शक्ति और संयम का संतुलन सिखाते हैं मां दुर्गा के 9 रूप

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The Sootr CG
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शक्ति और संयम का संतुलन सिखाते हैं मां दुर्गा के 9 रूप

प्रवीण कक्कड़. शक्ति पूजा का पर्व नवदुर्गा उत्सव प्रारंभ होने वाला है। देश में हर्षोल्लास का वातावरण है। शक्ति यानी रचयिता जिसमें रचने की शक्ति हो, जिसमें निर्माण की शक्ति हो, जिसमें संहार की शक्ति हो। नवदुर्गा के 9 रूप ऐसी ही शक्ति का प्रतीक हैं। दुर्गा सप्तशती ग्रंथ के अन्तर्गत देवी कवच स्त्रोत के श्लोक में नवदुर्गा के नाम क्रमश: दिए गए हैं-मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि महागौरी और मां सिद्धिदात्री। मां नवदुर्गा के ये 9 रूप हमें सांसारिक जीवन में शक्ति और संयम का संतुलन सिखाते हैं।



साल में 2 बार होती है नवदुर्गा की पूजा



जब शक्ति अनियंत्रित होती है तो विनाश होता है। नियंत्रित शक्ति (संयम) रचना करती है, निर्माण करती है। अराजक शक्ति समाज को नष्ट करती है। वीतराग शक्ति सन्यास और त्याग का मार्ग प्रशस्त करती है। न्याय शक्ति लैंगिक, आर्थिक, सामाजिक समानता की प्रेरणा देती है। प्रतिवर्ष 2 बार 9 दिन के लिए हम नवदुर्गा की पूजा करते हैं। वसंत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दोनों विशेष समय खास तौर पर मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते हैं। त्यौहार की तिथियां चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं।



शारदीय नवरात्र देश का सबसे बड़ा उत्सव



शारदीय नवरात्र इस देश का सबसे बड़ा उत्सव भी है। यूनेस्को ने इसे विश्व की सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया है। विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां वर्ष में दो बार स्त्री शक्ति की पूजा होती है। कन्याओं को भोजन कराया जाता है। नव दुर्गा के नव रूपों की उपासना होती है। भारत की संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण अंग है शक्ति पूजा। यही कारण है कि पवित्र शक्ति पीठ पूरे भारत के अलग-अलग स्‍थानों पर स्थापित हैं। पुराण में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं।



मां को प्रसन्न करने के लिए नृत्य साधना



नवरात्र के दौरान कुछ भक्त उपवास रखकर मैया को प्रसन्न करते हैं तो कुछ मंदिरों में पहुंचकर देवी की आराधना में लीन रहते हैं। कई घरों में भी कलश की स्थापना कर मैया की भक्ति की जाती है। कहीं मैया के मंदिरों के बाहर मेले लगते हैं तो कहीं गरबों की गूंज सुनाई देती है। नवरात्र के शुरू होते ही देशभर में गरबा और डांडिया रास का रंग चारों ओर बिखरने लगता है। मां दुर्गा को प्रसन्‍न करने के लिए जगह-जगह गरबा नृत्‍य और डांडिया रास का आयोजन किया जाता है। खूबसूरत पारंपरिक पोशाक और डांडियों की खनक नवरात्र के इस माहौल को और भी खुशनुमा बना देते हैं। नवरात्र के 9 दिन में मां को प्रसन्‍न करने के उपायों में से एक है नृत्‍य। शास्‍त्रों में नृत्‍य को साधना का एक मार्ग बताया गया है। गरबा नृत्‍य के माध्‍यम से मां दुर्गा को प्रसन्‍न करने के लिए देशभर में इसका आयोजन किया जाता है।



आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन और कन्या भोज



नवरात्र पर्व के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन और कन्या भोज किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से 9 कन्याओं की पूजा की जाती है, जो देवी नवदुर्गा के 9 रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। हिंदू दर्शन के अनुसार इन कन्याओं को सृजन की प्राकृतिक शक्ति की अभिव्यक्ति माना जाता है।



धरती की हर नारी शक्ति का स्वरूप



आज शक्ति की साधना तो हम सभी कर रहे हैं किंतु लैंगिक समानता के धरातल पर हम सब अभी भी लक्ष्य तक नहीं पहुंच सके हैं। देश में शक्ति पूजा पर्व मनाने के बावजूद हम स्त्री-पुरुष भेदभाव रोकने में असफल रहे हैं। स्त्रियों के प्रति अपराध और सामाजिक दूषण लगातार बढ़ रहा है। इस शक्ति पर्व में यही विचारणीय प्रश्न है। इस धरती की हर नारी शक्ति का स्‍वरूप है जिस तरह हम नवरात्रि में मातृ‍शक्ति के अनेक स्‍वरूपों का पूजन करते हैं, उनका स्‍मरण करते हैं। उसी प्रकार नारी के गुणों का हम सम्‍मान करें। हमारे परिवार में रहने वाली माता, पत्‍नी, बहन, बेटी के साथ ही समाज की हर नारी को सम्‍मान दें। तभी मां शक्ति की आराधना की सच्‍ची सार्थकता साबित हो सकेगी।


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