बदलाव: फेसबुक अब Meta हुआ, भारतीय मूल के शख्स ने दिया था नए नाम का सुझाव

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बदलाव: फेसबुक अब Meta हुआ, भारतीय मूल के शख्स ने दिया था नए नाम का सुझाव

न्यूयॉर्क. सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक (Facebook) ने अपना नाम बदल लिया है। अब से दुनिया फेसबुक को 'मेटा' के नाम से जानेगी। 28 अक्टूबर को फाउंडर मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने एक मीटिंग में ऐलान किया। लंबे समय से फेसबुक का बदलने की चर्चा थी। अब उसी प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया।

दोबारा ब्रान्डिंग करना चाहते हैं जकरबर्ग

मार्क जुकरबर्ग लंबे समय से अपनी सोशल मीडिया कंपनी (Social Media Company) की दोबारा ब्रान्डिंग करना चाहते हैं। वे इसे अलग पहचान देना चाहते हैं, जहां फेसबुक को सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के तौर पर ना देखा जाए। अब उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए फेसबुक का नाम बदला गया है। कंपनी का फोकस अब एक मेटावर्स बनाने पर है, जिसके जरिए एक ऐसी वर्चुअल दुनिया का आगाज होगा, जहां ट्रांसफर और कम्युनिकेशन के लिए अलग-अलग टूल का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

नए नाम के मायने?

फेसबुक के फॉर्मर सिविक इंटीग्रिटी चीफ समिध चक्रवर्ती (Samidh Chakrabarty) की तरफ से इस नए नाम का सुझाव दिया गया था। जुकरबर्ग पहले से ही वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी में भारी निवेश (Big Investment) कर रहे थे, ऐसे में उनके लिए अपनी कंपनी का नाम बदल मेटा करना कोई बड़ी बात नहीं थी। 

ग्रीक शब्द से निकला मेटा

1 दिसंबर से कंपनी के शेयरों में FB के बजाय MVRS (मेटा प्लेटफॉर्म इंक) सिंबल से ट्रेडिंग शुरू होगी। जकरबर्ग मुताबिक, मेटा ग्रीक शब्द 'बियॉन्ड' से आया है। यह दुनिया में कंपनी का बेहतरीन प्रतिनिधित्व (Representative) करता है। हमारी कंपनी ऐसी है, जो लोगों को जोड़ने के लिए टेक्नोलॉजी बनाती है। इस बदलाव का मकसद फेसबुक को मेटावर्स कंपनी के तौर पर पेश करना है। इसके बाद फेसबुक का मुख्य सोशल ऐप नए ब्रांडनेम के अंब्रेला में मौजूद होगा।

जकरबर्ग ने ये भी बताया कि इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप सहित कंपनी के दूसरे ऐप और सर्विस नए बेसिक स्ट्रक्चर में ही काम करेंगे। यह री-ब्रान्डिंग वैसी ही होगी, जैसा गूगल ने अल्फाबेट नाम से ऑरिजनल स्ट्रक्चर सेट करने के लिए किया था। हालांकि, अल्फाबेट की तर्ज पर फेसबुक कॉर्पोरेट री-स्ट्रक्चरिंग नहीं करेगी। कंपनी ने कहा है कि हमारी फाइनेंशियल रिपोर्टिंग दो सेगमेंट- रियलिटी लैब्स और फैमिली ऑफ ऐप्स में बंट जाएगी।

नाम बदलने की जरूरत क्यों पड़ी?

कंपनी की तरफ से नाम बदलने का कदम उस समय उठाया गया, जब फेसबुक पर कई गंभीर आरोप लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि कंपनी अपने यूजर्स के डेटा को सेफ नहीं रख पा रही। हाल ही में कंपनी के पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगन ने कुछ सीक्रेट डॉक्यूमेंट लीक कर दिए थे, उसमें ये सामने आया था कि फेसबुक ने यूजर सेफ्टी के ऊपर खुद के मुनाफे को रखा था। मार्क ने जरूर इसे झूठ बता दिया था, लेकिन कंपनी की काफी किरकिरी हुई थी।

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