हर जुबां पर राम का नाम... 6 घंटे में ढहा दिया बाबरी ढांचा, आडवाणी-जोशी और सिंघल जैसे शीर्ष नेताओं ने की अगुआई

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Jitendra Shrivastava
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हर जुबां पर राम का नाम... 6 घंटे में ढहा दिया बाबरी ढांचा, आडवाणी-जोशी और सिंघल जैसे शीर्ष नेताओं ने की अगुआई

रविकांत दीक्षित, AYODHYA. अवध में 30 अक्टूबर और 2 नवंबर 1990 को जो हुआ, उसका देश की राजनीति पर गंभीर असर पड़ा। बीजेपी ने समर्थन वापस लिया तो केन्द्र में वीपी सिंह की सरकार गिर गई। कांग्रेस के सहयोग से चन्द्रशेखर की अगुआई में अल्पमत वाली सरकार बनी। यह सरकार भी ज्यादा नहीं टिकी, लेकिन कुछ ही महीनों के कार्यकाल में राम जन्मभूमि को लेकर जो फैसले लिए वे अहम कहे जा सकते हैं।

पल-पल है भारी, वो विपदा है आई,

मोहे बचाने अब आओ रघुराई...

इन पंक्तियों से मानों अयोध्या प्रभु को पुकार रही थी। इधर, राम नाम का सुमिरण कर कारसेवक अयोध्या की ओर कूच कर रहे थे। 5 दिसंबर की शाम को ही यह साफ हो गया था कि विश्व हिंदू परिषद अगले दिन यानी 6 दिसंबर को अयोध्या में 480 बरस पुरानी बाबरी मस्जिद को गिराने वाली है। कहा जाता है कि कार्यकर्ता कई दिन से विध्वंस का पूर्वाभ्यास जैसा कुछ कर रहे थे। 6 दिसंबर की सुबह कारसेवक बड़ी तादाद में इकठ्ठा होना शुरू हो गए। देश-विदेश के पत्रकारों ने भी बाबरी मस्जिद के सामने एक छत पर खुद को तैनात कर लिया था। तनाव पूर्ण माहौल था। अनुशासन के लिए सिर पर पीली पट्टी पहने स्वयंसेवकों की टोली लाठी लेकर तैनात थी। धीरे-धीरे कारसेवक बढ़ते गए। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अशोक सिंघल जैसे शीर्ष नेताओं, सुप्रीम कोर्ट के ऑब्जर्वर जिला जज तेजशंकर और पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में लाखों कारसेवकों ने मस्जिद की एक-एक ईंट उखाड़ दी। उमा भारती एवं साध्वी ऋतुंभरा भी वहां थीं।

जय श्रीराम का उद्घोष

कहा जाता है कि उस दिन कारसेवक तो ठीक मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी भी श्रीराम का उद्घोष कर रहे थे। दोपहर होते-होते झड़प शुरू हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि पुलिसकर्मी भी इधर-उधर निकल गए। जयघोष के साथ कारसेवक मस्जिद पर चढ़ गए और छैनी-हथौड़ी लेकर मस्जिद तोड़ने में जुट गए।

ढह गई मस्जिद...

फिर क्या था...करीब 6 घंटे में मस्जिद ढहा दी गई। सर्द दिन में धुंध के बीच धूल की एक परत छाई हुई थी। कारसेवक, पत्रकार, नेता सब जा चुके थे। ढांचे के आसपास खामोशी का मंजर। इधर, रामलला की मूर्तियों की विधि-विधान से कुछ साधु, संत, पंडित और कार सेवकों ने मिलकर प्राण प्रतिष्ठा कर दी। इसके चारों ओर ईंटों की छोटी दीवार खड़ी हो गई। कनात बांध दी गई। धीरे-धीरे भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। थोड़ी देर में रामायण पाठ शुरू हो गया। दिसंबर की काली रात में रामायण पाठ जारी था। हर शब्द में राम का नाम। हर व्यक्ति में राम। हम सबके राम।

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रातभर पाठ चलता रहा। अब पौ फटने वाली थी। पंडित जी आए और रामलला की पूजा आरती हुई...

भये प्रकट कृपाला दीन दयाला,

कौशल्या हितकारी,

हरषित महतारी,

मुनि मन हारी,

अद्भुत रूप बिचारी॥

निरंतर...

अयोध्या नामा के अगले भाग में पढ़िए...

  • कैसे हुआ जमीन अधिग्रहण
  • तीन राज्यों की भाजपा सरकार की बर्खास्तगी
अयोध्या नामा भाग 10 Advani-Joshi and Singhal lead top leaders in demolishing Babri structure Babri structure demolished in 6 hours Rams name on every tongue Ayodhya Nama Part 10 बाबरी ढांचा गिराने में शीर्ष नेताओं की अगुआई आडवाणी-जोशी और सिंघल 6 घंटे में ढहा दिया बाबरी ढांचा हर जुबां पर राम का नाम