Bhopal.
एडवांसड मेटेरियलस एंड प्रोसेस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी एम्प्री भोपाल ने एक एल्यूमीनियम कम्पोजिट तैयार किया है, जो आने वाले समय में कई सामानों में कास्ट आयरन यानी लोहे के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल हो सकता है। इसकी खाशियत यह है कि आयरन की अपेक्षा वजन में 75 फीसदी और रेट में 10 प्रतिशत कम है। इसे ऐसे समझे कि आयरन मटेरियम से बनी किसी प्लेट का वजन 50 किलो है जिसका रेट 43 रूपए प्रति किलो के हिसाब से 2150 रूपए है, वहीं इसी प्लेट को यदि एल्यूमीनियम कम्पोजिट से तैयार करते हैं तो इसका वजन 25 किलो होगा और दाम 1850 से 1935 रूपए के बीच होंगे। हल्का होने से इसे आसानी से कहीं भी लाया ले जाया जा सकता है।
ऐसे तैयार होता है एल्यूमीनियम कम्पोजिट
एम्प्री के वैज्ञानिकों ने बताया कि एल्यूमीनियम कम्पोजिट तैयार करने के लिए एल्यूमीनियम, सिलीकॉन एलॉए को मिक्स कर 1 हजार टेम्परेचर पर सिलीकॉन कर्बाइन पार्टीकल को गर्म कर धीरे—धीरे स्टार कास्टिंग मशीन के माध्यम से मिलाया जाता है। अगर मिश्रण ठीक से नहीं होता है तो इसे अल्ट्रासोनिक मशीन में आर्गन गैस की सहायता से मिक्स किया जाता है। इस मिश्रण से जो मटेरियम तैयार होता है वह एल्यूमीनियम कम्पोजिट होता है।
एल्यूमीनियम कम्पोजिट से बनेंगे चेंबर
एम्प्री ने हाल ही में इस टेक्नोलॉजी को वीएस इंटरप्राइजेज को ट्रांसफर की है। वही इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर निर्माण करेगी। एल्यूमीनियम कम्पोजिट से बने मेन होल कवर यानी एक तरह का सीवेज चेंबर जल्द ही बाजार में आ सकता है। इसका उपयोग आने वाले दिनों में बिल्डर्स, रेलवे, नगर निगम में देखा जा सकता है। फिलहाल कंपनी ने इसे इंदौर की एक लेब से टेस्ट करवा रही है। एल्यूमीनियम फोम की मदद से एम्प्री ने एक दरवाजा तैयार किया है जिसमें आग नहीं लगती, वहीं एल्यूमीनियम फोम की मदद से ही एक क्लाइमेटाइजर तैयार किया गया है जिसके अंदर सामग्री रखने से वह ठंडी रहती है। इसके लिए बिजली की भी जरूरत नहीं है। इसकी लागत 4 से 5 हजार रूपए है। बाहर का तापमान यदि 45 डिग्री है तो जो क्लाइमेटाइजर के अंदर का तापमान 20 से 25 डिग्री रहेगा। एम्प्री के डायरेक्टर अविनाश श्रीवास्तव ने बताया कि अभी तक जो मेन होल कवर बनते हैं वह कास्ट आयरन के बनते हैं। एल्यूमीनियम कम्पोजिट से बने मेन होल कवर की प्रॉपर्टी अच्छी है, यह एनर्जी सेविंग भी है और इको फ्रेंडली भी। इंस्टालेशन इजी और कास्ट अफेक्टिव भी होगा।
आधे समय में फुल चार्ज हो जाएगी बैटरी
मैनिट के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में मेपकॉस्ट के सहयोग से बेटरी को आधे समय में ही फुल चार्ज करने की टेक्नोलॉजी पर काम हो रहा है। बढ़ते पेट्रोल के दाम से मार्केट में इेलेक्ट्रिकल व्हीकल की डिमांड बढ़ी है, पर इनकी बैटरी चार्ज होने में घंटो समय लग रहा है। वहीं बैटरी ब्लास्ट होने से व्हीकल के जलने की खबर भी इन दिनो सुर्खियों में है। ऐसे में मैनिट में इस टेक्नोलॉजी पर चल रहा काम बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। मैनिट इलेक्टिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर संजीव सिंह ने बताया कि चार्जिंग टाइम को रिड्यूज करना और बेटरी ब्लास्ट न हो इन दो बिंदुओं पर काम किया जा रहा है। इसके लिए पुराने चार्जर ज्यादा करेंट दे सके इस पर काम कर रहे हैं, साथ ही बैटरी में कुलिंग प्रोवाइड कर रहे हैं ताकि वह गर्म न हो। 6 महीने के अंदर इस पर पूरा काम हो जाएगा।