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दतिया कोई साधारण शहर नहीं, बल्कि संस्कृति, इतिहास, शौर्य और अध्यात्म का संगम है। यहां कदम रखते ही लगता है मानो इतिहास की धड़कनों को सुना जा सकता है। दतिया का इतिहास इस बात का साक्षी है कि यह नगर प्राचीन समय से भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक यात्रा का एक अनमोल अध्याय रहा है।
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मध्य प्रदेश के उत्तरी अंचल में स्थित यह शहर मां पीताम्बरा की दिव्य कृपा से पावन है और दतिया पीताम्बरा पीठ को केंद्र में रखकर यहां की पहचान बनी है। दतिया को एयरपोर्ट के रूप में भी बड़ी सौगात मिली है, जो पर्यटन को नई दिशा देगा।
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दरअसल, दतिया का नाम आते ही सबसे पहले मां पीताम्बरा का ध्यान आता है। यह एक ऐसी शक्ति पीठ है, जहां आस्था अटल है और भक्ति असीम। दतिया में स्थापत्य और स्मृति का भी ऐसा कोष है, जो सदियों से हमारे पुरातन गौरव का साक्षी रहा है।
दतिया दर्शन यात्रा योजना बनाते समय सबसे पहले श्री पीताम्बरा पीठ में पूजा का समय जानना जरूरी होता है, क्योंकि श्रद्धालु यहाँ विशेष रूप से शनिवार को माँ बगलामुखी और माँ धूमावती के दर्शन हेतु बड़ी संख्या में आते हैं।
बता दें कि दतिया मंदिर की मान्यता इतनी गहन है कि इसे ‘छोटा वृंदावन’ भी कहा जाता है।
दतिया का नामकरण भी अपने आप में रोचक कथा है। कहते हैं, इस शहर का नाम दंतवक्र नाम के राक्षस से लिया गया है। दंतवक्र वह असुर था, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध में पराजित किया था। यहीं से दंतवक्र शब्द कालांतर में दतिया बन गया।
गुप्त खजाने सी छुपी धरोहर
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दतिया की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सदियों तक बाहरी दुनिया की नजरों से दूर रहा। ऐसा लगता है, मानो कोई रहस्यमयी खजाना किसी पुरानी किताब में छिपा हो। अब यह किताब पन्ना दर पन्ना खुल रही है।
यहां की हवाओं में इतिहास की सुगंध है और स्थापत्य में सौंदर्य का नाद। दतिया पर्यटन स्थल अब स्थानीय प्रशासन की योजनाओं में शामिल हो चुके हैं।
वीर सिंह देव का वीर महल
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दतिया किला का इतिहास 17 वीं सदी से जुड़ा हुआ है। वहीं दतिया की सबसे विशिष्ट धरोहरों में से एक है पहाड़ी पर स्थित वीर महल। 17वीं सदी में वीर सिंह देव ने इस महल का निर्माण कराया था। वीर सिंह देव बघेला वंश के विवादास्पद, लेकिन चतुर राजा माने जाते हैं। उन्होंने मुगल बादशाह अकबर के दरबारी अबुल फजल की हत्या करवाई और उसका सिर शहजादे सलीम (बाद में जहांगीर) को भिजवाया था। एक और प्रसिद्ध, पर भयानक किस्सा है कि वीर सिंह ने अपने ही बेटे को जंगली कुत्तों से मरवा डाला था, क्योंकि उसने एक साधु पर अत्याचार किया था।
वीर सिंह महल वास्तुशिल्प की नजर से बघेला शैली का बेजोड़ उदाहरण है। ऊंचे चबूतरों, मजबूत दीवारों, जटिल गलियारों और गूंजते गुंबदों के कारण यह महल सोए हुए राक्षस जैसा प्रतीत होता है। इसमें भव्यता नजर आती है तो रहस्य भी दिखते हैं।
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नीचे बने पुराने तालाब में जब वीर महल की परछाई पड़ती है तो लगता है, जैसे कोई सपना यथार्थ बन गया हो। महल की बनावट में फारसी और मुगल प्रभाव नजर आता है। नक्काशीदार मेहराबें, पत्थर की छतों पर जानवरों की कलाकृतियां, जैसे सींग वाले ड्रैगन, डरते हिरण सब मिलकर काव्यात्मक दृश्य रचते हैं। इसके अलावा, महल की छतों पर बने डिजाइन फारसी कालीन की तरह हैं।
महल के सामने का नजारा भी अद्भुत है। नीले-भूरे रंगों में रंगे पुराने घर, दूरदराज खंडहर में बदलते बघेला महल और एकांत पहाड़ियों पर स्थित महल जैसे किसी कलाकार की कल्पना हों।
शाही छतरियों में अमर स्मृति
महलों की छाया में बसी हैं दतिया की शाही छतरियां। ये मृत्यु के बाद भी शौर्य, परंपरा और कला को जीवित रखने वाले स्मारक हैं। ये छतरियां केवल समाधियां नहीं, बल्कि कलात्मक कथाएं हैं। इन पर रामायण और महाभारत की कहानियों, धार्मिक दृश्यों, मेले और शाही दरबारों की झलक मिलती है।
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छतरियों की विशेषता उनका स्थापत्य है। यहां पतली मिट्टी की लखौरी ईटें, बलुआ पत्थर, उत्तर भारतीय मंदिरों के शिखर जैसी संरचना और उनमें की गई महीन नक्काशी बेजोड़ है। करणसागर तालाब के किनारे बने इस विशाल परिसर में आज भी 23 छतरियां अच्छी स्थिति में हैं। गुंबदों, खंभों, पत्थर की जालियों और रंगीन भित्ति चित्रों से सजी इन छतरियों का सौंदर्य दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
पीताम्बरा पीठ आध्यात्म की राजधानी
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दतिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक केंद्र है श्री पीताम्बरा पीठ। यह शक्ति साधकों के लिए पावन स्थल है। यहां दस महाविद्याओं में से दो देवियों मां धूमावती और मां बगलामुखी की पूजा होती है। यह स्थान विशेष रूप से शनिवार को भक्तों से भरा रहता है।
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मंदिर परिसर में भगवान परशुराम, हनुमान जी, काल भैरव जी और भगवान शिव जी के प्राचीन वनखंडेश्वर मंदिर के साथ कई वैष्णव और शैव मंदिर हैं। इनमें अवध बिहारी जी, विजय राघव जी और शिवगीर मंदिर शामिल है। इन्हीं विशेषताओं के कारण दतिया को छोटा वृंदावन भी कहा जाता है।
राजगढ़ महल और भरतगढ़ किला
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पीताम्बरा पीठ के पास ही पहाड़ी पर राजगढ़ महल है, जो अपने स्थापत्य और इतिहास के लिए विख्यात है। इसके पास ही भरतगढ़ किला है। इसे महाराजा दलपत राव ने 17वीं सदी में बनवाया था।
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इस किले में भगवान श्रीराम और माता जानकी का मंदिर भी है, जो यह बताता है कि शौर्य और भक्ति कैसे एक साथ अस्तित्व में रह सकते हैं। किले से जुड़ी छतरियां और आसपास फैली ऐतिहासिक संरचनाएं, दतिया के वैभव की कहानी कहती हैं।
सोनागिरी जैन धर्म की पवित्र नगरी
दतिया से 15 किलोमीटर दूर सोनागिरी है। यह सफेद संगमरमर के जैन मंदिरों की अद्भुत श्रृंखला है। पहाड़ी की ढलान पर बने इन मंदिरों को स्वर्णगिरी या श्रवणगिरी भी कहा जाता है। यहां 77 मंदिर पहाड़ी पर और 26 मंदिर नीचे गांव में हैं।
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यह दिगंबर जैन संप्रदाय के लिए प्रमुख तीर्थस्थल है। सबसे प्रमुख मंदिर आठवें तीर्थकर चंद्रनाथ को समर्पित है। हर वर्ष चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) में यहां मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु आकर आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं।
विरासत को जागने की पुकार
सदियों से इतिहास के पन्नों में सिमटा दतिया अब फिर सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। क्योंकि दतिया में जो इतिहास है, वह खंडहर नहीं, गौरव है। जो मंदिर हैं, वे पूजा स्थल नहीं, आत्मा के पथ-प्रदर्शक हैं। जो किले हैं, वे पत्थर भर नहीं, परंपरा के प्रहरी हैं।
इस तरह महल, मंदिर, छतरियां और तीर्थ भारतीय संस्कृति की जीती-जागती कड़ियां हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा पर्यटन विकास की योजनाएं बनने लगी हैं। दतिया को देखना, दरअसल खुद को पहचानना है।
आप कैसे पहुंच सकते हैं दतिया
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दतिया यात्रा गाइड में thesootr आपको बताएगा की आप यहां कैसे जा सकते हैं? यूं तो अब दतिया में एयरपोर्ट है, लेकिन देश के अन्य प्रमुख शहरों से दतिया के लिए नियमित उड़ानें नहीं हैं। नजदीकी एयरपोर्ट ग्वालियर एयरपोर्ट है, जो दतिया से 67 किलोमीटर दूर है। वहीं, आगरा एयरपोर्ट दतिया से 172 किलोमीटर दूर है। अच्छी बात यह है कि नियमित ट्रेनों के जरिए दतिया देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। दतिया और सोनागिर दो रेलवे स्टेशन हैं। देश के अन्य प्रमुख शहरों से दतिया के लिए आसानी से नियमित बसें मिल जाती हैं।
दतिया यात्रा टिप्स
दतिया यात्रा के लिए सबसे पहले आपको अपनी यात्रा की योजना अच्छी तरह से बनानी चाहिए, क्योंकि यहां की प्रमुख दर्शनीय स्थलों में दतिया किला और बेतवा नदी प्रमुख हैं। यात्रा के लिए सर्दियों का समय सबसे उपयुक्त है, क्योंकि गर्मी में मौसम बहुत गर्म हो सकता है।
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आप दतिया किले के आसपास के स्थानों को पैदल भी घूम सकते हैं। यहां पर स्थानीय व्यंजन का स्वाद भी लेना न भूलें, खासकर दतिया का प्रसिद्ध पिठा (सांस्कृतिक मिठाई)। इसके अलावा, यात्रा के दौरान आरामदायक जूते पहनना और पानी का बोतल साथ रखना जरूरी है।
एक नजर मध्य प्रदेश पर्यटन पर
मध्य प्रदेश पर्यटन का अनुभव अद्वितीय है। यहां प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहर का संगम है। मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के जरिए प्रदान की गई सुविधाओं के साथ, मध्य प्रदेश के प्रमुख पिकनिक स्पॉट्स पर्यटकों को आरामदायक और रोमांचक समय बिताने का मौका देते हैं। मध्य प्रदेश दर्शन करने के लिए यहां कई पर्यटन स्थल मौजूद है।
मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल जैसे कि भीमबेटका, सांची, और खजुराहो का दौरा किया जा सकता है। मध्य प्रदेश जंगल सफारी के दौरान आप बाघों और अन्य वन्य जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं। साथ ही, मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थल जैसे ग्वालियर किला, उज्जैन, चंदेरी, और ओरछा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। मध्य प्रदेश ट्रैवल पैकेज और मध्य प्रदेश पर्यटन गाइड आपको इस राज्य के बेहतरीन स्थल और यात्रा विकल्पों से परिचित कराते हैं। इससे आप अपनी यात्रा को और भी रोमांचक बना सकते हैं।
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