डॉ दामोदर जैन। शिक्षक दिवस के अवसर पर सम्मान समारोह आयोजित करना अब शिक्षकों को समाज और सरकार दोनों की ओर से एक दिवसीय मनोरंजन जैसा लगने लगा है। ऐसा करना अब उनके जख्मों पर नमक छिड़क देने वाला है। जब शिक्षकों की सामूहिक छवि खराब मानकर नाना प्रकार के नए— नए प्रयोग करते हुए शिक्षकों को बार— बार परीक्षा देने के लिए विवश किया जा रहा हो, तब ऐसे में यह प्रश्न स्वाभाविक है कि आखिर क्यों शिक्षक दिवस पर उनका स्वागत— सम्मान किया जाता है? अभी सीएम राइज स्कूल में पढ़ाने के लिए शिक्षकों के चयन के लिए प्रक्रिया शुरू होगी। जिसमें कहा गया है कि इनमें काम करने के लिए कार्यरत शिक्षकों को परीक्षा देना होगी। जो पहले से कार्यरत हैं उनको भी परीक्षा देना होगी! इसका मतलब है कि शिक्षक अयोग्य हैं। क्या कभी किसी नए शिक्षा कार्यालय में काम करने के लिए किसी अधिकारी की परीक्षा ली जाती है?
बेहतर होता सभी शिक्षक अपना स्कूल अच्छा करते
कितना अच्छा लगेगा कि शिक्षक दिवस पर सम्मानित होने वाले सभी शिक्षकों को सरकार योग्यता के आधार पर सीएम राइज स्कूल में काम करने का अवसर दे। जिनको राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता होने और राज्यपाल पुरस्कार विजेता होने का गौरव प्राप्त हो गया है, वे तो सक्षम हैं ही। उनकी सहमति की भी जरूरत नहीं है। यदि इसके अलावा भी शिक्षकों की जरूरत है तो जिला स्तर पर सम्मानित शिक्षकों को प्रोत्साहित करते हुए सीएम राइज स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार कीजिए। बार— बार शिक्षकों की परीक्षा से मनोबल गिरता है। परीक्षा के बाद जिनका चयन नहीं किया जाएगा, उनके बारे में चिंता करना चाहिए। कितना अच्छा होता कि सरकार सीएम राइज स्कूल बनाने की बजाय सभी शिक्षकों के साथ समान रूप से ऐसा कोई प्रावधान करती कि वे जिस स्कूल में कार्यरत हैं उसे ही बेहतर बनाने में सफल हो सकते। कुछ स्कूलों को बेहतर बनाने का सीधा असर उन स्कूल के शिक्षकों पर पड़ता है जो किसी योजना का अंग नहीं हो पाते।
पहल कुछ बढ़कर हो
लोकतंत्र के लिए ऐसे निर्णय सही नहीं कहे जा सकते। शिक्षक दिवस देशभर के शिक्षकों को प्रोत्साहित करने वाले दिवस के रूप में मान्य है। इस दृष्टि से जरूरी है कि सरकार और समाज को शिक्षक दिवस समारोह में ऐसी पहल करना चाहिए कि उनके लिए कुछ नहीं; सारे स्कूल और सारे शिक्षक सम्मान के योग्य हैं; कुछ नहीं। ( लेखक, शिक्षक संदर्भ समूह के समन्वयक और एनसीईआरटी के पूर्व सदस्य हैं।)