अक्षत शर्मा @ भोपाल.
डॉ. मोहन यादव का मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुना जाना सभी के लिए अचंभित करने वाला निर्णय था, जब केंद्र व संगठन ने स्थापित मानकों को तोड़कर उन्हें प्रदेश का नेतृत्व सौंपा गया था और अब जब उनके नेतृत्व में प्रदेश और अब सरकार नौ महीने पूरे करने जा रही है तो यह विश्वास से कहा जा सकता है कि उनकी जिस नैसर्गिक प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता, सार्थक सोच और सबको साथ लेकर चलने की उनकी क्षमता पर विश्वास किया गया, उस पर वे पूर्णरूपेण खरे उतरे हैं।
जिस मध्यप्रदेश के मूल में ही समृद्ध परंपरा, शौर्य पराक्रम, अद्वितीय चिंतन-दर्शन और राष्ट्र के स्वाभिमान की अलख जगाने वाले अनेक संत महात्मा, महापुरुषों का अनुकरणीय जीवन हो, उस प्रदेश में महाकाल की नगरी, श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली, चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य का शौर्य सुशासन का स्थान और महाकवि कालीदास की कालजयी रचनाओं का नगर उज्जैन का प्रभाव व संस्कार डॉ.मोहन यादव की कार्यशैली तथा सोच पर स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। महाराजा विक्रमादित्य से उनका लगाव इसी बात से समझा जा सकता है कि मध्यप्रदेश के सरकारी कैलेंडर में भी विक्रम संवत को शामिल किया गया। कालगणना के प्रमुख केंद्र उज्जैन में वैदिक घड़ी की स्थापना की गई। धर्म-दर्शन-अध्यात्म के साथ प्रदेश में नवाचार को भी उतनी ही प्राथमिकता देने का उनका प्रयास स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
उन्होंने प्रदेश की आर्थिक उन्नति और विकास को गति देने के लिए रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव कर देश के प्रमुख उद्योगों को मध्यप्रदेश में निवेश करने का आह्वान किया। जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन में इन कॉन्क्लेव का अच्छा प्रतिसाद भी मिला। फरवरी 2025 में भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन में इन क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मेलनों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। वर्ष 2025 को उद्योग वर्ष बनाने की घोषणा भी मुख्यमंत्री कर चुके हैं। 2028 में आने वाले सिंहस्थ को एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन बनाने के लिए अभी से ही तैयारी शुरू हो गई है। इसी कड़ी में सरकार के धर्मस्व विभाग को उज्जैन स्थानांतरित करने से इस नगरी का धार्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप और बढ़ाने में सहूलियत होगी। उज्जैन में औद्योगिक निवेश भी बढ़े, पर इसकी पहचान भारत ही नहीं विश्व के प्रमुख धार्मिक सांस्कृतिक नगर के रूप में हो, इसका भी ध्यान रखना होगा।
गर्भकाल …
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भारत 2027 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। देश की अर्थव्यवस्था में राज्य के पांच प्रतिशत योगदान का लक्ष्य प्राप्त करने का संकल्प उनकी इन्हीं दूरदर्शी नीतियों व सुशासन के माध्यम से पूर्ण होगा। विगत आठ महीनों में मोहन सरकार ने देश के विकास लक्ष्यों में मध्यप्रदेश के योगदान को बढ़ाने के उद्देश्य से अनेक नीतिगत निर्णय लिए हैं और उन पर वर्तमान में अमल करने पर भी जोर है, जिससे प्रदेश का भविष्य उज्ज्वल हो।
सत्ता और संगठन के बीच संतुलन को बखूबी संभालने से उनके काम को और गति मिली है। पार्टी के प्रत्येक आम कार्यकर्ता, पदाधिकारी व सामान्य जनता से भी उनका संवाद व व्यवहार पार्टी व सरकार को और मजबूती प्रदान कर रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के 18 वर्ष के कार्यकाल में उनकी सहज सरल छवि व जनता से जुड़ाव ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में सफलता दी और वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आमजन के साथ सीधा संवाद स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है। हालांकि उन्हें सत्ता के शिखर पर पहुंचे हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ, परंतु उनकी कार्यशैली व अनथक मेहनत ने भविष्य में मजबूत मध्यप्रदेश की नींव रखना आरंभ कर दी है।
प्रशासनिक सजगता व अधिकारियों से काम करा लेने की क्षमता उन्हें विशिष्ट स्थान प्रदान करती है। त्वरित निर्णय लेना और उस पर तुरंत कार्रवाई करना और दृढ़ता से उस पर कायम रहना, यह उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति, गतिमान कार्यशैली का ही परिणाम है। इसका उदाहरण हाल ही में हमें छतरपुर की घटना में देखने को मिला, जब थाने पर भीड़ के हमले में तुरंत कार्रवाई के निर्देश करते हुए उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि प्रदेश की शांति सौहार्द को बिगाड़ने वालों पर सख्ती बरती जाएगी।
मध्यप्रदेश कृषि क्षेत्र में सोयाबीन, चना और गेहूं उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। उसके लिए किसानों व गांवों का विकास प्राथमिकता पर हो, यह प्रयास स्पष्ट दिखता है।
महिलाओं के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना, लाड़ली बहना योजना, मातृवंदना योजना, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के माध्यम से देश की आधी आबादी को न सिर्फ सामाजिक, आर्थिक सशक्तीकरण होगा, वरन लैंगिक समानता व सामाजिक न्याय को भी बढ़ावा मिलेगा।
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के मामले में प्रदेश की प्रगति उल्लेखनीय है। विश्व बैंक भी इसकी सराहना कर चुका है।
मुख्यमंत्री पहले स्वयं शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं, इसलिए यह विभाग उनके लिए विशेष स्थान रखता है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और माता-पिता को इस बात की चिंता ना हो कि उनकी संतान की शिक्षा के लिए अधिक पैसे की व्यवस्था करनी है, यह उनका प्रयास है।
मध्यप्रदेश को लॉजिस्टिक हब व रक्षा सामग्री उत्पादन के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने का लक्ष्य दूरगामी सोच का ही परिणाम है।
पारंपरिक शिक्षा के साथ एआई, मशीन लर्निंग व कोडिंग जैसी आधुनिक शिक्षा व प्रदेश के 55 जिलों में पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने का लक्ष्य नवाचार व उद्यमिता को बढ़ावा देगा।
इसके साथ की प्रदेश में एक्सप्रेस-वे का विस्तार विकास को और गति प्रदान करेगा। गोवंश रक्षा, सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी, श्रीअन्न को बढ़ावा, बिजली में आत्मनिर्भरता, श्रमिकों का उत्थान, बेघर को घर इस तरह की अनेक प्राथमिकताओं के साथ डॉ.मोहन यादव का यह नौ महीनों का कार्यकाल भविष्य में प्रगतिशील व समृद्ध मध्यप्रदेश की आधारशिला रखता हुआ प्रतीत हो रहा है। यह प्रयास प्रदेश के लिए कल्याणकारी हो और आने वाली चुनौतियों पर वे विजय हासिल कर सकें, यही ईश्वर से कामना है।
(लेखक स्वदेश, भोपाल के मैनेजिंग एडिटर हैं। इस लेख में उनके निजी विचार हैं।)
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