मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। इनमें छह सीटें धार, खरगोन, रतलाम, शहडोल, मंडला और बैतूल लोकसभा सीटें अनुसूचित जनजाति यानी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
क्या आदिवासी बीजेपी ( BJP ) से नाराज हैं ? क्या आदिवासियों के प्रभाव वाली सीटों पर बीजेपी को मुश्किल हो सकती है ? क्या बीजेपी एंटी इनकमबेंसी से जूझ रही है ? क्या दलबदल से खेल बिगड़ रहा है ? जो भी हो पर एक बात तो तय है कि ग्राउंड से रिपोर्ट अच्छी नहीं आई है। यही वजह है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ( RSS ) ने मोर्चा संभाल लिया है। चुनाव से पहले RSS के पदाधिकारी और स्वयंसेवक आदिवासी वोटर्स को सीख दे रहे हैं। अंदरूनी रिपोर्ट है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने भले ही बंपर जीत दर्ज की हो, लेकिन अब ताजे आकलन में पता चला है कि आदिवासी बीजेपी से नाराज हैं। उन्हें साधने के लिए RSS ने जनजागरण अभियान शुरू कर दिया है। अब आइए आपको बताते हैं कि आखिर आरएसएस की रणनीति क्या है....
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ चरण के हिसाब से अभियान चला रहा है। यानी जिन सीटों पर पहले वोटिंग है, पहले वहीं फोकस किया गया है। संघ के स्वयं सेवक एवं पदाधिकारी सुदूर जंगलों में पहुंचकर आदिवासियों को मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। बैठकें की जा रही हैं। आदिवासियों को सरकार की योजनाएं समझाई जा रही हैं।
संघ की बैठक में एक बात ये भी सामने आई है कि जैसे विधानसभा चुनाव में माहौल तो कांग्रेस के पक्ष में था, लेकिन नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए। वैसे ही अब लोकसभा चुनाव में हर तरफ बीजेपी की लहर नजर आती है, लेकिन यही आत्मविश्वास कहीं बीजेपी को नुकसान न पहुंचा दे। इसी आत्मविश्वास की बात शायद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी की थी...नड्डा ने इंदौर में साफ कहा था कि बीजेपी कार्यकर्ता मोदी को करिश्माई व्यक्तित्व मानकर न चलें...जनता हमारे साथ है, हमारी बहुत बड़ी जीत तय है..अगर ऐसा मानकर चल रहे हैं तो खुद के साथ तो अन्याय कर रही रहे हैं पार्टी के साथ भी आप अन्याय कर रहे हैं। दूसरी तरफ बातें शिवराज सरकार के समय लागू पेसा एक्ट की भी हो रही हैं...एक्ट तो लागू हो गया लेकिन आदिवासियों को इसका कोई सीधा फायदा नहीं मिला...इसी का नतीजा है कि बीजेपी के सामने जयस चुनौती पेश कर रहा है...और ये चुनौती बीजेपी की सबसे बड़ी चिंता है...क्योंकि जयस 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ था...जिसका नुकसान भी बीजेपी को उठाना पड़ा था....ऐसे में रणनीतिकार मानते हैं कि बीजेपी को जल्द कोई कदम उठाना होगा...ताकि आदिवासियों के बीच अच्छा मैसेज जाए...वरना काफी देर हो जाएगी।