयरी चला रहे हैं, उन्हें अब डेयरी प्रोडक्ट बेचने के लिए फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस लेना पड़ता है। डेयरी खोलने के लिए अब दिल्ली पल्यूशन कंट्रोल कमिटी (DPCC) से भी NOC लेनी होगी। इसके बिना किसी को भी नई डेयरी खोलने का इजाजत MCD नहीं देगी। डेयरी खोलने के लिए जो लाइसेंस पॉलिसी है, उसमें संशोधन किया गया है।