लोहिया-जेपी के सपनों का विन्ध्यप्रदेश, जिसके दमन की कथा विश्व में गूंजी!

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लोहिया-जेपी के सपनों का विन्ध्यप्रदेश, जिसके दमन की कथा विश्व में गूंजी!

ज्वलंत/जयराम शुक्ल। "एक दस्तावेजी ऐतिहासिक बुलेटिन जिसे प्रत्येक विन्ध्यवासी को पढ़ना और साझा करना चाहिए..!  जब जयप्रकाश, लोहिया और अशोक मेहता ने विन्ध्य के दमन का मुद्दा विश्व के सामने रखा..और जनक्रान्ति का आवाहन किया"....!



विन्ध्यप्रदेश आज जिंदा होता तो ४ अप्रैल(4 April ) को हमसब उसका 73 वां स्थापना दिवस मना रहे होते। अब सिर्फ स्मरण का विषय मात्र है। मध्यप्रदेश में विलय के फरमान के साथ ही विन्ध्यप्रदेश को अकारण अकाल मृत्युदंड दे दिया गया। जयप्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया, अशोक मेहता जैसे दिग्गज समाजवादी नेताओं ने विन्ध्यप्रदेश के भविष्य का आंकलन पहले ही कर लिया था इसलिए उन्होंने विन्ध्यभूमि की अस्मिता बचाने के लिए तीसरे विकल्प जनक्रांति का आवाहन किया था। 



डॉ. लोहिया ने विंध्य को बचाने प्राणों की हद तक जाने का ऐलान कियाः  १९५०(1950) में विन्ध्यप्रदेश को तोड़ने का जोरदार षणयंत्र किया गया। २८ दिसम्बर १९५० (December 28, 1950) के दिन डॉ. लोहिया ने रीवा की एक जनसभा में विन्ध्य को बचाने के लिए प्राणों के हद तक जाने का ऐलान किया। उनके बंबई लौटते ही विन्ध्यवासियों का विशाल जनसमूह सड़कों पर उतर आया। २ जनवरी १९५० (January 2, 1950) के दिन..तत्कालीन निरंकुश प्रशासन ने दिल्ली के निर्देश पर हर हाल में आंदोलन को दमन करने की ठानी। लाठीचार्ज से सैकड़ों के हाथपांव तोड़ने के बाद कलेक्टर ने फायरिंग के आदेश दिए। इस गोलीचालन में अजीज, गंगा और चिंताली तीन युवा शहीद हो गए। गोली लगने से दर्जनों घायल हुए और बाद में अपंगता की जिंदगी जी। इस घटना को समाजवादी नेताओं ने विश्व की क्रूरतम घटनाओं में से एक कहा। समाजवादी पार्टी ने बंबई से एक वक्तव्य देश के लिए जारी किया। हम यहां वह बुलेटिन और उसका मुद्रित रूप प्रस्तुत कर रहे हैं। यह बुलेटिन  तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष शिवानंदजी की आर्काइव में सुरक्षित है और मुझतक उनके सुपुत्र डॉ. पीएन श्रीवास्तव के मार्फत पहुंची है। देश और विन्ध्यप्रदेश की तत्कालीन परिस्थिति, एक प्रदेश को तोड़ने का षड़यंत्र और दुरभिसंधि के तथ्य-कथ्य इस बुलेटिन को पढ़कर ही समझे जा सकते हैं। ४ अप्रैल (April 4) विन्ध्यप्रदेश दिवस के अवसर पर इसे हर उस व्यक्ति को पढ़ना चाहिए जिसकी आहत आकांक्षाओं में विन्ध्यप्रदेश अब भी धड़क रहा है।

(बुलेटिन का मुद्रणीय तर्जुमा)

-"विन्ध्य प्रदेश की समस्या पर समाजवादी नेताओं का वक्तव्य



ऐतिहासिक दस्तावेजी बुलेटिन जिसे सोशलिस्ट पार्टी ने मुंबई से जारी किया था।



बंबई ४ जनवरी १९५० (January 4, 1950)

 साथी जयप्रकाश नारायण प्रधानमंत्री समाजवादी पार्टी, साथी अशोक मेहता प्रधानमंत्री हिन्द मजदूर सभा और साथी राममनोहर लोहिया सभापति हिन्द किसान पंचायत ने निम्न वक्तव्य दिया है।



विभाजन से पहले का वक्तः कम से कम जहां तक टेलीफोन और तार का संबंध है, सरकार ने रीवा पर पर्दा डाल दिया है। अंतिम खबर २ जनवरी के दोपहर की है जिसमें ४ मरे २५ से (4 dead 25 injured) अधिक घायल और २५० गिरफ्तार बताए गए हैं। २ जनवरी की रात को इलाहाबाद से टेलीफोन में बताया गया कि गिरफ्तारियां और मरने वालों की संख्या बढ़ गई और विन्ध्य के बहुत से हिस्सों में मार्शल लॉ के हालात हैं। यह स्पष्ट है कि रोमांचकारी घटनाएं घट रही हैं। विन्ध्यप्रदेश का प्रश्न साधारण है। उस हिस्से में पार्लियामेंट के लिए कोई चुनाव नहीं हुए। करीब दो साल से भारत सरकार और कांग्रेस की तानाशाही चल रही है। उन्होंने प्रांत का निर्माण किया और मिनिस्ट्री नामजद की। इन नामजद लोगों को उन्होंने अलग किया और फिर इन्हीं में से कुछ को भारतीय पार्लियामेंट में प्रतिनिधित्व करने के लिए नामजद किया। और अब इस प्रांत के विलियन और विभाजन के निर्णय पर पहुंचे हैं।

 



अशोक मेहता



ऐसे उठी मताधिकार की मांगः यदि दिल्ली के लोगों का पिछला इतिहास बेशर्मी के साथ भ्रष्टाचार और अयोग्यता का रहा है, तो भारत सरकार की विन्ध्य के पड़ोसी सरकारों के साथ हाल ही की बैठकें हद दर्जे की गुटबंदी का परिचय देती हैं जैसे की जनता बिक्री की सामग्री हो जिसके लिए पड़ोसी लड़ रहे हों। दो सालों से बराबर सोशलिस्ट पार्टी और किसान पंचायत ने बार-बार यह कहा है कि शताब्दियों से इकट्ठे हुए कूड़े की एक मात्र दवा बालिग मताधिकार के अनुसार चुनाव हैं। विन्ध्य के तोड़े जाने के अभी के प्रश्न पर भी चुनाव की मांग की गई जिससे कि प्रांत की जनता के प्रतिनिधि उसके भविष्य का निर्णय कर सकें।  किंतु परिस्थिति गिरती ही गई और स्वतंत्र भारत की सरकार ने पुरानी रियासतों की जनता के साथ वैसे ही तानाशाही का बर्ताव किया है जैसा कि अंग्रेज सरकार किया करती थी और अब एक विस्फोट हो गया। हमें यह याद रखना चाहिए कि किसान पंचायत और समाजवादी पार्टी ने पहले भी किसानों की बेदखली के खिलाफ मोर्चा लिया था जिसमें बहुत सी गिरफ्तारियां और निर्वासन भी हुए थे किंतु सफलता अंत में उन्हीं की रही। प्रजातंत्र और तानाशाही का यह साधारण प्रश्न जो कि इतनी नृशंसता के साथ विन्ध्य में उठाया गया है। पुरानी रियासतों की तमाम जनता पर बराबर असर रखता है। मध्यप्रांत, उड़ीसा और बांबे की धारा सभाओं में एक बहुत ही भद्दे तरीक़े से विलीन रियासतों की जनता के प्रतिनिधि नामजद किए गए हैं। एक नामजद मिनिस्ट्री राजस्थान में काम चला रही है जिसने कि सुआना के हत्याकांड में एक शांत जन समूह से २० जानें भेंट ली।



विंध्य की आग शांत नहीं हो सकतीः विन्ध्य की समस्या हमारे सामने एक महान देशव्यापक प्रश्न उपस्थित करती है। भारत आज एक बहुत बड़ा गरीबों का घर है जिसमें गरीबी और निराशा से कुचले हुए अरमानों वाले निवासियों से दासता या मृत्यु के बीच चुनाव करने के लिए कहा जाता है। कृषि और व्यापार की समस्याओं को हल करने में अपनी हार न मानते हुए सरकार जनता को गोलियों का भोजन दे रही है। राष्ट्र की नींव मजबूत करने के बहाने वे गरीबी की नींव मजबूत कर रहे हैं। भारत की जनता जो दो वर्ष पहले एक विदेशी शासन को फेकने की शक्ति रखती थी निकट भविष्य में अवश्य उसी ताकत को प्राप्त करेगी। विन्ध्य कृषि और व्यापार की समस्याओं को सुलझाते हुए अपनी जनता की तकलीफों को दूर करना चाहता है।  जब तक कि सरकार रीवा हत्याकांड के प्रति जिम्मेदार अधिकारियों को मुअत्तिल नहीं करती, एक कानूनी जांच नहीं बैठाती, क्रूर शासन का अंत और चुनाव का निर्णय नहीं करती, विन्ध्य की आग शांत नहीं हो सकती, वह अवश्य फैलेगी। "सारे संसार के समक्ष विन्ध्य की समस्या एक महान प्रश्न उपस्थित करती है कि या तो वह अपनी दीन-हीन दशा में संतोष किए बैठा रहे या उसको सुधारने के लिए हिंसात्मक जनक्रांति का सहारा ले"।  लोगों को इस पर ध्यान देना चाहिए कि शांतिमय परिवर्तन के तीसरे मार्ग का अनुसरण करने की ही वजह से यह विन्ध्य  रक्तरंजित है।हम १५ जनवरी (January 15) को तमाम भारतवर्ष में विन्ध्यदिवस मनाने का आवाहन करते हैं जिसमें कि जुलूस निकाले जांय, सभाएं की जांए तथा विन्ध्य के आंदोलन और पीड़ितों के लिए धन इकट्ठा किया जाए। राममनोहर लोहिया जिन्होंने २८ दिसम्बर को रीवा म्युनिसिपल कमेटी के द्वारा संचालित एक महती सभा में विन्ध्य की समस्या पर प्रकाश डाला था ६ जनवरी की बांबे मेल से रीवा के लिए रवाना हो रहे हैं।"

 समाजवादी पार्टी रीवा (वि.प्र.)


Dr. Ram Manohar Lohia जयराम शुक्ल Vindhya Pradesh Jairam Shukla विंध्यप्रदेश डॉ राममनोहर लोहिया ऐतिहासिक बुलेटिन जयप्रकाश अशोक मेहता Historical Bulletin Jai Prakash Ashok Mehta