IAS अनूप कुमार सिंह ने बीमार मां की सेवा के लिए ठुकरा दी थी कलेक्टरी

मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के कलेक्टर हैं अनूप कुमार सिंह। बीई (मैकेनिकल) तक शिक्षित अनूप कुमार का अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन 2013 में हुआ। उन्हें मध्यप्रदेश कैडर आवंटित हुआ... 

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IAS Anup Kumar Singh Photograph: (thesootr)

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मांगने पर जहां पूरी हर मन्नत होती है,
मां के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है... 

ये कहानी है, उन अधिकारी की, जिन्होंने बीमार मां की सेवा के लिए कलेक्टरी को ठुकरा दिया, यह मानकर कि मां के पैरों में ही जन्नत होती है। यह बात अलग है कि ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था और वो अपनी बीमार मां को नहीं बचा सके। लेकिन दिल में इतना सुकून तो रहा कि सारे प्रलोभन ठुकराकर वो अंतिम सांस तक मां की सेवा कर पाए। 

इन युवा आईएएस अधिकारी का नाम है अनूप कुमार सिंह। वे अभी मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के कलेक्टर हैं। बीई (मैकेनिकल) तक शिक्षित अनूप कुमार सिंह का अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन वर्ष 2013 में हुआ। उन्हें मध्यप्रदेश कैडर आवंटित हुआ। शुरुआती पोस्टिंग में वो असिस्टेंट कलेक्टर दतिया और तीन जिलों सतना, अनूपपुर और भिंड जिला पंचायत में सीईओ रहे। वो ग्वालियर में अपर आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त व संयुक्त परिवहन आयुक्त भी रहे। इसके बाद उन्हें जबलपुर में एडिशनल कलेक्टर बनाया गया। फिर आया वो क्षण, जिसका हर आईएएस अफसर को इंतजार होता है।

जी, हां प्रदेश सरकार ने उन्हें दमोह कलेक्टर बनाने का आदेश जारी किया। यह अनूप कुमार सिंह के कॅरियर की पहली कलेक्टरी थी, लेकिन अनूप कुमार अलग ही मिट्टी के बने हैं। उन्होंने कलेक्टरी का दायित्व स्वीकार करने के बजाए मां की सेवा को अहमियत दी। सरकार ने भी उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए कलेक्टरी का आदेश परिवर्तित कर दिया।

35 दिन की मां की सेवा  

अनूप कुमार सिंह मूलत: उत्तरप्रदेश के कानपुर शहर के रहने वाले हैं। इटावा में भी घर है और बीमार होने के समय मां इटावा में ही थीं। उनके परिवार में पिता और तीन बहनें हैं। एक बहन की शादी हो चुकी है। फरवरी 2019 में अनूप कुमार सिंह ग्वालियर में पदस्थ हुए और बतौर अपर कलेक्टर 14 जून 2020 तक रहे। इसके बाद उन्‍हें जबलपुर स्‍थानातंरित कर दिया गया। 13 अप्रैल 2021 को उनकी मां रामदेवी उम्र 67 साल की तबीयत बिगड़ी तो ग्वालियर नजदीक और बड़ा शहर होने के कारण यहां निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। भर्ती के समय उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई। फिर बाद में पॉजिटिव हो गई। वे वेंटिलेटर पर रहीं। डॉक्टरों ने पूरा प्रयास किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। रामदेवी का अंतिम संस्कार कानपुर में हुआ। आईएएस अनूप कुमार सिंह ने 35 दिनों तक मां की सेवा की। हालां‍कि उसके बाद सरकार ने बतौर कलेक्टर उनकी पदस्थापना खंडवा में की। 

जिले में संवेदनशीलता की चर्चा 

कलेक्टर के रूप में अनूप कुमार की संवेदनशीलता चर्चा में रही है। एक बार जिले के रिछफल गांव के किसान मौजीलाल फटेहाल कपड़ों में कलेक्टर के पास अपनी शिकायत दर्ज कराने आए। अनूप कुमार सिंह ने उन्हें इस हाल में देखकर किसान को ठीक से कपड़े पहनवाए। खर्च के लिए पांच हजार रुपए दिए और बाद में उसकी समस्या को सुना। साथ ही अधिकारियों को किसान की समस्या के निराकरण के आदेश दिए।

अनूप कुमार सिंह नियम कायदों का सख्ती से पालन करवाने के लिए भी जाने जाते है। जब उन्हें सूचना मिली कि खंडवा के सर्किट हाउस के कमरों पर जिला पंचायत अध्यक्ष के कारिंदो ने कब्जा कर रखा है। जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष को अलग से बंगला कलेक्टर ने अलाॅट किया हुआ था, लेकिन अध्यक्ष की जगह इस बंगले में उनके पति पति मुकेश तनवे और उनके सहयोगी नानू राम मांडले रहते थे। वे यहां सुबह, दोपहर और शाम दरबार लगाते थे। कलेक्टर ने कार्रवाई करते हुए सभी कमरे खाली करा लिए। उन्होंने किसी राजनीतिक दबाव की चिंता नहीं की। 

झाड़ू लगाकर दिया स्वच्छता का संदेश 

इसी तरह लोगों को सफाई का महत्व समझाने के लिए अनूप कुमार सिंह ने ओंकारेश्वर में ब्रह्मपुरी घाट की सफाई के समय खुद झाड़ू उठाई और सफाई में लग गए। इसके बाद बाकी लोगों ने भी बेहिचक घाट की सफाई की। संवेदनशीलता अनूप कुमार सिंह के हर एक्शन में दिखती है। खंडवा में जनसुनवाई के दौरान एक नव विवाहित, सुशिक्षित और आंखों से दिव्यांग दंपती ने जब कलेक्टर से रोजगार दिलाने की गुहार की तो अनूप कुमार सिंह ने तुरंत ही वहां मौजूद सामााजिक न्याय विभाग के अफसर को उस दंपती के रोजगार के लिए जरूरी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। 

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