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हम लोग एमपी चाको के साथ फटाफट कान्हा नेशनल पार्क में, टाइगर की लोकेशन पर पहुंच गए। प्राय: देश के किसी भी नेशनल पार्क में टाइगर की लोकेशन की जानकारी मिलने के बाद सभी भ्रमणकारियों को एक स्थान पर एकत्रित कर लिया जाता है। जिन हाथियों ने टाइगर को एक स्थान पर रुकने के लिए विवश कर लिया है, उन हाथियों में से एक हाथी, भ्रमणकारियों के पास आ कर चार लोगों को हौदे पर बैठा कर टाइगर के दर्शन करवा कर वापस छोड़ कर आता है। शेष हाथी टाइगर को घेर कर रखते हैं। हाथियों को इसके लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। हाथी टाइगर को रोक कर रखते हैं। टाइगर यदि भागने का प्रयास करता है, तो हाथी चिंघाड़ कर उसे रूकने के लिए मजबूर करते हैं। टाइगर हाथियों से डरते हैं और उनके चिंघाड़ने पर वहीं ठिठक कर रूकने के लिए विवश हो जाते हैं। टाइगर नीचे नाले में बैठा हुआ था। नाले के दोनों ओर ऊंचे किनारों के ऊपर खड़े हाथियों ने टाइगर को रोक कर रखा हुआ था। वहां सभी भ्रमणकारियों को किनारों के ऊपर से ही टाइगर के दर्शन करवा कर वापस भेजा जा रहा था। मेरे दोनों बच्चों को भी हाथी पर बैठा कर किनारे के ऊपर से ही टाइगर के दर्शन करवा कर वापस भेज दिया गया।
टाइगर देख कर हाथी का हौदा हो जाता है गीला
जैसे ही हम लोग जिनमें मेरी पत्नी और एक अन्य महिला एमपी चाको के साथ हाथी के हौदे पर बैठ कर ऊपर नाले के किनारे पहुंचे, तो हम लोगों ने देखा कि टाइगर नीचे नाले के बेड में बैठा हुआ है। चाको ने महावत को निर्देश दिया कि नीचे बैठे टाइगर के पास हाथी को ले चलो। नीचे की ओर जाने के लिए ढलान काफ़ी तेज़ थी। हाथी होशियारी के साथ ढलान पर एक-एक पैर संभाल कर रखते हुए नीचे उतरने लगा। हाथी के उतरने के साथ ही हौदा हिलने लगा और आगे की ओर झुक कर टेढ़ा हो गया। ढलान पर हौदे के टेढ़े होते ही हम लोग स्वयं को संभालने लगे। चाको ने उसी वक्त मुझे बताया कि कई लोग टाइगर को देखते ही हौदा गीला कर देते हैं।
मैडम टाइगर आप को स्माइल दे रहा है
हाथी हम लोगों को लेकर टाइगर के बिल्कुल नजदीक पहुंच गया। हम लोग हाथी के ऊपर बैठे हुए थे। मैं और चाको टाइगर के नजदीक पहुंचने पर पूरे दृश्य को निहार कर आनंदित थे, लेकिन मेरी पत्नी व साथ में बैठी महिला भय से कांप रहीं थीं। इस बीच टाइगर ने हमारी ओर देखते हुए होठों के बीच से दांत दिखा कर ऐसी भंगिमा बनाई जैसे कि वह मुस्करा रहा हो। चाको ने मेरी पत्नी से कहा कि देखिए मैडम, टाइगर आप को स्माइल दे रहा है। पत्नी और साथ वाली महिला ने उनकी बात सुन कर तुरंत कहा कि उन्होंने टाइगर देख लिया है अब जल्दी वापस चलिए।
टाइगर के भय से बच्चों का खाना बनाने का बहाना
चाको तो कुछ सुनना ही नहीं चाह रहे थे। वे बोले यह दृश्य बार-बार देखने को नहीं मिलेगा, इसलिए आप लोग इसे एंजॉय करिए। साथ वाली महिला बोली- भैया चाको, जल्दी वापस चलिए... मुझे बच्चों के लिए खाना बनाना है। चाको बोले बच्चे एक दिन खाना नहीं खाएंगे, तो कुछ फर्क नहीं पड़ेगा...आप लोग इस सीन को एंजॉय करिए, जो आपको बार-बार देखने को नहीं मिलेगा। मेरी पत्नी भी डर के कारण बार-बार कह रही थीं कि जल्दी वापस चलिए। मैंने भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। पत्नी ने अपनी बात को अनसुना किए जाने पर मेरे हाथ पर ताकत लगाकर जोर से चिमटी काटते हुए वापस चलने की उतावली जताई। टाइगर के दर्शन मात्र से यह उनका अप्रत्याशित व्यवहार था। इसके बाद भी मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ा। पत्नी व साथ वाली महिला हौदे पर पीछे की ओर बैठी हुईं थीं। वे आपस में धीरे-धीरे बात कर रही थीं कि हाथी पर बैठे लोगों के ऊपर टाइगर पीछे से जम्प लगा कर अटैक करता है, इसलिए उन दोनों को ज्यादा खतरा है। वे विचार विमर्श कर रही थीं कि अटैक होने की स्थिति में क्या उन्हें झाड़ की डाली पकड़ कर लटक जाना चाहिए। उन दोनों की घबराहट देखकर और बातचीत सुन कर चाको ने महावत को वापस चलने के निर्देश दिए। इसके बाद दोनों की जान में जान आई।
बाघिन और शावक जब जीप के सामने आ गए
अगले दिन जब हम लोग कान्हा नेशनल पार्क में राउंड लेने निकले तो जंगल के रास्ते में चीतल बड़ी संख्या में दिखाई दिए। चीतलों में मनुष्यों का ज़रा भी भय नहीं दिखा। उनके पास गए, तो वे थोड़ी दूर हट तो गए, लेकिन ज्यादा दूर नहीं गए। वहां सांभर व बॉयसन भी दिखाई दिए। मांसाहारी वन्य प्राणी बाघ और तेंदुआ जीप में राउंड लगाते हुए सामान्यता दिखते नहीं हैं। हां, उस समय आप भाग्यशाली साबित होते हैं, जब जीप से भ्रमण करते हुए, इन वन्य प्राणियों के, दर्शन कर लेते हैं। कान्हा नेशनल पार्क में श्रवण ताल के आसपास वन्य प्राणी पानी पीने के कारण अक्सर दिखाई दे जाते हैं। श्रवण ताल के पास से जैसे ही हम आगे बढ़े, जीप के सामने जंगल के रास्ते के बाजू में किसी वन्य प्राणी के होने का संकेत मिला। हमारी जीप वहीं थम गई। उस समय हम आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सके, जब हमने देखा कि झाड़ी से एक टाइग्रेस (बाघिन) निकली और जीप के सामने से ही जंगल का रास्ता क्रॉस कर दूसरी ओर तेजी से निकल गई। उसके तीन हष्ट पुष्ट शावक एक के पीछे एक धीरे-धीरे अपनी मां की ओर लपक लिए। इस पूरे दृश्य को देख कर ऐसा आभास हुआ कि जैसे बाघिन और उसके तीन शावक हमारे आने का इंतजार ही कर रहे थे। यह अद्भुत और बिरला दृश्य था, जो हम लोगों के मन-मस्तिष्क पर हमेशा के लिए अंकित हो गया। जैसे ही हम लोग फॉरेस्ट रेस्ट हाउस वापस पहुंचे और लोगों को बताया कि बाघिन के साथ उसके तीन शावकों को देख कर आ रहे हैं, तो वहां मौजूद लोग ईर्ष्या से देखने लगे। खैरागढ़ स्टेट के महाराज कुमार पांच दिन से कान्हा में टाइगर देखने के इंतजार में डेरा डाले हुए थे, लेकिन उनको टाइगर देखने को नहीं मिला।
(लेखक मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक रहे हैं)