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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर जिला प्रशासन और नगर निगम को 200 करोड़ का झटका लगा है। तुकोगंज क्षेत्र में होटल लैंटर्न के नाम से पहचान रखने वाली जमीन पर साल 2020 में जिला प्रशासन ने बिल्डर को बेदखली का नोटिस दिया था और निगम ने यहां बन रहे कमर्शियल कॉम्पलेक्स की मंजूरी यह कहकर रद्द कर दी थी यह जमीन तो निगम की है। इस जमीन को लेकर एमएसडी रियल एस्टेट तर्फे विकास चौधरी ने याचिका लगाई थी और इसमें नगर निगम, प्रशासन की ओर से आदेश जारी करने वाले संबंधित एसडीओ और टीएंडसीपी को पार्टी बनाया था। एमएसडी में चौधरी के साथ ही बिल्डर शरद डोसी और अरविंद मंडलोई भी डायरेक्टर पद पर है। आदेश हाईकोर्ट इंदौर की डबल बेंच ने दिया है। यह जमीन करीब एक लाख वर्गफीट है, जिसकी बाजार में आज कीमत 200 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
74 साल बाद निगम को होश आया जमीन उसकी
इस मामले में मुख्य बात याचिकाकर्ता की यह रही कि यह जमीन बकायदा होलकर स्टेट द्वारा कैप्टन एचसी डांड को गिफ्ट डीड दी गई, जमीन का नामांतरण और रिकार्ड सब कुछ उनके नाम पर हुआ। निगम से लेकर विविध एजेंसियों ने समय-समय पर विविध मंजूरियां जारी की और यहां लैंटर्न होटल भी बना और स्टारलिट टॉकीज भी बनी। इसके बाद साल 2020 में नोटिस जारी किया जाता है कि बकाया 8.8 करोड़ रुपए की राशि तत्काल भरी जाए और फिर कहा जाता है कि इस जमीन पर निगम का स्वामित्व है, इसलिए यहां से बेदखली की जाती है। निगम भी जारी मंजूरियों को रद्द कर देता है।
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नगर निगम दस्तावेज पेश नहीं कर पाया
नगर निगम हाई कोर्ट में अपने स्वामित्व के संबंध में कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि बिना दस्तावेजों के नगर निगम ने सारी कार्रवाई की। अपर कलेक्टर की द्वारा कलेक्टर ने जांच कराई, जबकि यह अधिकारी नहीं थे। निगम ने इसे लेकर कंपाउंडिंग राशि भी भरवाई, भवन मंजूरी भी जारी की है, पहले भी कई तरह की मंजूरियां जारी की है। ऐसे में 74 साल बाद अचानक कैसे कह सकता है कि जमीन उसकी है। उधर शासकीय अधिवक्ता द्वारा बात रखी गई कि कलेक्टर को अचल संपत्ति जो सार्वजनिक संपत्ति है उसे लेकर कार्रवाई के अधिकार मौजूद है। इसी के तहत कार्रवाई की गई है। मीसल बंदोबस्त का भी हवाला दिया गया कि जमीन निगम के दायरे में आती है।