नई दिल्ली. देश में पेट्रोल-डीजल के ऊंचे दाम अब हर आम और खास की जेब पर भारी पड़ने लगे हैं। इसी के चलते इन दिनों ऑटोमोबाइल मार्केट (Automobile Market) में पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों के मुकाबले बिजली से चलने वाली गाड़ियों यानि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric Vehicle) पर फोकस किया जा रहा है। लेकिन अभी इन गाड़ियों की कीमत ज्यादा होने की वजह से कम ही लोग खरीद पा रहे हैं। हालांकि, केंद्र सरकार इनकी लागत कम करने पर फोकस कर रही है। उसका प्रयास है कि एक से दो साल में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के दाम पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) गाड़ियों के बराबर आ जाएं। आइए आपको बताते हैं कि ऐसा कैसे संभव होगा।
दो साल में सस्ते हो जाएंगे EV
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) का मानना है कि अब भारत EV क्रांति से महज कुछ कदम दूर है। आने वाले एक-दो साल बाद देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर में तेजी से हालात बदलेंगे। निर्माण लागत कम होने से देश में बिजली से चलने वाली गाड़ियों की कीमत पेट्रोल- डीजल से चलने वाली गाड़ियों के बराबर ही होगी।
कैसे सस्ती होंगी EV
अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल में उपयोग की जाने वाली लीथियम बैटरी (Lithium battery) महंगी होने की वजह से इन गाड़ियों की निर्माण लागत ज्यादा है। लेकिन अब सरकार बैटरीज के दाम कम करने के प्रयासों को प्रोत्हासित करने में जुट गई है। देश में करीब 200 स्टार्टअप (Electric Vehicle Startup) कंपनियां बैटरी टेक्नोलॉजी को सस्ता बनाने के लिए लगातार रिसर्च और इनोवेशन कर रही हैं। इसमें सफलता मिलते ही ईवी व्हीकल्स के मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट में उल्लेखनीय कमी आएगी।
भारत बनेगा EV का मैन्युफैक्चरिंग सेंटर
सरकार का लक्ष्य है कि देश में 2030 तक 30% प्राइवेट कार, 70% तक कॉमर्शियल कार और 40% पैसेंजर बसें बिजली से चलने वाली हो जाएं। इसके लिए देश में सभी प्रमुख सड़कों पर ईवी चार्जिंग (EV Charging) की सुविधा उपलब्ध कराने का काम प्राथमिकता से किया जा रहा है। दरअसल केंद्र सरकार भारत को दुनिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल का बड़ा मैन्युफैक्चरिंग (Electric Vehicle manufacturing) सेंटर बनाने की दिशा में काम कर रही है।
इको फ्रेंडली होती हैं EV
यहां हम आपको यह भी बता दें की इलेक्ट्रिक व्हीकल ना केवल टेक्नोलॉजी फ्रेंडली होती हैं बल्कि इनसे प्रदूषण को भो नुक्सान ना के बराबर होता है। चूंकि इन गाड़ियों में पट्रोल या डीजल जैसे ईंधनों का इस्तेमाल नहीं होता है। ऐसे में यह गाड़ियां इको फ्रेंडली भी कहलाती हैं।
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