विचार मंथन@प्रवीण कक्कड़. पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिये हम काफी बातें करते हैं। क्या वाकई में हम इस पृथ्वी को बचाना चाहते हैं। अगर आपका जवाब हां है तो हमें चिंतित होने की जरूरत है, क्योंकि पर्यावरण संरक्षण मे आज सबसे बड़ा खतरा बन चुका है प्लास्टिक प्रदूषण।
5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की थीम 'प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना' है, जो इस गंभीर मुद्दे की अहमियत को दर्शाती है। प्लास्टिक बेशक हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है, अब यही प्लास्टिक हमारे अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बन गया है। अगर हमने समय पर प्लास्टिक के ख़िलाफ़ कोई ठोस कदम नहीं उठाए, तो शायद बहुत देर हो जाएगी।
प्लास्टिक प्रदूषण: एक साइलेंट किलर
1. प्लास्टिक क्यों है खतरनाक?
- अपघटन में सैकड़ों साल: एक प्लास्टिक बैग को गलने में 450 से 1000 साल लगते हैं ।
- समुद्रों का दुश्मन: समुद्र में हर साल मिल रहा 2,200 एफिल टावर्स के वजन बराबर 11 मिलियन टन प्लास्टिक।
- माइक्रोप्लास्टिक का खतरा: प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण भोजन, पानी और पंहुच रहे हमारे खून में।
2. हमारी लापरवाही के परिणाम
- जीव-जंतुओं की मौत: समुद्री कछुए, व्हेल और पक्षी प्लास्टिक को भोजन समझकर खा लेते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है ।
- मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: प्लास्टिक में मौजूद केमिकल्स से कैंसर, हार्मोनल असंतुलन और प्रजनन संबंधी समस्याएँ।
हम क्या कर सकते हैं?
1. प्लास्टिक का उपयोग कम करें
- रीयूजेबल बैग और बोतलें इस्तेमाल करें: हर साल सिंगल यूज 500 अरब प्लास्टिक बैग्स का उपयोग, इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाते हैं ।
- सिंगल-यूज प्लास्टिक से बचें: प्लास्टिक स्ट्रॉ, कटलरी और कप का विकल्प चुनें ।
2. रीसाइक्लिंग को अपनाएँ
- प्लास्टिक वेस्ट को अलग करें: भारत में केवल 60% प्लास्टिक कचरा ही रीसाइकिल हो पाता है ।
- इनोवेटिव आइडियाज़ को सपोर्ट करें: प्लास्टिक से टाइल्स, थर्माकोल और अन्य उपयोगी चीजें बनाने की तकनीकें विकसित हो रही हैं ।
3. जागरूकता फैलाएँ
- सोशल मीडिया का उपयोग करें: #BeatPlasticPollution जैसे हैशटैग के साथ अपने अनुभव शेयर करें ।
- स्कूल और कम्युनिटी में प्लास्टिक मूक्त कार्यक्रम आयोजित करें: नुक्कड़ नाटक, पोस्टर प्रतियोगिताएँ और स्वच्छता अभियान चलाएँ ।
आपका एक कदम, पृथ्वी के लिए वरदान
प्लास्टिक प्रदूषण कोई दूर की समस्या नहीं है, यह हमारे दरवाज़े तक पहुँच चुकी है। अगर सार्थक पहल की जाए तो इसे रोका जा सकता है! इस विश्व पर्यावरण दिवस पर, आइए संकल्प लें कि हम अपनी दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव कर प्लास्टिक प्रदूषण को हराने मे सहयोग करेंगे।
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