नोटा का घोटा ऐसा घूमा कि बीजेपी की सरकार बनते-बनते रह गई, दिग्गजों को घर बैठना पड़ गया, प्रदेश में पिछले दो चुनाव में 18 प्रत्याशियों को नोटा के कारण मिली हार

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नोटा का घोटा ऐसा घूमा कि बीजेपी की सरकार बनते-बनते रह गई, दिग्गजों को घर बैठना पड़ गया, प्रदेश में पिछले दो चुनाव में 18 प्रत्याशियों को नोटा के कारण मिली हार

मनीष गोधा, JAIPUR. “नन ऑफ द अबव“ यानी नोटा। इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में मतदाता को मिला ऐसा बटन है जिसने पिछले चुनाव में बीजेपी का सरकार बनाने का सपना तोड़ दिया, वहीं पिछले दो चुनाव में नोट के चलते 18 प्रत्याशी ऐसे रहे, जिनकी जीत का अंतर नोटा को मिले वोटों से कम था, यानी जो वोट नोटा को मिले, वे इन्हें मिल जाते तो ये विधानसभा में पहुंच जाते। जिन नेताओं पर नोटा का घोटा घूमा उनमें बीजेपी के दिग्गज नेता रहे देवीसिंह भाटी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, कांग्रेस की मीडिया चेयरपर्सन रहीं अर्चना शर्मा, मौजूदा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा और वरिष्ठ नेता हरिमोहन शर्मा जैसे दिग्गज भी शामिल हैं।

चुनाव में अब नोटा अहम भूमिका

विधानसभा चुनाव में अब नोटा अहम भूमिका निभाने लगा है। कई सीटों पर मतदाता इसका काफी प्रयोग करते नजर आते हैं। राजस्थान में 2013 के चुनाव में नोटा को 5.89 लाख वोट मिले थे, जबकि 2018 में 4.67 लाख वोट नोटा को गए थे। अहम बात यह थी कि पिछले चुनाव में नोटा को कुल 1.31 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस और बीजेपी के बीच जीत का अंतर सिर्फ 0.5 प्रतिशत था। इस चुनाव में कांग्रेस को 39.30 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि, बीजेपी को 38.77 प्रतिशत वोट मिले थे। यानी नोटा को मिले वोट बीजेपी को मिल जाते तो बीजेपी यहां सरकार बनाने में कामयाब हो जाती।

पिछले दो चुनावों से नोटा को 2-3 हजार वोट मिल रहे

राजस्थान में पिछले दो चुनावों में नोटा को औसतन दो से तीन हजार वोट मिल रहे हैं। कुछ सीटों पर यह आंकड़ा ज्यादा भी है, जैसे कि पिछले चुनाव में कुशलगढ़ सीट पर 11 हजार से ज्यादा वोट नोटा को मिले। आरक्षित सीटों पर नोटा को मिले वोटों का प्रतिशत ज्यादा है और जानकारों का कहना है कि इसका बड़ा कारण यह है कि इन सीटों पर सामान्य श्रेणी के मतदाता आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को वोट देने के बजाए नोटा को वोट डाल देते हैं।

इन 18 प्रत्याशियों के सपने भी तोडे़ नोटा ने

पिछले दो चुनाव में नोटा के कारण 18 प्रत्याशियों का विधायक बनने का सपना अधूरा रह गया। इनमें कई दिग्गज नेता भी शामिल थे। नोटा को मिले वोट इनकी जीत के अंतर से ज्यादा थे, यानी नोटा को मिले वोट इन्हें मिल जाते तो ये विधायक बन सकते थे।

2018 का चुनाव

इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के 11 प्रत्याशियों को नोटा के कारण विधायक बनने से वंचित रहना पड़ा। कांग्रेस के सात उम्मीदवार नोटा के कारण हारे। यदि यह जीत जाते तो पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिल जाता और उसे बसपा और निर्दलीयों के साथ की जरूरत नहीं पड़ती।

  • पीलीबंगा - कांग्रेस के विनोद गोठवाल 278 वोटों से हारे, जबकि नोटा को 2441 वोट मिले
  • खेतड़ी - बीजेपी के धर्मपाल गुर्जर 957 वोटों से हारे जबकि नोटा को 1373 वोट मिले
  • फतेहपुर- बीजेपी की सुनीता जाखड़ 860 वोटों से हारी जबकि नोटा को 1165 वोट मिले
  • चैमूं - कांग्रेस के भगवान सहाय सैनी 1288 वोटों से हारे, जबकि नोटा को 1859 वोट मिले।
  • मालवीय नगर - यहां से कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अर्चना शर्मा 1704 वोटों से हारी, जबकि नोटा को 2371 वोट मिले।
  • मकराना - कांग्रेस के जाकिर हुसैन 1488 वोटों से हारे, जबकि नोटा को 1550 वोट मिले थे।
  • पोकरण - इस सीट पर बीजेपी के महंत प्रताप पुरी 872 वोटों से हारे, जबकि नोट को 1122 वोट मिले।
  • डूंगरपुर - इस सीट पर कांग्रेस के लाल शंकर घटिया 3845 वोटों से हारे, जबकि नोट को 4720 वोट मिले
  • बेगूं - यहां से बीजेपी के सुरेश धाकड़ 1661 वोटों से हारे, जबकि नोट को 3165 वोट मिले।
  • आसींद - यहां से कांग्रेस के मनीष मेवाड़ा सिर्फ 154 वोटों से हारे जबकि नोट को 2943 वोट मिले।
  • बूंदी - यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरिमोहन शर्मा 713 वोटों से हारे, जबकि नोट को 1892 वोट मिले।

2013 का चुनाव

इस चुनाव में कल छह प्रत्याशियों को नोटा के कारण हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों और वोटों का अंतर बहुत ज्यादा था। कांग्रेस सिर्फ 21 सीटों पर सिमट गई थी जबकि भारतीय जनता पार्टी को 163 सिम मिली थीं।

  • कोलायत- यहां से बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी 1134 वोटों से हारे, जबकि नोटा को 2951 वोट मिले
  • आमेर- बीजेपी के सतीश पूनिया 329 वोटों से हारे, जबकि नोटा को 2504 वोट मिले। बाद में पूनिया बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने।
  • लालसोट- यहां से कांग्रेस के परसादीलाल मीणा सिर्फ 491 वोटों से हारे, जबकि नोटा को 3963 वोट मिले। परसादीलाल मीणा अभी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री हैं।
  • मारवाड़ जंक्शन- बीजेपी के केसाराम 251 वोटों से हर, जबकि नोट को 4496 वोट मिले।
  • सागवाड़ा - इस सीट पर कांग्रेस के सुरेंद्र बामणिया 640 वोटों से हारे, जबकि नोट को 5537 वोट मिले।
  • कुशलगढ़ - इस सीट पर कांग्रेस के हूरतिंग खड़िया 708 वोटों से हारे, जबकि नोट को 4121 वोट मिले।


एक सीट ऐसी भी

छांतारामगढ़ - यहां से बीजेपी के हरीश कुमावत दोनों बार नोटा के कारण ही हारे। 2013 में वे 575 वोटों से हारे, जबकि नोटा को 1999 वोट मिले, वहीं 2018 में वे 920 वोटों से हारे, जबकि नोटा को 1188 वोट मिले।

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