नया साल आ रहा है, नई उम्मीदें ला रहा है। बदलाव होंगे हर तरफ। राजनीति भी इससे कहां अछूती रहेगी। इन परिवर्तनों को यदि मध्यप्रदेश के दृष्टिकोण से देखें तो काफी कुछ बदलेगा। बदलेंगे मंत्रिमंडल के चेहरे। जिलों की सीमाएं बदलेंगी। 21वीं सदी के पच्चीसवें साल में सूबे की राजनीति में नई दिशा आएगी। नई धार बहेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सियासी बांसुरी की तान छेड़ेंगे। विपक्ष के अगुआ जीतू पटवारी पार्टी में और जान फूंकने की कोशिश करेंगे। कुल मिलाकर इस साल कोई चुनाव भले नहीं होंगे, लेकिन सियासी सरगर्मी चरम पर होगी।
2025 में एमपी में बीजेपी के लिए परिवर्तन और नवीनीकरण का वक्त होगा। पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा। सभी जिलों में नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति होगी। डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार के कार्यकाल का भी महत्वपूर्ण दौर होगा। 2023 में भारी जनादेश के साथ सत्ता में आई सरकार का ध्यान अब सुशासन, विकास और राजनीतिक स्थिरता पर केंद्रित होगा। लंबे समय से प्रतीक्षित निगम-मंडलों में नेताओं की ताजपोशी होगी। कांग्रेस और दीगर पार्टियों से आकर बीजेपी का अंगवस्त्र पहनने वाले आयतित नेता उपकृत किए जाएंगे। माना जा रहा है कि इन नियुक्तियों से पार्टी के भीतर असंतोष का समाधान होगा। नेताओं और कार्यकर्ताओं को उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप जिम्मेदारियां दी जाएंगी।
कैबिनेट का विस्तार और नई नियुक्तियां
डॉ. मोहन यादव की सरकार वर्ष 2025 में कैबिनेट का विस्तार कर सकती है। कुछ मौजूदा मंत्रियों को बदला जा सकता है, जबकि कुछ नए और उभरते नेताओं को मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। यह कैबिनेट विस्तार सरकार की कार्यक्षमता को बढ़ाने और विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। इससे पार्टी के भीतर संतुलन और नेतृत्व क्षमता को और मजबूती मिलने की संभावना जताई जा रही है।
वरिष्ठ मंत्रियों के तेवर
सरकार में वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल की सक्रिय भूमिका साल 2025 में भी चर्चा का केंद्र बनी रहेगी। इसके पीछे गुजर चुके 2024 में उनके तीखे तेवर हैं। दरअसल, अपने स्पष्ट और तीखे तेवरों के लिए पहचाने जाने वाले कैलाश विजयवर्गीय ने कैबिनेट बैठक में ही सवाल खड़े किए। प्रहलाद पटेल भी इसमें पीछे नहीं रहे। अब 2025 में भी दोनों दिग्गज नेता समय-समय पर सरकार को घेरते हुए नजर आ सकते हैं।
ग्लोबल इन्वेस्टर समिट
फरवरी 2025 में राजधानी भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर समिट राज्य की राजनीति और प्रशासन में मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह आयोजन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की नेतृत्व क्षमता को नई पहचान देगा। इस समिट में देश के प्रमुख उद्योगपतियों के साथ अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की भागीदारी की उम्मीद है। प्रदेश में यह पहला वैश्विक आयोजन होगा, जो डॉ.मोहन यादव के नेतृत्व में होगा। उनकी कुशल रणनीति और दूरदृष्टि मध्यप्रदेश को निवेश का आदर्श केंद्र बनाने में सहायक होगी।
परिसीमन आयोग की सिफारिशें और नए जिलों का गठन
वर्ष 2025 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्य में नए जिलों का गठन हो सकता है। इसके साथ ही, विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों की सीमाओं में भी बदलाव के आसार हैं। यदि ये बदलाव हुए तो निश्चित तौर पर राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचा मजबूत होगा। विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं में बदलाव से राजनीतिक समीकरण भी बदलेंगे। इसके परिणामत: सत्ताधारी और विपक्षी दलों को अपनी रणनीतियों को नए सिरे से परिभाषित करना होगा।
कांग्रेस स्थिरता की ओर बढ़ाएगी कदम
दूसरी ओर, विपक्षी दल कांग्रेस वर्ष 2025 में अपने राजनीतिक समीकरणों को स्थिर करने की दिशा में काम करेगा। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में पार्टी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। हाल ही में कांग्रेस ने बड़े मुद्दों पर जो प्रदर्शन किए हैं, उन्होंने पार्टी की जमीनी पकड़ को मजबूत किया है।
कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, उमंग सिंघार और हेमंत कटारे जैसे नेताओं की एकजुटता कांग्रेस के लिए सकारात्मक संकेत है। विधानसभा सत्र में विपक्ष के तेवर और मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति इस बात का संकेत देती है कि कांग्रेस अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए तैयारी कर रही है। साल 2025 में भी कांग्रेस इसी धार के साथ राजनीति में सक्रिय रहेगी।
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