IAS पी नरहरि : पिता सिलते थे कपड़े, IAS बेटा लोगों का दर्द कर रहा रफू

IAS पी. नरहरि ने संघर्षों से भरी यात्रा तय की है। लाड़ली लक्ष्मी योजना जैसी सफल योजनाएं बनाईं और 400 छात्रों को अफसर बनने में मदद की। उनकी कहानी प्रेरणा से भरी है।

Advertisment
author-image
The Sootr
एडिट
New Update
The Tantra ias p narhari
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

हजार बर्क गिरे लाख आंधियां उट्ठें, वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं…साहिर लुधियानवी की पंक्तियां मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस पी. नरहरि पर बिल्कुल फिट बैठती हैं। 2001 बैच के आईएएस नरहरि का शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा रहा। मन में कुछ कर गुजरने की चाह के साथ उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी की। जब सफलता मिली तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज वे मध्यप्रदेश सरकार में प्रमुख सचिव हैं। दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी पढ़ाई कर रहे हैं।

बचपन: पिता के सपनों को पूरा किया

CM Mohan Yadav

1 मार्च 1975 को तेलंगाना के बसंतनगर गांव में सामान्य परिवार में परिकिपंडला नरहरि यानी पी नरहरि का जन्म हुआ। सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। पिता टेलरिंग का काम करते थे। सीमित संसाधन होने के बावजूद उन्होंने अपने बेटे को खूब पढ़ाया। परिकिपंडला नरहरि ने भी अपने पिता के सपनों को पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। रातों को जागकर, मोमबत्ती और लालटेन की रोशनी में अपना मुकद्दर लिखा। बज़ीफ़ा यानी स्कॉलरशिप से कॉलेज में पहुंचे। यहीं मन में बैठा कि सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी है। यहीं से सफर शुरू हुआ और 25 बरस की उम्र में पी. नरहरि आईएएस बन गए थे।

कॅरियर: गेल और नाल्को में की नौकरी

ा

पी. नरहरि ने अपनी स्कूली शिक्षा भारत मिशन सेकेंडरी स्कूल, बसंतनगर से ही पूरी की। फिर किसी तरह पैसे जुटाकर उस्मानिया यूनिवर्सिटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। सिविल सर्विसेज में जाने से पहले परिवार की स्थिति को देखते हुए नरहरि ने दूसरी नौकरियां भी कीं। वे 1999 में भारतीय इंजीनियरिंग सेवाओं के लिए भी सेलेक्ट हुए। फिर भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल), नेशनल एल्युमीनियम कंपनी (नाल्को) और गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) नौकरी के लिए भी सेलेक्ट हुए।

सर्विस रिकॉर्ड: नौकरी के 6 साल बाद बने कलेक्टर

CM Mohan Yadav

आईएएस की सेवा में आने के बाद पी. नरहरि को मध्यप्रदेश कैडर अलॉट हुआ। उनकी पहली पोस्टिंग 2002 में सहायक कलेक्टर के रूप में छिंदवाड़ा में हुई। परिवीक्षा अवधि के दौरान वे वर्ष 2003 में ग्वालियर में एसडीओ (राजस्व) और डबरा एसडीएम रहे और एसडीएम महू के साथ सहायक कलेक्टर और सिटी मजिस्ट्रेट, मुरार बने। 2004 में वे मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर पहुंचे। वहां एसडीओ (राजस्व) महू के बाद 2005 में वे इंदौर नगर निगम कमिश्नर बनाए गए। वर्ष 2006 उनकी मंत्रालय में पदस्थापना हुई। यहां बतौर उप सचिव काम किया। परियोजना निदेशक आईसीडीएस और आईएफएल प्रबंध निदेशक डब्ल्यूएफडीसी, महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्‍मेदारी दी गई। इसी दौरान उन्होंने मध्य प्रदेश की अत्यंत सफल लाड़ली लक्ष्मी  योजना बनाई। यह योजना भ्रूण हत्या को कम करने एवं लड़कियों के जन्म लेने में अत्यंत सफल रही। यह योजना अब तक 45 लाख बच्चियों के जन्म का कारण बनी। 2007 में वे छिंदवाड़ा जिला पंचायत सीईओ बनाए गए।

2007 में नरहरि कलेक्‍टर बनाए गए। उन्‍हें सिवनी जिले का जिम्मा मिला। 2009 में वे सिंगरौली और 2011 में ग्‍वालियर कलेक्‍टर बनाए गए। 2015 में उन्‍हें सबसे हाईप्रोफाइल जिले इंदौर की कलेक्टरी मिली। 2017 में उन्‍हें देश के 10 सबसे पॉपुलर आईएएस अधिकारियों में भी शामिल किया गया था। इंदौर से भोपाल मुख्‍यालय लौटे नरहरि को राजस्व, विमानन, जनसंपर्क, शहरी प्रशासन, स्वास्थ्य, नगरीय प्रशासन और उद्योग विभागों के आयुक्त सह सचिव जैसी कई अहम जिम्मेदारियां सौंपी गईं।

शौक : किताबें और गाने भी लिखे

IAS P. Narhari

प्रदेश में लागू लाड़ली लक्ष्मी योजना की पूरी कहानी नरहरि ने ही लिखी थी। उन्हें इंदौर को क्लीन सिटी बनाने का क्रेडिट भी जाता है। किताबें लिखने का उन्हें शौक है। वे अब तक 'द ग्रेट वॉल ऑफ हिंदूज्म', ‘स्वच्छ इंदौर’ और 'बेटियां' किताब लिख चुके हैं। स्‍वच्‍छता, प्लास्टिक और हेलमेट पर जागरुकता के लिए कई गाने लिख चुके हैं। इन गानों को शान, शंकर महादेवन सहित कई बड़े गायकों ने अपनी आवाज दी है।

आदर्श: 400 स्टूडेंट्स को अफसर बनाने में अहम रोल

IAS P. Narhari

कहते हैं कि ज्ञान आप जितना बांटते हो, उतना ही बढ़ता है। नरहरि इसका भी जीवंत उदाहरण हैं। उनके पढ़ाए हुए 400 से ज्यादा स्टूडेंट्स आज सरकारी अफसर हैं। खास यह है कि नरहरि अपने काम के बीच उन लोगों के लिए भी समय निकाल लेते हैं, जिनमें सीखने की ललक और कुछ बनने की चाहत रहती हो। वे सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वालों को मोटिवेट करते हैं और तैयारी में भी हेल्प करते हैं। अपने इस प्रकल्प पर नरहरि कहते हैं- कई बार जानकारी के अभाव में अच्छे बच्चे गांव में रह जाते हैं। मुझसे जब कोई बच्चा पूछता है तो मैं सही मार्गदर्शन देता हूं। उन्हें बताता हूं कि आप किस तरह से फायदा ले सकते हैं।

इस खबर से जुड़े सामान्य सवाल

पी. नरहरि का जन्म कहां हुआ था?
पी. नरहरि का जन्म तेलंगाना के बसंतनगर गांव में हुआ था।
लाड़ली लक्ष्मी योजना का उद्देश्य क्या है?
भ्रूण हत्या को रोकना और लड़कियों के जन्म को प्रोत्साहित करना।
पी. नरहरि ने अपनी शिक्षा कहां से प्राप्त की?
उन्होंने भारत मिशन सेकेंडरी स्कूल और उस्मानिया यूनिवर्सिटी से शिक्षा ली।
पी. नरहरि की कौन-कौन सी किताबें प्रसिद्ध हैं?
'द ग्रेट वॉल ऑफ हिंदूज्म', 'स्वच्छ इंदौर', और 'बेटियां' उनकी प्रसिद्ध किताबें हैं।
पी. नरहरि को कौन-कौन से प्रमुख पुरस्कार मिले हैं?
उन्हें 2017 में देश के 10 सबसे लोकप्रिय आईएएस अधिकारियों में शामिल किया गया।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

Bureaucracy indian civil service ब्यूरोक्रेसी आईएएस पी नरहरि IAS P Narhari लाड़ली लक्ष्मी योजना ladli laxmi yojana सिविल सेवा civil service स्वच्छ इंदौर Indian Bureaucracy भारतीय ब्यूरोक्रेसी द तंत्र भारतीय सिविल सेवा