सावन महीने की पंचमी को चरक जयंती मनाई जाती है। आयुर्वेद के ग्रंथ भाव प्रकाश के अनुसार सावन महीने की पंचमी के ही दिन आयुर्वेद के महान आचार्य चरक का भी जन्म हुआ था। इस बार महर्षि चरक जयंती 2 अगस्त को मनाई जा रही है। कहा जाता है कि आयुर्वेद को जानने और समझने के लिए आचार्य चरक के चिकित्सा सिद्धांतों को समझना बहुत जरूरी है। इसलिए आयुर्वेद के चिकित्सकों के बीच आचार्य चरक का महत्व सबसे ज्यादा है। चरक आयुर्वेद के पहले चिकित्सक थे, जिन्होंने भोजन के पाचन और रोग प्रतिरोधक क्षमता की अवधारणा को दुनिया के सामने रखा। भारत ही नहीं बल्कि, पूरे विश्व में चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने आयुर्वेद का प्रमुख ग्रंथ "चरक संहिता" लिखा था। मौजूदा दौर में भारतीय आयुर्वेद को देश के साथ ही विदेश में भी अपनाया जा रहा है और कारगर माना जा रहा है। इसलिए आचार्य चरक को याद करते हुए आज चर्चा करते हैं उनके आयुर्वेदिक सिद्धांतों और भारतीय परिपेक्ष्य में आयुर्वेद पर।
चरक संहिता आयुर्वेद का प्राचीनतम ग्रंथ है, जिसमें रोगनिरोधक व रोगनाशक दवाओं का उल्लेख मिलता है। इसके साथ ही साथ इसमें सोना, चांदी, लोहा, पारा आदि धातुओं से निर्मित भस्मों और उनके उपयोग की विधि भी बताई गई है। आज हम जिस आयुर्वेद को देखते हैं वह महर्षि पतंजलि और महर्षि चरक के श्रम और साधना का ही परिणाम है। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।
प्रकृति के निकट है आयुर्वेद चिकित्सा
आयुर्वेदीय चिकित्सा विधि सर्वांगीण है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के उपरान्त व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक दोनों दशाओं में सुधार होता है। आयुर्वेदिक औषधियों के अधिकांश घटक जड़ी-बूटियों, पौधों, फूलों एवं फलों आदि से प्राप्त की जाती हैं। अतः यह चिकित्सा प्रकृति के निकट है। व्यावहारिक रूप से आयुर्वेदिक औषधियों के कोई दुष्प्रभाव ;साइड.इफेक्ट देखने को नहीं मिलते। अनेक जीर्ण रोगों के लिए आयुर्वेद विशेष रूप से प्रभावी है। आयुर्वेद न केवल रोगों की चिकित्सा करता है बल्कि रोगों को रोकता भी है।
स्वस्थ लोगों के लिए उपयोगी हैं आयुर्वेदिक औषधियां
आयुर्वेद भोजन तथा जीवनशैली में सरल परिवर्तनों के द्वारा रोगों को दूर रखने के उपाय सुझाता है। आयुर्वेदिक औषधियां स्वस्थ लोगों के लिए भी उपयोगी हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा अपेक्षाकृत सस्ती है, क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा में सरलता से उपलब्ध जड़ी-बूटियाँ एवं मसाले काम में लाये जाते हैं। आयुर्वेदीय चिकित्सा विधि सर्वांगीण है एवं इस चिकित्सा के उपरान्त व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक दोनों दशाओं में सुधार होता है।
महामारी में आयुर्वेद को कारगर बनाने की जरूरत
आयुर्वेदिक चिकित्सा अपेक्षाकृत सस्ती है क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा में सरलता से उपलब्ध जड़ी.बूटियाँ एवं मसाले काम में लाये जाते हैं। गत दिनों पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रोगों के उपचार एवं महामारी विज्ञान के नए-नए क्षेत्रों में आयुर्वेद की प्रभावशीलता एवं लोकप्रियता को बढ़ाने का आह्वान करते हुए आयुर्वेद विशेषज्ञों से कहा था कि भारत के गांवों में आज भी पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियां प्रचलित हैं। उन्होंने कहा था कि अभी भी किसी अन्य चिकित्सा पद्धति ने इसका स्थान नहीं लिया है।