मप्र लोक सेवा आयोग ( MPPSC ) ने असिस्टेंट प्रोफेसर ( Assistant Professor ) के 1669 पदों पर भर्ती के लिए दिसंबर 2022 में विज्ञापन निकला था। परीक्षा शेड्यूल के मुताबिक परीक्षा का पहला चरण जनवरी 2024 तक हो जाना था लेकिन फिलहाल इस परीक्षा का कोई ठिकाना ही नहीं है। बात पहले चरण की करें तो पहले चरण में 826 पदों के लिए परीक्षा होनी थी लेकिन उम्र सीमा में छूट पाने का केस हाईकोर्ट में लगा दिया गया जिसके बाद परीक्षा ही फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई। इस मामले में सरकार का रवैया भी समझ से परे है..सरकार खुद ही ये तय नहीं कर पा रही है कि आखिर उसे करना क्या है..क्या उसे परीक्षा में उम्र सीमा में छूट देनी है या फिर हाईकोर्ट में रीट याचिका लगानी है। इस मामले में पीएसी का अपना तर्क है...पीएससी का कहना है कि वो इस बारे में सरकार को लेटर लिखा चुका है..वहां से जवाब आएगा तब आगे की कार्यवाही की जाएगी। अब जरा पूरा मैटर समझने की कोशिश कीजिए...
क्या है मामला ?
हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में याचिकाकर्ता ने तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान की सरकार में जारी अतिथि शिक्षकों को भर्ती परीक्षा में दी गई उम्र सीमा में दस साल की छूट का हवाला देकर असिस्टेंट भर्ती परीक्षा में शामिल होने की मांग की, जिसे ग्वालियर हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया और याचिकाकर्ता को परीक्षा में बैठने के पात्र बताया। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि आयोग ने 20 दिसंबर 2022 को नोटिफिकेशन जारी किया था, इसके मुताबिक 48 साल वाले अतिथि विद्वान ही इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। 6 अक्टूबर 2023 को शासन ने दस साल की छूट दी यानि 58 साल तक के एसटी, एससी, ओबीसी महिला अतिथि विद्वान भी फॉर्म भर सकते हैं। इसके बाद पीएससी ने हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच को जबलपुर हाईकोर्ट की डबल बेंच के एक आदेश का हवाला दिया जिसमें डबल बेंच ने कहा था कि उम्र में छूट अक्टूबर 2023 में दी और परीक्षा का नोटिफिकेशन दिसंबर 2022 में आया...ऐसे में पास्ट यानी पहले लिए गए फैसले में जाकर उम्र सीमा में छूट नहीं ली जा सकती। इसके बाद आयोग ने ग्वालियर बेंच से फैसले को रिव्यू करने को कहा..जिसे हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने ये कहते हुए मना कर दिया कि हम अपने ही फैसले का रिव्यू नहीं कर सकते।
वीडियो और भी हैं...
https://youtu.be/YdG6nowUpRY?si=P1EOsh8DeuqD5eNY