ईश्वर किसी को भी बिना प्रतिभा के इस दुनिया में भेजता ही नहीं

ज्यादातर लोग बार-बार अपने काम और अपने पेशे में कमियां ढूंढते रहते हैं। हममें से ज्यादातर लोग जो करना चाहते थे… वो कर नहीं पा रहे हैं और जो कर रहे हैं… वो करना नहीं चाहते...

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Anand Pandey
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Anand Pandey Photograph: (thesootr)

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इन दिनों हममें से ज्यादातर लोग एक बहुत ही कॉमन परेशानी से बेहद परेशान हैं। और वो परेशानी है- हममें से ज्यादातर लोगों का अपने काम से नाखुश रहना। यानी हम जो भी कर रहे हैं... बड़े बेमन से कर रहे हैं। इसीलिए ज्यादातर लोग बार- बार अपने काम और अपने पेशे में कमियां ढूंढते रहते हैं। बल्कि मैं तो यहां तक कहता हूं कि हममें से ज्यादातर लोग जो करना चाहते थे… वो कर नहीं पा रहे हैं और जो कर रहे हैं… वो करना नहीं चाहते...। और इस सबका नतीजा क्या निकल रहा है… फ्रस्ट्रेशन… तनाव... कुंठा और पेशेगत नाकामी...। 

हमने कोशिश ही नहीं कि नैसर्गिक प्रतिभा को खोजने की...

सवाल ये है कि ऐसा हो क्यों रहा है ? इसका बड़ा सीधा सा जवाब ये है कि- हमने अपनी तासीर यानी अपने मिजाज या अपनी फैब्रिक या यूं कहें कि ईश्वर और प्रकृति ने जिस प्रतिभा और काबिलियत से हमको नवाजा है, उसको पहचान न पाना। हमने कभी कोशिश ही नहीं कि इस नैसर्गिक प्रतिभा को खोजने की… जानने की और पहचानने की। कभी खुद में खोजी ही नहीं वो प्रतिभा..। तो जब हम खोज ही नहीं पाए तो उस प्रतिभा को तराशना तो बहुत दूर की बात है।

आपको अपनी बात एक कहानी से समझाने की कोशिश करता हूं- एक बार जंगल के राजा शेर को शहरों के स्कूल देखकर आइडिया आया कि जंगल में भी स्कूल खोले जाएंगे… और सभी जानवरों को एडमिशन लेना अनिवार्य होगा। सभी जानवर स्कूल आने लगते हैं… फाइनल एक्जाम आते हैं..। मगर ये क्या, मछली सिर्फ एक सब्जेक्ट में पास होती है- स्विमिंग... बाकी सब्जेक्ट मसलन- पेड़ पर चढ़ना… छलांग लगाना और उड़ना सारे सभी में फेल। बंदर भी सिर्फ एक ही सब्जेक्ट में पास हो पाता है… उछलना-कूदना...बाकी हर सब्जेक्ट में फेल..। ऐसा ही हर जानवर के साथ होता है… वो एक सब्जेक्ट में तो पास हो जाता है, लेकिन बाकी में फेल। 

शेर को तत्काल समझ आता है… कि मेरा ये एक्सपेरीमेंट एकदम गलत है। हर जानवर के पास प्रकृति प्रदत्त नैसर्गिक प्रतिभा है… अगर उससे अलग उसको कुछ और करने को कहा जाएगा तो वो बुरी तरह फेल हो जाएगा। बस यही हम लोगों के साथ हो रहा है। हम बिना अपनी नैसर्गिक प्रतिभा को पहचाने… कई बार पिअर प्रेशर में तो कई बार देखा- देखी या दूसरी वजहों से वो करने लग जाते हैं, जिसके लिए हम बने ही नहीं हैं… और इसी वजह से हमारा पोटेंशियल ( POTENTIAL )... परफॉरमेंस (PERFORMANCE) में तब्दील नहीं हो पाता है।
ये पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ी परेशानी है। और हमारे यहां तो और भी बड़ी परेशानी है… क्योंकि विदेशों की तर्ज पर हमारे यहां जरा भी कोई लीक से हटकर कुछ करना चाहता है तो उसे रोक दिया जाता है… या सामाजिक दबाव के चलते वो खुद ही कुछ अलग करने की हिम्मत जुटा नहीं पाता। 

अगर हम आगे जाना चाहते हैं तो हमें अपनी स्वाभाविक काबिलियत को पहचानना ही होगा। अगर आप ऐसा कर पाए… अपनी काबिलियत को पहचान पाए.. तो यकीन मानिए 2025 में आपकी सिर्फ ग्रोथ नहीं, बल्कि फिनॉमिनल ग्रोथ होगी और आप सर्वाइव ( SURVIVE) नहीं, बल्कि थ्राईव (THRIVE) करेंगे। और ये मत सोचिए कि आपमें कोई प्रतिभा है कि नहीं… ऊपर वाले ने आपको किसी हुनर से नवाजा है या नहीं..। ऐसा तो होता ही नहीं है… ईश्वर किसी को भी बिना प्रतिभा या हुनर के इस दुनिया में भेजता ही नहीं है। इसीलिए तो कहा भी जाता है- GOD DOESN'T CREATE GARBAGE… यानी ईश्वर कचरा नहीं बनाता...। मेरे इस कथन की तस्दीक ये श्लोक भी बखूबी करता है...

अमंत्रमक्षंर नास्ति, नास्ति मूलमनौशधम
अयोग्य: पुरुषो नास्ति, योजकस्तत्र दुर्लभ:

और इसका मतलब ये है कि जिस तरह बिना मंत्र शक्ति के कोई अक्षर नहीं है… बिना औषधीय शक्ति के कोई पौधा नहीं है, वैसे ही कोई कोई मनुष्य अयोग्य नहीं होता है… सिर्फ जरूरत होती है ऐसे व्यक्ति की जो प्रतिभा को पहचान कर उसका उपयोग कर सके...। और अपनी प्रतिभा को पहचानने के लिए आप से बेहतर कोई और कौन हो सकता है ? विचार मंथन

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पत्रकार आनंद पांडेय