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आज की तारीख का इतिहास:कल्पना कीजिए, एक ऐसी बीमारी जिसने सदियों तक इंसान को मौत और खौफ के साए में जीने पर मजबूर कर दिया। एक बीमारी, जिसके आते ही तेज बुखार, पसीना, सिरदर्द और कंपकंपी लोगों को बिस्तर से उठने लायक नहीं छोड़ते थे। यह बीमारी थी- मलेरिया…
बीसवीं सदी की शुरुआत तक मलेरिया को दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में गिना जाता था। हर साल लाखों लोग इसकी चपेट में आते और अनगिनत मौतें होतीं।
समाज में यह मान्यता थी कि गंदे पानी के किनारे से उठने वाली “बुरी हवा” (Miasma) से मलेरिया फैलता है। लेकिन असल सच कोई नहीं जानता था।
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कहानी का नायक – एक अनजाना खोजी
साल था 1857, जब भारत में स्वतंत्रता संग्राम की आग जल रही थी। उसी वर्ष 13 मई को, उत्तराखंड के अल्मोड़ा में एक ब्रिटिश परिवार के यहां जन्म हुआ- रोनाल्ड रॉस का।
बचपन से ही रॉस को संगीत, कविता और गणित में गहरी रुचि थी। वह खुद एक लेखक या कवि बनना चाहते थे। लेकिन पिता की इच्छा पर उन्हें “इंडियन मेडिकल सर्विस” में डॉक्टर बनना पड़ा। यह फैसला उनकी जिंदगी और विज्ञान- दोनों का रुख बदलने वाला था।
भारत की तपती धरती पर
डॉक्टर बनने के बाद 1880 में जब रॉस भारत लौटे, तो उन्हें सबसे ज्यादा सामना करना पड़ा था मलेरिया से पीड़ित सैनिकों का। यह सैनिक गोलियों से कम और मलेरिया से ज्यादा मर रहे थे।
इलाज के नाम पर सिर्फ “कुनैन” नामक दवा थी, जिससे कभी मरीज ठीक होते तो कभी मौत का शिकार हो जाते।
रॉस को यह सवाल परेशान करने लगा-
👉 “आखिर मलेरिया फैलता कैसे है?”
1889 में वे फिर भारत लौटे और अब उन्होंने ठान लिया कि मलेरिया के रहस्य को जरूर सुलझाना है।
👉 रहस्य की ओर एक संकेत
1894 में एक मुलाकात ने उनकी जिंदगी बदल दी।
डॉ. पैट्रिक मैन्सन, जो उस समय परजीवियों पर शोध कर रहे थे। एक दिन बातचीत के दौरान डॉ. पैट्रिक ने आशंका जताई कि- “शायद मलेरिया का संबंध मच्छरों से हो सकता है।” बस! यही वह चिंगारी थी, जिसने रॉस को उनके जीवन के सबसे बड़े प्रयोग की ओर बढ़ाया।
👉 और प्रयोगशाला बन गया अस्पताल
अब रॉस दिन-रात मच्छरों के पीछे बोतल लेकर दौड़ते। वे मलेरिया पीड़ित सैनिकों को मच्छरदानी में मच्छरों के साथ सुलाते, उनके सैंपल लेते और घंटों माइक्रोस्कोप के नीचे देखते रहते।
गर्मी, पसीना, भूख–इन सबके बीच उनका एक ही लक्ष्य था- मलेरिया के असली अपराधी को पकड़ना। एक समय तो वे खुद भी मलेरिया की चपेट में आ गए, लेकिन हार नहीं मानी।
👉 खोज का ऐतिहासिक दिन – 20 अगस्त 1897
आखिरकार, सिकंदराबाद के अस्पताल में 20 अगस्त 1897 की दोपहर रॉस की मेहनत रंग लाई। उन्होंने देखा कि एक खास प्रकार के भूरे रंग के, चित्तीदार पंख वाले मच्छर—मादा एनोफिलीज मच्छर—के पेट में वही परजीवी मौजूद हैं, जो मलेरिया रोगियों के खून में पाया जाता था।
👉 यह स्पष्ट था—
“मलेरिया फैलाने वाला असली दोषी मादा एनोफिलीज मच्छर है।”
यह खोज विज्ञान की दुनिया में किसी चमत्कार से कम नहीं थी।
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कवि, वैज्ञानिक और इंसान
दिलचस्प बात यह है कि रोनाल्ड रॉस सिर्फ वैज्ञानिक नहीं, बल्कि संवेदनशील कवि भी थे। अपनी इस जीत के अगले दिन उन्होंने कविता लिखी, जिसमें उन्होंने मौत पर विजय की घोषणा की थी।
रॉस को अपनी सफलता पर ताजिंदगी गर्व रहा। उनकी पंक्तिया बताती हैं कि यह खोज सिर्फ विज्ञान नहीं बल्कि इंसानियत की भी सबसे बड़ी जीत थी।
"आंसुओं और हांफती सांसें,
मैंने तेरे धूर्तता भरे ही बीजों को पा लिया है,
लाखों की हत्या करने वाली हे मौत,
असंख्य लोग बचेंगे।”
क्यों थी यह खोज क्रांतिकारी?
इस खोज ने पूरी दुनिया की सोच ही बदल दी। पहले लोग मानते थे कि यह बीमारी गंदी हवा या गंध से फैलती है। लेकिन अब साफ हो गया कि-
- मच्छरों को नियंत्रित कर मलेरिया को रोका जा सकता है।
- मच्छरदानी, सफाई, ठहरे हुए पानी की रोकथाम और आधुनिक दवाइयां इसी खोज की देन हैं।
- लाखों लोगों की जान बचाई जा सकी।
- रोनाल्ड रॉस को इस अद्भुत उपलब्धि के लिए 1902 में चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला।
विरासत
- रोनाल्ड रॉस ने आगे भी मिस्र, यूनान और पनामा जैसे देशों में मलेरिया नियंत्रण से जुड़े काम किए।
- 16 दिसंबर 1932 को 75 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ। लेकिन उनकी खोज आज भी इंसानियत को बचा रही है।
- इसीलिए हर साल 20 अगस्त को "विश्व मच्छर दिवस" मनाया जाता है- उनके उस दिन की याद में, जिसने दुनिया से मृत्यु का एक बड़ा राज ख
जैसे कोलंबस ने समुद्र पार करके नई दुनिया की खोज की थी, ठीक वैसे ही रोनाल्ड रॉस ने मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी के अनदेखे दुश्मन- “मच्छर” की पहचान करके विज्ञान की दुनिया में नई क्रांति ला दी। उनकी खोज के बिना, शायद मलेरिया आज भी उतना ही रहस्यमय होता और दुनिया इतनी सुरक्षित न होती… आज का इतिहास में हम 20 अगस्त को दुनिया की 10 बड़ी एतिहासिक घटनाओं के बारे में तो जानेंगे ही, साथ ही जानेंगे डॉ रोनाल्ड रॉस की कहानी को भी… | |
चलिए अब जानते हैं 20 अगस्त के इतिहास में घटीं 10 प्रमुख घटनाएं
- 👉 20 अगस्त 1828 – राजा राम मोहन राय के ब्रह्म समाज का पहला सत्र कलकत्ता (अब कोलकाता) में आयोजित हुआ, जिसने भारतीय समाज-सुधार को दिशा दी।
- 👉 20 अगस्त 1897 – रोनाल्ड रॉस ने मलेरिया फैलने के असली कारण मादा एनोफिलीज मच्छर की खोज की; यह चिकित्सा विज्ञान के लिए क्रांतिकारी उपलब्धि थी।
- 👉 20 अगस्त 1921 – केरल के मालाबार क्षेत्र में मोपला विद्रोह (मालाबार रेबेलियन) की शुरुआत हुई, जो किसानों और अंग्रेज हुकूमत के बीच संघर्ष था।
- 👉 20 अगस्त 1944 – भारत के छठे प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्म हुआ। उनका जन्मदिन 'सद्भावना दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
- 👉 20 अगस्त 1953 – फ्रांसीसी सेनाओं ने मोरक्को के सुल्तान सीदी मोहम्मद बिन यूसुफ को गद्दी से हटाया, जिससे मोरक्को में स्वतंत्रता संग्राम को बल मिला।
- 👉 20 अगस्त 1977 – अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने वॉयेजर 2 अंतरिक्षयान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया, जिसने अंतरिक्ष अन्वेषण में नया अध्याय जोड़ा।
- 👉20 अगस्त 1979 – तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया।
- 👉 20 अगस्त 1988 – भारत और नेपाल में 6.5 तीव्रता के भूकंप से एक हजार लोगों की मृत्यु हुई।
- 👉 20 अगस्त 1995 – उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस के बीच हुई टक्कर में 250 से अधिक लोगों की मौत हुई।
- 👉 20 अगस्त 2008 – स्पैनियर फ्लाइट 5022 मैड्रिड एयरपोर्ट से उड़ते ही दुर्घटनाग्रस्त हुई, जिसमें 154 लोगों की जान गई।आज की यादगार घटनाएं
20 अगस्त क्यों यादगार है?
भारत और विश्व के नजरिए से :
यह दिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती और उनके योगदान के लिए मनाया जाता है, जो सूचना प्रौद्योगिकी और पंचायती राज सहित आधुनिक भारत के निर्माण में अग्रणी माने जाते हैं।
- 👉 ब्रह्म समाज की स्थापना एवं मलेरिया अनुसंधान जैसी ऐतिहासिक उपलब्धियां भी इसी दिन जुड़ी हैं।
- 👉 भीषण रेल हादसा और प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएँ भी इस दिन को महत्वपूर्ण बनाती हैं।
विश्व के लिए:
- 👉 नासा के वॉयेजर 2 जैसे ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन व मलेरिया जैसे रोगों पर वैज्ञानिक खोजें वैश्विक प्रगति की मिसाल हैं।
- 👉 मोरक्को, लेबनान, इराक-ईरान की घटनाएं भी आज ही के दिन घटीं, जिससे यह दिन विश्व इतिहास में भी रुचिकर और यादगार बना रहता है।
- 👉 20 अगस्त, विज्ञान, राजनीति, सामाजिक सुधार, प्राकृतिक आपदा और तकनीकी उपलब्धियों की दृष्टि से वैश्विक और भारतीय इतिहास में विशेष स्थान रखता है।
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