बाबाओं के मकड़जाल में पढ़े-लिखे ऐसे फंसते हैं, जैसे फ्लाइकैचर में पतंगे !

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The Sootr CG
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बाबाओं के मकड़जाल में पढ़े-लिखे ऐसे फंसते हैं, जैसे फ्लाइकैचर में पतंगे !

हाल ही में एक घटना के बारे में पढ़ा और देखा भी कि एक दरोगा, एक बाबा के दरबार में जाकर कातिलों का सुराग पूछते हैं। टीवी लाइव वाले भरे दरबार में बाबा आरोपी का क्लू देते हैं। दरोगा उसी के आधार पर मृतक के चाचा को अंदर कर देते हैं। ना फॉरेंसिक जांच और ना कोई अपराध प्रक्रिया संहिता। बाबा ने जो कहा तो सच ही होगा। इसमें भला बेचारे दरोगा की क्या गलती। बाबा सच्चा ना होता तो क्या दरोगा के विभागीय मंत्री उसके दरबार में पाटापसार (सष्टांग) जाकर गिरते। मंत्री जितने बार अपने क्षेत्र नहीं जाते, उसके कई-कई गुना बार अदल-बदल के बाबाओं के दरबार में हाजिरी देते हैं। कभी इस बाबा के तो कभी उस बाबा के। और अब तो बाबाओं के बीच लायजनिंग में इतने माहिर हो गए कि उनके झगड़े सुलझवाने लगे। आर्बिट्रेटर हो गए।



बड़े-बड़ों का भविष्य बांचा लेकिन खुद के घर में 'पति-पत्नी और वो'..



मंत्री उस बाबा से भी एक कदम आगे बढ़ गए जो बड़े औद्योगिक परिवारों के बीच मनमुटाव दूर करवाने के लिए जाने जाते थे। लेकिन कमाल ये हुआ कि एक दिन बाबा के परिवार में ही इतना मनमुटाव हुआ कि उन्होंने  पिस्तौल से अपनी ही खोपड़ी उड़ाकर जान दे दी। वशिष्ठ-विश्वामित्र-शंकराचार्य ब्रह्मदंड रखते थे और आज के ये बाबा लोग कमर में पिस्टल खोंसकर चलते हैं। उभरते बाबा लोग कट्टा-छूरा बांधकर चलतें हैं। बहरहाल इन बाबा महाराज के आत्मघात कांड की जांच के बाद पता चला कि घर में 'पति-पत्नी और वो' का चक्कर चल रहा था। ये बाबा भी बड़ों-बड़ों का भविष्य बांचने के लिए जाने जाते थे, लेकिन अपना भविष्य नहीं बांच पाए.. अफसोस।



पिछले महीनों मेरे अपने शहर में भी एक बाबा खूब चर्चाओं में रहा। पहले तो मंत्री, स्पीकर, विधायकों को आशीर्वाद देती हुई तस्वीरें खूब चलीं। फिर वो पुलिस अफसरों के बंगले, उन्हें आशीर्वाद देने और भविष्य बांचने पहुंचने लगा। सरकार उसकी, वह सरकार का लिहाजा सर्किट हाउस में डेरा जमा। चेला लोग एक गरीब छात्रा का भविष्य बांचने उसके पास ले आए। बाबा ने रेस्टहाउस के बिस्तरे में ही ऐसा बेरहमी से भविष्य बांचा कि उसकी गूंज से शहर सिसक पड़ा। जिन पुलिस वालों का वह भविष्य बांच चुका था। वही अब हथकड़ी लिए उसे ढूंढ़ रहे थे। ये बाबा फिलहाल जेल में है।



बाबा के चक्कर भक्त ऐसे फंसते, जैसे फ्लाइकैचर में पतंगा..



मेरे एक मित्र ज्योतिषशास्त्र के पंडित हैं। ज्योतिष की पंडिताई कॉलेज में पढ़ी, पीएचडी की और वहीं कॉलेज में पढ़ाने लगे। इसे धंधा नहीं बनाया। मैंने सुझाया.. प्रभू कॉलेज छोड़ो धंधे पर निकलो, देखो सड़कछापों का महीने का टर्नओवर लाखों, करोड़ों में है। कई तो सड़कों से उठकर सीधे टीवी स्टूडियो पहुंच गए। वे रोज देश का भविष्य बांचते हैं। आप तो ज्योतिष के डॉक्टर हो, ज्यादा हाथ मार सकते हो, ऊपर तक पहुंच बना सकते हो। मित्र बोले- ज्योतिष को पढ़ा है ना इसलिए ज्योतिषी नहीं बन सकता। आपको मालूम है वेद, पुराण व स्मृति ग्रंथों में ज्योतिष और पौरोहित्य को निषिद्ध और पापकर्म माना गया है। उन्होंने कई ग्रंथों का संदर्भ दिया। वे वशिष्ठ की कथा सुनाने लगे तो मैंने रोकते हुए कहा.. बोर मत करो ये बताओ कि बाबा, ज्योतिषियों के चक्कर में लोग फंस क्यों जाते हैं? दुनिया देखती है कि एक लुट रहा है, दूसरा लूट रहा है। व्यभिचार के किस्से निकलकर आते रहते हैं। बाबा लोग रेप में सजा काट रहे हैं, फिर भी भगत हैं कि भागे चले आते हैं। इनके चक्कर में वैसे ही फंसते हैं जैसे फ्लाईकैचर में पतंगा। 



इन मूर्खों को कभी मुंहनोचवा, तो कभी चोटीकटवा दिख जाता..



ज्योतिष के प्रोफेसर मित्र बोले- प्यारे.. इस देश में जब तक एक मूर्ख भी जिंदा रहेगा ये बाबा भूखे नहीं मर सकते। यहां तो मूर्खों की जमातें हैं, जिन्हें कभी मुंहनोचवा दिख जाता है तो कभी चोटीकटवा। कभी भागे भागे गणेशजी को दूध पिलाने लगते हैं। फिर उन्होंने खुद से जुड़ा एक सच्चा किस्सा सुनाया। बोले.. मैं जिस शहर के कॉलेज में पढ़ाता था, उसी शहर में पदस्थ एक इंजीनियर से दोस्ती हो गई। वह मेरा पड़ोसी भी था, धार्मिक इतना कि दफ्तर निकलने का भी मुहूर्त किसी पंडित से पूछता। उसके बंगले का एक कमरा देवी देवताओं की मूर्तियों से भरा था। एक पंडित सिर्फ पूजा के लिए। शहर भर में जितने मंदिर थे, सभी के पुजारियों का इंजीनियर से महीना बंधा था। सब उसके लिए जाप करते। कहीं शनि के लिये जाप हो रहा, तो कहीं राहु-केतु के लिए। इंजीनियर इतना बिजी कि अपने हिस्से का पूजापाठ भी ठेके में करवाता। पंडितों की मंडली के बीच इंजीनियर परम-धरमातमा। मैंने रहस्य का पता लगाया तो वह प्रदेश के भ्रष्टतम अफसरों में से एक निकला। कमिशन का पैसा पहले भगवान को अर्पित करता है, फिर उसे ठिकाने लगाता है। 



कमिशन के रुपए में से 15% देवीदेवताओं पर खर्च करता। इसे ऐसे समझें- माना कि अफसर ने ऊपर लेने देने के बाद एक करोड़ प्रतिमाह बचाए.. उसमें से 15 लाख धर्म खाते में डाल दिए। इसी 15 लाख से राहुकेतु, शनि आदि ग्रहों को साध लिया। शहर भर के धर्मशास्त्री सब उसके मुरीद हैं। ये सब मिलकर उस अफसर का ऐसा औरा खींचते कि शहर का सबसे बडा दानी धर्मात्मा यही है। यही छवि उसे नेताओं के प्रकोप से भी बचाती। ज्यादातर यही पंडे लोग चूंकि शहर के नेता के भी भविष्य वाचक व ग्रह नक्षत्र सुधारक थे। इसलिए ये संबंध सेतु की भी भूमिका निभाते। 



बाबा तुम अव्वल दर्जे के व्यभिचारी..



मित्र बोलते जा रहे थे- जैसा कि अक्सर होता था, शहर आने वाले हर धर्मधुरंधर बाबा और ज्योतिषी इंन्जीनियर के बंगले ही पधारते। इत्तेफाक से एक मौके पर मैं भी पहुंच गया। बाबा अफसर को ग्यान दे रहे थे, बता रहे थे कि कुछ ग्रहों की विघ्नबाधा शांत हो जाए तो रिटायर होते ही आपके सांसद बनने का योग बनता है। अफसर ने बाबा से मेरा परिचय कराया। बाबा को मेरे ज्योतिष ग्यान के बारे में बताया। खुश होने की बजाय बाबा के चेहरे की रंगत बदली। अफसर किसी काम से अंदर गया। इस बीच बाबा की हथेली की रेखाएं मैंने देखीं। बाबा ने मेरे ज्योतिषीय ग्यान की थाह लेनी शुरू की... इतने में अफसर आ गया। मैंने बाबा के कान में कहा तुम्हारी रेखाएं बताती हैं कि तुम अव्वल दर्जे के व्यभिचारी हो, एक नाबालिग का रेप कर चुके हो, वेश बदलकर फिर रहे हो... बचपन में चोरी के जुर्म में जेल जा चुके हो... गलत हूं तो बोलो..। फिर सामान्य बातें होने लगीं। शाम को घर में ही था कि बाबा मुझे पूछते हुए आ धमका। आते ही पांव पकड़ लिए.. फिर बोला आप ने जो कुछ भी विचार करके बताया वह सोलह आने सच है.. आप तो मेरे साथ हरिद्वार चलिए छोड़िए प्रोफेसरी..। खैर मित्र बोले.. सुनो प्यारेलाल उस बाबा की ना मैंने हस्तरेखाएं देखीं, ना कुंडली, ना ही कोई ज्योतिषीय विचार किया..। सूरत, शक्ल, मनोभाव देख के कह दिया। क्योंकि मुझे मालूम है कि 95% बाबा ऐसे ही होते हैं। 



कर्मठ और धर्मनिष्ठ बनाने वाली पाठशालाएं बंद..



आप खुद पर विश्वास करो तो बाबाओं से बड़े ज्योतिषी हो, उनके अतीत और वर्तमान की ऐसे ही सटीक भविष्यवाणी कर सकते हो। इन बाबाओं का धंधा कौन चलाता है.. या तो भ्रष्टलोग, अपराधी जिन्हें दूसरे जन्म में पाप भोगने का भय है। या फिर वे लोग जिनमें आत्मबल नहीं, पौरुष नहीं, जो सिर्फ भाग्य के भरोसे दिन फिरने का इंतजार करते हैं। कर्मठ आदमी को बाबा लोग नहीं ठग सकते। धर्मनिष्ठ व्यक्ति को भी ये बाबा लोग मूर्ख नहीं बना सकते। लेकिन मुश्किल ये है कि कर्मठ और धर्मनिष्ठ बनाने वाली पाठशालाएं बंद हो चुकी हैं। मीडिया अंधविश्वास, प्रेतकथाएं परोसता है और जनप्रतिनिधि अफवाहों के फेर में फंसकर भगवान गणेश को दूध पिलाने लगते हैं। कुरते के बटन खोलकर देखिए गला गंडे तावीजों से लिपटा मिलेगा। रूढियों, अंधविश्वासों के खिलाफ बात करने वालों पर हमले होते हैं। हमले करने वाले ऐसे ही नेताओं की पनाह व बाबाओं के आश्रमों में पलते हैं। कई बाबा रेप, मर्डर, फ्रॉडगिरी के जुर्म में जेल में हैं। सालभर में दोचार नामीगिरामी जाते रहते हैं।



कल फिर कोई बाबा जेल जाएगा। उसके कुकर्मों से सबक लेने की बजाय उसके चेले तोडफोड़ आगजनी करेंगे, परसों एक नया बाबा फिर प्रकट होकर चमत्कार करने लगेगा, इसकी भी पोल खुलेगी, यह भी जेल जाएगा। हम फिर किसी नए बाबा के चरणों में लोट जाएंगे। ज्योतिषी मित्र बोले.. इनका पुरुषों को तो भगवान भी नहीं बचा सकता।


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