NEW DELHI. देश में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया 26 जुलाई को शुरू हो गई। अब तक की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी के साथ यह एक नए युग की ओर बड़ा कदम माना जा रहा है। नीलामी प्रक्रिया में तीन बड़े मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स के अलावा अडाणी समूह की अडाणी डेटा नेटवर्क्स भी हिस्सा ले रही है। अडाणी ग्रुप के अलावा रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया भी स्पेक्ट्रम्स की बोली लगाएंगे। इस नीलामी में कुल 72 गीगाहर्ट्ज एयरवेव की बोली लगेगी।
1. किन स्पेक्ट्रम की नीलामी हो रही है?
नीलामी में 72,097.85 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम की 20 साल के लिए बोली लगेगी। जिन स्पेक्ट्रम फ्रीक्वेंसी के लिए नीलामी हो रही है, उनमें 600 MHz, 700 MHz, 800 MHz, 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz, 2300 MHz, 3300 MHz और 26 गीगाहर्ट्ज (GHz) के बैंड शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ज्यादातर टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर मध्य और उच्च बैंड वाले स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाएंगे, ताकि देश में 4G से करीब 10 गुना ज्यादा स्पीड और क्षमता वाली सेवाओं को उतारा जा सके।
बोली लगाने के लिए कंपनियों ने दूरसंचार विभाग में अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (EMDs) जमा कर दिया है। रिलायंस जियो ने 14,000 करोड़, एयरटेल ने 5,500 करोड़, वोडाफोन-आइडिया ने 2,200 करोड़ और अदाणी समूह ने 100 करोड़ की EMDs जमा की है।
2. हर कंपनी की EMD की जमा राशि अलग-अलग, इसका बोली पर क्या असर?
EMD रकम इस ओर इशारा करती है कि कौन सी कंपनी कितने ज्यादा स्पेक्ट्रम खरीद सकती है। इसके साथ ही ये रकम कंपनी की रणनीति और स्पेक्ट्रम खरीदने की क्षमता को भी दर्शाती है। EMD के आधार पर आवेदक को एलिजिबिलिटी पॉइंट्स दिए जाते हैं। इसी के आधार पर वह चुने हुए स्पेक्ट्रम बैंड में एक तय मात्रा में एयरवेव खरीदने की कोशिश कर सकता है। EMD की राशि के आधार पर एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि अडाणी समूह करीब 700 करोड़ रुपए के स्पेक्ट्रम खरीद सकता है।
3. अलग-अलग कंपनियों के EMD में इतना अंतर क्यों?
तीनों दूरसंचार कंपनियों के EMD में काफी अंतर है। जियो की EMD रकम अन्य की तुलना में काफी ज्यादा है। सबसे कम EMD राशि अडाणी ग्रुप की है। अडाणी ग्रुप की ओर से कहा गया है कि वह निजी 5G नेटवर्क बनाने के लिए नीलामी में हिस्सा ले रहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जियो 1.3 लाख करोड़ रुपए के स्पेक्ट्रम खरीद सकती है। हो सकता है कि जियो 700 मेगाहर्ट्स बैंड भी खरीदे, जो कस्टमर के लिए काफी मुफीद है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि एयरटेल 3.5 गीगाहर्ट्ज और 25 गीगाहर्ट्स बैंड के स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगा सकती है। कहा जा रहा है कि एयरटेल दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, गुजरात, तमिलनाडु जैसे सर्किल से 5G सेवाएं देने पर विचार कर रही है। वहीं, वोडाफोन आइडिया केवल न्यूनतम आवश्यकता के लिए स्पेक्ट्रम की बोली लगाने में सक्षम होगी।
4. 5G के आने से क्या फर्क पड़ेगा?
4G के मुकाबले 5G में यूजर को ज्यादा तकनीकी सहूलियतें मिलेंगी। 4G में इंटरनेट की डाउनलोड स्पीड 150 मेगाबाइट्स प्रति सेकंड तक सीमित है। 5G में यह 10 जीबी प्रति सेकंड तक जा सकती हैं। यूजर्स सिर्फ कुछ सेकंड्स में ही भारी से भारी फाइल डाउनलोड कर सकेंगे। 5G में अपलोड स्पीड भी एक जीबी प्रति सेकंड तक होगी, जो 4G नेटवर्क में सिर्फ 50 MBPS तक ही है। दूसरी तरफ 4G के मुकाबले 5G नेटवर्क का दायरा ज्यादा होने की वजह से यह बिना स्पीड कम हुए भी कई और डिवाइसेज के साथ जुड़ सकेगा।
5. क्या इसके आने के बाद डेटा प्लान महंगे हो जाएंगे?
यूजर्स के लिए सबसे बड़ा सवाल है 5G इंटरनेट के लिए चुकाई जाने वाली कीमत का है। चूंकि भारत में अब तक स्पेक्ट्रम नीलामी नहीं हुई है, ऐसे में टेलीकॉम कंपनियों ने इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि, नई तकनीक को लाने में हुए खर्च की वजह से 5G सेवा की कीमतें 4G से ज्यादा रहने का अनुमान है।
जिन देशों में 5G सेवाएं लॉन्च हो चुकी हैं, अगर उनमें 4G और 5G की कीमतों का अंतर देखा जाए तो सामने आता है कि अमेरिका में 4G अनलिमिटेड सेवाओं के लिए जहां 68 डॉलर (करीब पांच हजार रुपये) तक खर्च करने पड़ते थे, वहीं 5G में यह अंतर बढ़कर 89 डॉलर (करीब 6500 रुपये) तक पहुंच चुका है। अलग-अलग प्लान्स के तहत ये फर्क अलग-अलग होता है। 4G के मुकाबले 5G प्लान 10 से 30 फीसदी तक महंगे हैं।
हालांकि, भारत में यह फर्क काफी कम रहने की उम्मीद है, क्योंकि बीते वर्षों में भारत में डेटा की कीमत दुनिया में सबसे कम रही है। इसी साल मार्च में एयरटेल के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) रणदीप सेखोन ने कहा था कि 5G के प्लान्स 4G के ही आसपास रखे जाएंगे। मोबाइल कंपनी नोकिया इंडिया के सीटीओ रणदीप रैना भी एक इंटरव्यू में कह चुके हैं कि भारत में जल्दी 5G के रोलआउट के लिए प्लान्स की कीमतों को कम ही रखा जाएगा।
6. आम उपभोक्ता को कब तक 5G सेवाएं मिलेंगी?
केंद्र सरकार इस साल के अंत तक या फिर अगले साल की शुरुआत में 5G सेवाओं को लॉन्च किया जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, टेस्टिंग के लिए 12 शहरों में 5G सेवाएं सितंबर से ही शुरू हो जाएंगी। हालांकि, पूरे भारत में इसके पहुंचने में 2023 की पहली तिमाही तक का समय लग सकता है।
7. 5G स्पीड के अलावा और कौन सी सुविधाएं मिलेंगी?
5G की लॉन्चिंग के बाद हमारे जीवन, कारोबार और काम करने के तरीके-सब बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल, 5G की उन्नत तकनीक और उच्च क्षमता सभी चीजों को एक दूसरे से जोड़ देगी- घर, बगैर ड्राइवर वाली कार, स्मार्ट ऑफिस, स्मार्ट सिटी और उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। कई अर्थों में, तकनीक से जिन बेहतर और असंभव बदलावों के बारे में हम अक्सर सोचते हैं, 5G नेटवर्क से वे सब संभव होंगी। संभावना जताई जा रही है कि 5G तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में-खासकर अस्पतालों, हवाई अड्डों और डेटा संग्रहण में बड़ी भूमिका निभाएगी।