प्रवीण कक्कड़। इस संसार में हर व्यक्ति कोई ना कोई मुकाम हासिल करना चाहता है। तरक्की करना चाहता है। जिंदगी में आगे बढ़ना चाहता है। यह मनुष्य की सहज प्रवृत्ति है। लेकिन सारे लोग अपनी यह इच्छाएं पूरी नहीं कर पाते हैं, जबकि कुछ लोग अपने मुकाम हासिल करते हुए दिखाई देते हैं। इन दोनों तरह के लोगों में बुनियादी अंतर क्या है?
लक्ष्य का चुनाव कैसे करेंः बुनियादी अंतर यह है कि बहुत से लोग असल में यह तय ही नहीं कर पाते हैं कि उन्हें बनना क्या है? उन्हें हासिल क्या करना है? जबकि चुनिंदा लोग ऐंसे होते हैं जो पहले अपनी क्षमताओं को परखते हैं। अपनी ताकत को समझते हैं और उसी के हिसाब से अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करते हैं। लक्ष्य निर्धारण से पहले भी खूब सोच विचार करते हैं। लेकिन जब एक बार लक्ष्य तय कर लेते हैं तो उसके बाद मन में किसी तरह की दुविधा नहीं रखते। वे लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं। एक रास्ता रुकता है तो दूसरा रास्ता पकड़ते हैं। एक राह बंद हो जाती है, तो नई राह चुनते हैं। किसी मुसीबत के आने पर अगर उन्हें अपना कदम पीछे करना पड़ता है तो सही समय आने पर वह दोबारा कदम आगे बढ़ाते हैं।
लक्ष्य चुनने में समय की महत्वताः अगर आपको इन बातों पर सहजता से यकीन नहीं होता तो आपको दुनिया के सबसे कामयाब लोगों के जीवन को जरूर देखना चाहिए। उन्होंने हमेशा अपने लक्ष्य को चुनने में बहुत सावधानी बरती। सावधानी का मतलब, उन्होंने अपनी क्षमताओं को पहचाना, अपने आसपास की परिस्थितियों को पहचाना और समाज किस तरफ जा रहा है और क्या चाहता है, उन जरूरतों को समझा। जिन लोगों ने कंप्यूटर का आविष्कार किया, पेट्रोलियम की खोज की, मोबाइल और इलेक्ट्रिक तकनीक से वाहन चलाने की खोज की उन सब ने इन बातों पर खास ध्यान रखा कि समाज की नई आवश्यकताएं क्या है? अगर यही महान काम उन्होंने जिस समय किए हैं उसके पहले या बाद किए होते तो शायद यह उतने असरदार नहीं होते। इसलिए लक्ष्य चुनने के पीछे टाइमिंग का भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
लक्ष्य तय करना जरूरीः "मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया…" मजरूह सुल्तानपुरी का यह मशहूर शेर आप सभी ने सुना होगा। राजनीतिक आंदोलनों, समाज सुधार व नवाचारों में इसकी बानगी को भी महसूस किया होगा, लेकिन अगर हम इसकी गहराई में जाएं तो हमारे जीवन में बदलाव, नवाचार और प्रयासों को भी यह शेर काफी प्रभावित करता है। आप किसी भी उम्र के हों, विद्यार्थी हों, नौकरी पेशा या व्यवसाई जीवन में लक्ष्य तय करना जरूरी है। हमें अपने जीवन के लक्ष्यों को तय करना चाहिए और सारी चुनौतियों का सामना करते हुए उस पर आगे बढ़ते जाना चाहिए।