लाल किले से पीएम का भाषणः आम आदमी के सपनों को साकार भी करें सरकार

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लाल किले से पीएम का भाषणः आम आदमी के सपनों को साकार भी करें सरकार

डॉ. वेदप्रताप वैदिक। 15 अगस्त को लालकिले से प्रधानमंत्री (PM) नरेंद्र मोदी ने जो लंबा भाषण दिया, जहाँ तक भाषण का सवाल है, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए, कम है। अब तक मैंने जितने भी प्रधानमंत्रियों के भाषण लाल किले से सुने हैं, उनमें यह भाषण मुझे सबसे अधिक प्रभावशाली लगा। इस भाषण की सबसे बड़ी खूबी यह रही कि मोदी ने उस भारत का नक्शा देश के सामने रखा, जो अब से 25 साल बाद होगा।

सरकारों ने कौन से ठोस कदम उठाए?

स्वतंत्रता दिवस (Indipendence Day) पर पीएम के भाषण को मोदी के सपनों का भारत (India) कह सकते हैं। वह भारत ऐसा होगा, जिसमें कोई बेरोजगार नहीं होगा, कोई भूखा नहीं रहेगा, कोई दवा के अभाव में नहीं मरेगा, हर बच्चे को शिक्षा मिलेगी, सबको न्याय मिलेगा। देश भ्रष्टाचारमुक्त होगा। इससे बढ़िया सपना क्या हो सकता है लेकिन उस सपने को सच में बदलने के लिए हमारी पिछली सरकारों और वर्तमान सरकार ने कौनसे ठोस कदम उठाए हैं ?

क्या हम महापुरुषों के सपनों का भारत बना पाए?

ऐसा नहीं है कि हमारी सभी सरकारें निकम्मी रही हैं। सभी सरकारों ने आम जनता की भलाई के लिए कुछ न कुछ कदम जरुर उठाए हैं। इसी का नतीजा है कि 1947 के मुकाबले देश में गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, गंदगी, भुखमरी आदि घटी हैं लेकिन क्या हम पिछले 74 साल में ऐसा देश बना पाए हैं, जिसका सपना महर्षि दयानंद, महात्मा गांधी, योगी अरविंद, सुभाष बोस, नेहरु और डॉ. लोहिया जैसे महापुरुषों ने देखा था ? इसका मूल कारण यह रहा कि हमारे नेताओं का सारा ध्यान तात्कालिक समस्याओं के तुरंत हल में लगा रहा, जो कि स्वाभाविक है और वे समस्याएं उन्होंने कई अर्थों में सफलतापूर्वक हल भी कर डालीं लेकिन उन समस्याएं की जड़ें ज्यों की त्यों कायम रहीं। उन जड़ों को मट्ठा पिलाने का काम अभी भी बाकी है।

कुर्सी के लालच में बुनियादी बदलाव पर ध्यान नहीं

ऐसा नहीं है कि हमारे सभी प्रधानमंत्रियों या अन्य नेताओं को इन समस्याओं का ज्ञान नहीं है। उन्हें पता है लेकिन अपनी कुर्सी बचाने और बढ़ाने के लालच में फंसकर वे बुनियादी परिवर्तनों की तरफ ध्यान ही नहीं दे पाते। वे कोरी नारेबाजी या शब्दों की नौटंकियों में खो जाते हैं। जैसे कभी गरीबी हटाओ नारा था और आजकल सबका साथ, सबका विकास है। उसमें अब सबका विश्वास और सबका प्रयास भी जुड़ गया है।

आम आदमी के सपने को साकार करें सरकारें

सरकार से कोई पूछे कि भारत में भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता, जातिवाद और आर्थिक विषमता, बेरोजगारी, पार्टियों की आंतरिक तानाशाही और न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधानपालिका में अंग्रेजी की गुलामी आज भी ज्यों की त्यों क्यों चली आ रही है? उन्हें खत्म करने और भारत का प्राचीन वैभव और गौरव लौटाने के लिए आपके पास कोई कार्य-योजना है या नहीं ? सपने तो हर आदमी देखता है लेकिन सरकारों से उम्मीद की जाती है कि वे उन्हें साकार करेंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द सूत्र The Sootr वेदप्रताप वैदिक PMs speech from Red Fort Government should also fulfill the dreams of common man indian prime minister आम आदमी के सपने