कूनो नेशनल पार्क में सुनाई देगी अफ्रीकी चीतों की गुर्राहट, देश का 1st पार्क होगा

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Aashish Vishwakarma
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कूनो नेशनल पार्क में सुनाई देगी अफ्रीकी चीतों की गुर्राहट, देश का 1st पार्क होगा

भोपाल. मध्यप्रदेश में अफ्रीकन चीतों की गुर्राहट जल्द ही सुनाई देगी। 17 फरवरी को वन विभाग के पीएस अशोक वर्णवाल के साथ अफसरों का प्रतिनिधिमंडल नामीबिया पहुंचा। 22 फरवरी को डेलिगेशन ने नामीबिया के उप प्रधानमंत्री नंदी नदैतवा के साथ बैठक की। दोनों देशों के बीच पहले दौर की वार्ता सफल रही। अफ्रीका मध्यप्रदेश में चीते भेजने के लिए तैयार है। लेकिन इसके बदले में वे भारत से भी कुछ चाहते हैं। इसको लेकर बातचीत चल रही है। अफ्रीका से अंतिम सहमति मिलने के बाद मध्यप्रदेश को चीते मिलेंगे। 





20 अफ्रीकन चीते लाने का प्लान: उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही कूनो नेशनल पार्क को चीते मिल जाएंगे। बता दें कि अफ्रीकन चीतों को बसाने वाला कूनो देश भर का पहला स्थान होगा। इन चीतों के रखरखाव में खास ध्यान दिया जाएगा। वन विभाग के अनुसार 20 अफ्रीकन चीते दक्षिण अफ्रीका से ग्वालियर लाए जाएंगे। फिर यहां से सड़क मार्ग के जरिए इन्हें कूनो राष्ट्रीय पार्क ले जाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक पांच साल तक इनके रखरखाव पर करीब 75 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।





कूनो चीतों को बसाने के लिए अनुकूल: कूनो करीब 750 वर्ग किमी में फैला है जो चीतों के रहने के लिए यह अनुकूल है। हर चीते को 10 से 20 वर्ग किमी का क्षेत्र चाहिए। इस लिहाज से कूनो उनके प्रसार के लिए पर्याप्त जगह देता है। इस अभ्यारण्य का ज्यादा एरिया समतल है और पेड़ पौधे भी घने हैं। यही वजह है कि अफ्रीकी चीतों के लिए इसे उपयुक्त माना जा रहा है। बता दें कि श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से 20 चीते लाने का प्लान है। यह दो चरणों में लाए जाएंगे। 10 नर और 10 मादा चीते कूनो नेशनल पार्क में शिफ्ट कराने की तैयारी है। 







अफ्रीकन चीते।



अफ्रीकन चीते।







तीन सालों से अटका रहा प्लान: चीतों को देश में लाने के लिए करीब 3 साल से प्रोजेक्ट चल रहा है। साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को इसकी मंजूरी दी थी। प्रयोग के लिए अफ्रीकन चीते भारत के जंगलों में लाए जाएंगे। वर्ष 2021 में प्रोजेक्ट ने फिर रफ्तार पकड़ी थी। पहले MP सरकार राज्य के स्थापना दिवस यानी 1 नवंबर को चीतों को कूनो नेशनल पार्क में लाना चाहती थी। लेकिन केंद्र सरकार से तारीख नहीं मिल पाई थी, जिसके चलते नहीं लाया जा सका।



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