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झाबुआ की कलेक्टर नेहा मीना प्रशासन की रचनात्मक और जनहितैषी शैली के आयाम गढ़ रही हैं। उन्होंने झाबुआ जिले में कई ऐसे अभिनव प्रोजेक्ट शुरू किए हैं, जिनकी गूंज भोपाल से लेकर दिल्ली तक है। उनकी पहल पर शुरू किए गए 'वेस्ट टू वेल्थ' प्रोजेक्ट की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में कर चुके हैं।
आईएएस नेहा मीना ने कुपोषण से जूझ रहे आदिवासी बहुल झाबुआ को इस दंश से निजात दिलाने के लिए प्रोजेक्ट कुपोषण मुक्त झाबुआ के तहत 'मोटी आई' नामक अभिनव योजना शुरू की है। इसके अलावा सर्दी के मौसम में गरीबों को कंबल बांटने के लिए प्रारंभ 'नेकी की गाड़ी' योजना से भी कई गरीबों को राहत मिली है।
कुपोषण झाबुआ जिले की बड़ी समस्या है। खासकर आदिवासी आबादी इसकी ज्यादा चपेट में हैं। जिले को इस समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए कलेक्टर नेहा मीना ने नई योजना 'प्रोजेक्ट कुपोषण मुक्त झाबुआ' शुरू की है, जिसमें 'मोटी आई' (बड़ी मां) अहम भूमिका निभाएंगी। दरअसल, बतौर कलेक्टर नेहा को महसूस हुआ कि कुपोषण को लेकर जनजागृति पैदा करने में महिलाएं ही सार्थक भूमिका निभा सकती हैं। इसके तहत कम वजन वाले बच्चों के पोषण स्तर को सुधारा जाए तो उनका शारीरिक, मानसिक विकास बेहतर ढंग से हो सकता है। झाबुआ में ऐसे बच्चे, जिनकी मां रोजगार के लिए पलायन पर हैं या कम उम्र होने से बच्चे के वजन को बढ़ाने की समझ नहीं रखती। ऐसी महिलाओं के कुपोषित बच्चों की जिम्मेदारी लेगी 'मोटी आई'... जो पलायन के दौरान संबंधित मां के बच्चे का अपने बच्चे सा ध्यान रखेगी और कुपोषित बच्चे की मां को बच्चे को स्वस्थ करने में मदद करेगी। प्रत्येक कुपोषित बच्चे की माता के साथ मोटी आई (जो कि स्वस्थ बच्चे की माता होगी) युगल बनाकर कुपोषण से लड़ने और जागरूक करने में कुपोषित बच्चे की मां के लिए मदद और स्थानीय स्तर पर कुपोषण जागरुकता के लिए काउंसलिंग करेगी।
मोटी आई को एक हजार रुपए की राशि
इसके पहले आईएएस नेहा मीना के निर्देश पर जिले में 294 शिविरों का आयोजन कर बच्चों में गंभीर तीव्र कुपोषण के 1613 मामले चिन्हांकित किए गए। इनमें से 233 बच्चे चिकित्सीय जटिलता और 261 बच्चे एनआरसी में उपचार के लिए चिन्हांकित किए गए। 'मोटी आई' योजना के तहत जिले में सभी अतिकुपोषित बच्चों की 'मोटी आई' को प्रशिक्षित किया गया है। साथ ही 100 ऐसी मोटी आई, जो सबसे अधिक बच्चे पर मेहनत कर उसे कुपोषण बाहर निकालेंगी, उन्हें प्रशासन की ओर से प्रशस्ति पत्र और एक हजार रुपए का पारितोषिक राशि प्रदान की जाएगी।
कचरे से बना दिया दर्शनीय पार्क
नेहा मीना ने 'वेस्ट टू वेल्थ' के तहत अपने नवाचार से 'कचरे से कलाकृतियों' के निर्माण की अनोखी पहल भी की है। उन्होंने झाबुआ के सफाईकर्मियों को पुराने टायर, प्लास्टिक की बोतलें ओर अन्य सामान से आर्ट वर्क तैयार करने के लिए प्रेरित किया। इससे कचरे का सदुपयोग तो हुआ ही, झाबुआ में अद्भभुत पार्क भी साकार हुआ। कलेक्टर की इस पहल का खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'मन की बात' में उल्लेख किया और मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने भी उनकी प्रशंसा की।
झाबुआ की उड़ान से बच्चों को फायदा
नेहा ने जहां गरीबों को कंबल और कपड़े बांटने वाली 'नेकी की गाड़ी' शुरू की है। वहीं आदिवासी जिले के प्रतिभाशाली बच्चों को अच्छी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए जरूरी मार्गदर्शन के लिए प्रोजेक्ट 'झाबुआ की उड़ान' भी शुरू किया है। नेहा का इस बात में पूरा भरोसा है कि 'हर अंधेरे में काम आएगा, इल्म का आफताब ले जाओ।' उन्होंने जन समस्याओं को जन संवाद के साथ हल करने के उद्देश्य से इस इलाके की 'खाटला चौपाल' परंपरा को पुनर्जीवित किया। इसके अलावा एक कुशल आईएएस अधिकारी के रूप में अपने 10 साल के कार्यकाल में उन्होंने कई पुरस्कार भी हासिल किए हैं। नेहा की सामाजिक पहल यहीं तक सीमित नहीं हैं, वे खुद भी कई बार स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाने लगती हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि पढ़ने से जीवन में कामयाबी हासिल की जा सकती है।
लीक से हटकर काम करने की मंशा
लीक से हटकर समाज के लिए कुछ करना नेहा की आकांक्षा रही है, जिसे अमली जामा पहनाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी पहल पर शुरू हुआ 'प्रोजेक्ट झाबुआ की उड़ान' इस संकल्प से प्रेरित है कि इस आदिवासी जिले के प्रतिभाशाली युवाओं को भी मार्गदर्शन मिले तो वे विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के झंडे गाड़ सकते हैं। यह प्रोजेक्ट अपने आप में अम्ब्रेला प्रोजेक्ट है, जिसमें अभ्यर्थियो को विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग की व्यवस्था की जाती है। इसके लिए कक्षाएं लगाई जाती हैं। उन्होंने पुलिस भर्ती के लिए 10 दिन का फिजिकल कैप्सूल भी आयोजित कराया था।
नब्ज को समझने के लिए भाषाई ज्ञान
नेहा मीना झाबुआ के आदिवासियों से न केवल संवाद साधती हैं, बल्कि उनकी भीली भाषा को बढ़ावा देने के लिए भी काम कर रही हैं। आजकल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 'मन की बात' का भीली भाषा में अनुवाद हो रहा है, ताकि उनकी बात दूरदराज में रहने वाले भील आदिवासियों तक भी पहुंचे। हिंदी के भीली बोली में अनुवाद के लिए हाल में एआई बेस्ड ट्रांसलेशन टूल तैयार किया गया है। नेहा ने इस टीम के 80 सदस्यों को सम्मानित किया है।
खाटला चौपाल से हो रहा समस्याओं का समाधान
वहीं, नेहा का खाटला चौपाल फिर शुरू करना भी अद्भुत है। यह आदिवासी इलाके की पुरानी परंपरा है, जिसमें ग्रामीण गांव की समस्याओं पर चर्चा कर सामूहिक रूप से उनका समाधान निकालते थे। ये खाटला यानी खाट पर बैठकर होने वाली पंचायतें रात्रि में होती हैं, जब ग्रामीण अपने घरों को लौटते हैं। कलेक्टर नेहा मीना ने इसी परंपरा को पुनर्जीवित कर उसके जरिए ग्रामीणों की शिकायत और समस्या को दूर करने की पहल की है। इसका उद्देश्य ग्रामीणों और प्रशासन के बीच दूरी को खत्म करना है। जिले की ग्राम पंचायत खरड़ू बड़ी में कलेक्टर ने इसी तर्ज पर ग्रामीणों और खासकर महिलाओं सीधा संवाद किया। चौपाल में एक महिला अपनी दो पोते पोतियों को लेकर भरण पोषण की मांग को लेकर कलेक्टर के पास आई। कलेक्टर ने तुरंत सम्बन्धित अधिकारी से प्रतिवेदन प्रस्तुत करने और बच्चों को रेड क्रॉस कलेक्टर फंड की ओर से 10 हजार की सहायता राशि दिए जाने को कहा।.
काम के लिए मिले पुरस्कार
मूलत: पड़ोसी राज्य राजस्थान की रहने वालीं नेहा मीना 2014 बैच की सीधी भर्ती की आईएएस अधिकारी हैं। वे झाबुआ जिले की लगातार तीसरी महिला कलेक्टर हैं। इसके पहले वे इंदौर में जिला पंचायत सीईओ थीं तो उन्हें नदियों के पुनर्जीवन एवं संरक्षण के लिए राज्य में तीसरा पुरस्कार मिला था। इसके पहले जब वे नीमच एडीएम थी तो सरकारी अभिलेखों के आधुनिकीकरण के लिए भी उन्हें भूमि प्लेटीनम अवार्ड से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सम्मानित किया था।
परिचय एक नजर में
नाम: नेहा मीना
जन्म तिथि: 13 दिसंबर 1986
निवास: राजस्थान
यूपीएससी में चयन: 01 सितंबर 2014
शिक्षा: B.A. (Hons.) Economics,
M.A. Economics
सर्विस: Asstt. Collector Dhar, Asstt. Collector, Indore SDO (Rev.) Bagli (Dewas), CEO Zila Panchayat, Indore, ADM neemuch और Collector, Jhabua.
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