राजेश शर्मा,धार
कल्पना मात्र से सिहर उठता है हर कोई। उम्मीद की किरण दूर-दूर तक नही,सूनापन ऐसा कि रूह काँप उठे। चारों और बस अंधकार और अनिश्चितता। हर दिन सूरज उगता और ढलता है, लेकिन वहां अंतरिक्ष में,समय जैसे थम गया हो। नौ महीने तक अकेले रहना। न कोई अपना, न कोई आवाज़,बस धैर्य की परीक्षा। हर पल मौत मानों मुहाने पर खड़ी थी,पर हौसला अटूट था। मानों अदम्य हौसले और धैर्य से नया इतिहास लिखना है। साल 2025 की 19 मार्च सामान्य तिथि और दिन नही,बल्कि एक ऐसी ऐतिहासिक घड़ी जो दुनिया भर को आंदोलित करती रहेगी। इन मशहूर पंक्तियों की तरह..
" कहिए तो आसमां को ज़मीं पर उतार लाएं, मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए "
अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर के लिए ये 9 महीने सिर्फ समय नहीं थे, बल्कि हर पल अपने इरादों को और मजबूत करने की घड़ी थी। जब तकनीकी खराबी ने उनकी धरती पर वापसी की राह कठिन बना दी। तब भी उन्होंने हार नहीं मानी। हर दिन,अपने अंदर के डर को हराकर,खुद को संभाला।
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सुनीता ने रिसर्च जारी रखी और मन में भरोसा बनाए रखा,..मैं लौटूंगी। धरती पर लोग उनकी बहादुरी की कहानियाँ सुन रहे है। उनके साहस की मिसालें दी जा रही है। हर कोई उनसे प्रेरणा ले रहा है कि मुश्किलें आएंगी, लेकिन आत्मविश्वास के आगे कोई भी बाधा टिक नहीं सकती।
वह दिन आया अंतरिक्ष यान से बाहर कदम रखते ही उनकी आँखों में खुशी के आंसू थे। लेकिन चेहरे पर वही आत्मविश्वास था, जो उन्होंने हर कठिन घड़ी में बनाए रखा था। सुनीता ने दुनिया को सिखाया कि धैर्य,साहस और आत्मविश्वास के आगे कोई भी कठिनाई टिक नहीं सकती। जब मन में दृढ़ निश्चय हो, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं!
ये दोनों अंतरिक्ष यात्री जून 2024 से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे हुए थे। दोनों एक सप्ताह के लिए ही गए थे लेकिन अंतरिक्ष यान से हीलियम के रिसाव और वेग में कमी के कारण अंतरिक्ष स्टेशन पर नौ महीनों तक रुकना पड़ा था।
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अविस्मरणीय रहेगा सुनीता का रचा इतिहास
सदियों तक सुनीता विलियम्स नया इतिहास रचने के लिए याद की जाएंगी। एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने असाधारण उपलब्धि के दम पर मानों दुनिया भर के अनुसंधानकर्ताओं,वैज्ञानिकों और नासा जैसे दुनियाभर के संगठनों को अचंभित कर डाला। अंतरिक्ष से घर पहुंचे धरती के सितारे अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर आज सुर्खियों में है।
भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने नारी शक्ति को भी आल्हादित और उत्साहित करने का अवसर दिया है। शक्ति का प्रतीक नारी आसमान से जमीन तक अपनी सफलता का परचम फहरा रही है। तभी तो कहा गया..
" वाकिफ कहां जमाना हमारी उड़ान से,वो और थे जो हार गए आसमान से "
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