पश्चिमी देशों में कोरोना के दूसरी और तीसरी लहर के बाद जॉब की स्थिति में बेहतर हुई है। द इकोनोमिस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, रोजगार को लेकर एक बार फिर उत्साह देखने को मिला है। जुलाई में अमेरिका में 9 लाख 43 हजार लोगों को रोजगार दिया गया। यह एक साल की सबसे अच्छी स्थिति है। अमीर देशों में रोजगार को पुराने स्तर पर लौटने में समय लगेगा।
कोरोना की वजह रोजगार की मांग घटी
कामगारों की मांग पहले की तुलना में कम है। बड़ी संख्या में लोग काम से अलग हट गए हैं। महामारी से पहले अमीर देशों में रोजगार के क्षेत्र में उछाल चल रहा था। 1990 से 2019 के बाद में 15 साल से अधिक आयु के लोगों की वर्कफोर्स में सबसे ज्यादा भागीदारी थी। आधे अमीर देशों में 16 से 64 वर्ष की आयु वाले लोगों सबसे ज्यादा काम कर रहे थे। अब स्थिति एकदम उलट है। अमीर देशों में रोजगार से पहले के स्तर से 3% कम है। यानी 80 लाख लोग वर्कफोस से बाहर निकाले गए।
क्यों काम में कमी आ रही है
वायरस के डर से लोग काम से बच रहे हैं। जिन देशों में अधिक वैक्सीनेशन हो चुका है। वहीं लोग होटल, टूरिज्म जैसे हॉस्पिटलिटी सेक्टर में जाने से कतराते हैं। राहत पैकेज और पेंशन ने लोगों को काम पर जाने से रोका है। अमेरिका में गोल्डनमैन सॉक्स की ताजा रिसर्च के मुताबिक देश में रोजगार की दर में गिरावट में 25% हिस्सेदारी लोगों के रिटायर होने की वजह से है। शेयर बाजार में उछाल से कई पेंशन फंड का मूल्य बढ़ा है।