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BAGHDAD. अब इराक में श्रीलंका जैसे हालात देखने को मिल रहे हैं। 29 अगस्त को शिया मुस्लिम धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र ने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया, जिसके बाद हालात और बिगड़ गए। बगदाद में धर्मगुरु के समर्थकों और ईरान समर्थित लोगों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें 20 लोगों के मारे जाने की खबर है। भीड़ ने राष्ट्रपति भवन और सरकारी इमारतों पर धावा बोल दिया। अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को हेलिकॉप्टर से ग्रीन जोन से बाहर निकाला गया।
Chaos inside the Republican Palace after the Sadrists took control of the palace.
#Iraqpic.twitter.com/7wYVntsPrZ
— خالد اسكيف (@khalediskef) August 29, 2022
उधर, प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए सुरक्षाबलों आंसू गैस के गोले दागे। वहीं, धर्मगुरु समर्थकों के प्रेसिडेंट्स पूल (रिपब्लिकन पैसेल) में स्वीमिंग करने की फोटोज आईं। अल-सद्र समर्थकों और उनके राजनीतिक विरोधी ईरान समर्थित शिया गुटों के बीच लंबे समय से गतिरोध चल रहा है।
10 महीने से इराक में ना प्रधानमंत्री, ना मिनिस्टर्स
इराक में बीते 10 महीने से ना तो कोई परमानेंट प्रधानमंत्री है, ना सरकार और ना ही कोई मंत्रिमंडल। इसके चलते वहां राजनीतिक अराजकता की स्थिति बन गई है। जिस तरह श्रीलंका में राजनीतिक संकट के बाद भीड़ ने संसद को बंधक बना लिया था, वैसे ही हालात इराक में बन चुके हैं।
ग्रीन जोन में पथराव, इराक में कर्फ्यू
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अल-सद्र के राजनीति छोड़ने के फैसले से उनके समर्थक नाराज हुए और सड़कों पर उतर आए। इन लोगों की सरकार समर्थित लोगों के साथ झड़प हो गई। उन्होंने बगदाद के ग्रीन जोन के बाहर एक-दूसरे पर पत्थर फेंके। इस इलाके में मंत्रालयों और दूतावासों में रहने वालों के घर हैं। हिंसक घटनाओं के बाद इराक में सेना ने कर्फ्यू लगा दिया है। इराक में नई सरकार के गठन को लेकर एक महीने से गतिरोध चल रहा है।
धर्मगुरु समर्थकों की जल्द चुनाव कराने की मांग
शिया धर्मगुरु सदर ने इराक में दशकों के संघर्ष और प्रतिबंधों से उबरने के प्रयास और सांप्रदायिक संघर्ष, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अपने समर्थकों के साथ आंदोलन किया है. सदर ने इराकी राजनीति पर यूएस और ईरानी प्रभाव का विरोध करके देश में व्यापक समर्थन प्राप्त किया है. सदर अब जल्द चुनाव कराने और संसद को भंग करने की मांग कर रहे थे. सदर ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा- 'मैं अपने फाइनल विड्रॉ की घोषणा करता हूं.' उन्होंने अपने कार्यालयों के बंद होने के बारे में विस्तार से नहीं बताया. लेकिन कहा कि सांस्कृतिक और धार्मिक संस्थान खुले रहेंगे.
एक महीने पहले संसद में घुसी थी भीड़
एक महीने पहले इराक की राजधानी बगदाद में हजारों प्रदर्शनकारी संसद के भीतर घुस गए थे और नारेबाजी की थी। इराक में शिया मुस्लिम धार्मिक नेता मुक्तदा अल-सद्र के बड़ी तादाद में समर्थक हैं। सद्र की पार्टी इस समय इराकी संसद में सबसे बड़ी पार्टी है। पिछले साल अक्टूबर में देश में चुनाव करवाए गए थे, जिसमें सद्र की पार्टी ने 329 सीटों वाली संसद में 73 सीटें जीतीं और संसद में सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी। सद्र ने अन्य दलों के साथ मिलकर काम करने से इनकार कर दिया था, इसलिए गठबंधन की सरकार का गठन नहीं हो पाया। फिलहाल, वहां निवर्तमान प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी देश चला रहे हैं।
इसलिए सद्र ने दिया इस्तीफा
इराक की सरकार में गतिरोध तब से आया, जब अल-सद्र की पार्टी ने पिछले साल अक्टूबर के संसदीय चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं, लेकिन वे मेजॉरिटी तक नहीं पहुंच पाए। उन्होंने आम सहमति वाली सरकार बनाने के लिए ईरान समर्थित शिया प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया था। इससे पहले भी अल-सद्र के समर्थकों ने जुलाई में सरकार बनाने से रोकने के लिए संसद में प्रदर्शन किया। वे 4 हफ्ते से ज्यादा समय से धरने पर बैठे हैं। उनके गुट ने संसद से इस्तीफा भी दे दिया है।
UN चीफ ने शांति की अपील की
UN के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इराक में चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर चिंता जताई है। उन्होंने लोगों से संयम की अपील की है। साथ ही सभी संबंधित अफसरों से हिंसा को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने की अपील की है।