बिहार एनडीए में खरमंडल हो गया। अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा जिस दिन बुलंद हुआ था, उस दिन भाजपा सत्ता छोड़ो के शंखनाद के साथ भतीजा अपने पलटू चचा की गोद में फिर खेलने लगा। चचा का वाकई कोई सानी नहीं है। वे इधर रहें या उधर, कुर्सी उन्हीं के पास रहती है। जातीय जमीन वाले बिहार में चचा की जाति इतनी भी नहीं है कि अपने दम पर वो पार्षद का चुनाव भी जीत सकें, मगर विधान परिषद के रास्ते बिहार सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर चचा पूरी हनक के साथ विद्यमान हैं। इसे चचा का हुनरमंद राजनीतिक चातुर्य कहें या सियासत में लगातार हो रहे नैतिक पतन की पराकाष्ठा का एक और बेशर्म उदाहरण। ये जनता जनार्दन की जुगाली के लिए छोड़ता हूँ। हाँ राय तभी बनाना जब याद रखना कि चचा, लालू के साथ लड़े थे। फिर लालू को गरियाते हुए भाजपा के साथ गए। अब फिर भाजपा को गरियाते हुए लालू के गले लगे।
नैतिकता की कसौटी सब पर कसो
सत्ता की सरपरस्ती में इसे एक और मौकापरस्ती कहें तो कहें, मोटी खाल है, क्या फर्क पड़ता है। ये भी याद रखना कि एमपी में भाजपा ने कैसे कांग्रेस से सत्ता चुराई, कैसे गोवा में, महाराष्ट्र में सरकार बदली। कैसे झारखंड में खेला करने की कोशिश है। नैतिकता की कसौटी पर सब कसो। सब पढ़ो। तब गढ़ो। मजबूत लोकतंत्र के लिए तुम्हारा जागना जरूरी है। आँखें खुला रखना जरूरी है। बुद्धि, विवेक को मांझते रहना जरूरी है।
शुरू होगा शह-मात का खेल, राजा खोलेगा बही-खाता
सीएम की कुर्सी से उबियाए चचा अब पीएम की कुर्सी पर बैठना चाहते हैं, सो बिसात बिछ रही है। पहली चाल में चचा ने भाजपा को मात दी है। अब शतरंजी बिसात पर उनके मोहरे तेजी से शह और मात खेलेंगे। पैदल, बिसात पर दौड़ेगा। ऊँट हाथी को पीटेगा। इस संग्राम के बीच राजा हिसाब किताब कर रहा होगा। अपने मंत्रियों से पूछ रहा होगा, कौन कौन से केस पेंडिंग हैं। सृजन घोटाले में सीबीआई जांच कहां तक पहुंची। सीताराम सिंह मर्डर केस में पटना हाईकोर्ट ने चचा के खिलाफ केस खारिज कर दिया था, उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है या नहीं। आदि, इत्यादि। राज्य स्तर पर भी सीआईडी को सुपर एक्टिव कर दिया जायेगा। इधर से किसी को अंदर किया गया तो उधर से भी अंदर कर दिया जायेगा। मुर्दाबाद, ज़िंदाबाद सुनाई देने लगेगा।
अबकी बार युद्ध घनघोर होगा
बिसात पर बिछे मोहरे 2024 लोकसभा चुनाव तक लड़ भिड़ कर बिछ गए होंगे। फिर शुरू होगा आमना सामना। राजा के बीच शह, मात का खेल। चचा ने तब तक इधर उधर छिटके विपक्षियों को एकजुट कर लिया, माहौल बना लिया तब तो ठीक... नहीं तो युद्ध घनघोर होगा। एक हारेगा। एक जीतेगा। दिल्ली पर फतह का यह सुपर मुकाबला होगा। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)