इस्लामाबाद. कभी पाकिस्तान के हीरो रहे इमरान खान आज संकट में हैं। क्रिकेट के मैदान में आला ऑलराउंडर रहे इमरान की बॉल छूना बैट्समैन के लिए मुश्किल हुआ करता था, लेकिन राजनीति के मैदान में उनकी बॉल से विपक्षी दलों ने छेड़छाड़ कर दी। इमरान सरकार सत्ता से जाने की कगार पर पहुंच चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने का आदेश दे दिया है। 9 अप्रैल को इस अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है। इसके बाद साफ हो जाएगा कि 10 साल तक पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान बने रहने और वर्ल्ड कप जीत के हीरो इमरान खान सियासत के कप्तान बने रहते हैं या नहीं। जानें इमरान के क्रिकेट के मैदान से संसद तक का सफर...
लंदन में पढ़े
इमरान 25 नवंबर 1952 को लाहौर के अच्छे परिवार में पैदा हुए। उनकी पढ़ाई इंग्लैंड में हुई। पहले वे एटकिंसन कॉलेज में पढ़े, फिर वॉरसेस्टर के रॉयल ग्रामर स्कूल में और फिर ऑक्सफोर्ड के केबल कॉलेज में। शुरुआत से ही वे क्रिकेट में अच्छे थे। 16 साल की उम्र में उन्होंने फर्स्ट क्लास में डेब्यू किया।
पाकिस्तान की नेशनल टीम में आए
इमरान 1970 में पाकिस्तान की नेशनल टीम में सिलेक्ट हुए। इसके करीब एक दशक बाद वे दुनिया के बेहतरीन ऑल राउंडर में शुमार किए जाने लगे। जून 1971 में इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट खेला। 1981 में वे पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कैप्टन बनाए गए। उन्हीं की अगुआई में पाकिस्तान ने 1992 में अपना एकमात्र वर्ल्ड कप जीता।
इमरान खान 10 साल तक पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान रहे। उनकी कप्तानी में पाकिस्तान ने 48 टेस्ट मैच खेले। इसमें 14 मैच में जीत मिली, आठ हारे तो 26 ड्रॉ रहे। इसके अलावा उन्होंने 139 वनडे मैच खेले। इसमें 77 पाकिस्तान ने जीते, 57 मैच उनकी टीम हार गई। इमरान का पाकिस्तान क्रिकेट में खासा योगदान है। उन्होंने गजब की टीम बनाई। वसीम अकरम, वकार यूनिस जैसे बेहतरीन बॉलर उन्हीं की कप्तानी में निकले।
क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद...
क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद इमरान ने अपनी मां की याद में शौकत खानम मेमोरियल ट्रस्ट कैंसर हॉस्पिटल खोला। उनकी मां का कैंसर से ही निधन हुआ था। कैंसर के फ्री इलाज के लिए ये अस्पताल दुनियाभर में जाना जाता है। 1996 में इमरान ने तहरीक-ए-इंसाफ (इंसाफ के लिए आंदोलन) का गठन किया। शुरुआत में पार्टी असफलता का सामना करना पड़ा। 1997 में इमरान पहला संसदीय चुनाव हार गए।
2002 में उन्होंने पहली जीत चखी। उनकी पार्टी ने नेशनल असेंबली में एक सीट जीती। 2007 में उन्होंने अन्य 80 सांसदों के साथ इस्तीफा दे दिया। इस वक्त परवेज मुशर्रफ राष्ट्रपति होने के साथ आर्मी चीफ थे। इमरान ने मुशर्रफ के दोबारा चुने जाने का विरोध किया था
शादियों को लेकर भी चर्चा में
इमरान ने 1995 में ब्रिटिश अरबपति सर जेम्स गोल्डस्मिथ की बेटी जेमिमा से शादी की। इस शादी से उन्हें दो बेटे हैं। 2004 में इमरान और जेमिमा का डिवोर्स हो गया। दूसरी शादी उन्होंने 2015 में टीवी जर्नलिस्ट रेहम खान से की। इसमें भी 2015 में ही डिवोर्स हो गया। तीसरी शादी 2018 में बुशरा बीबी से की। बुशरा अभी उनके साथ हैं। बुशरा ज्योतिषी भी हैं।
2013 से बड़े नेता बने
2013 चुनाव के बाद से इमरान पाकिस्तान के बड़े नेताओं में शुमार किए जाने लगे। 2018 चुनाव में उन्होंने 116 सीटें जीतीं और छोटी पार्टियों के साथ सरकार बनाई। 18 अगस्त 2018 को इमरान ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। जीतने के बाद इमरान ने नया पाकिस्तान बनाने का दावा किया था। इमरान ने राजनीतिक छवि से इतर योग्यता के आधार पर कई नियुक्तियां कीं।
भारत के साथ बेहतर रिश्ते के पैरोकार
इमरान ने सत्ता में आने बाद भारत के साथ बेहतर रिश्ते रखने पर जोर दिया, लेकिन यूएन में भारतविरोधी बयान भी दिए। उन्हीं के दौर में भारत-पाक रिश्तों में तल्खी भी आई। 2019 में भारत में पुलवामा हमले में 40 जवान शहीद हो गए। इसके बाद भारत ने पाक के साथ बातचीत बंद कर दी। सरकार के संकट में आने के बाद इमरान भारत सरकार और भारत के लोकतंत्र की कई बार तारीफ कर चुके हैं।
इमरान और बेनजीर भुट्टो
लंदन में इमरान और पाक की पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो साथ पढ़े थे। एक लेखक क्रिस्टोफर सेंडफोर्ड ने इमरान की बायोग्राफी में दावा किया कि बेनजीर, यूनिवर्सिटी के दिनों में इमरान को पसंद करती थीं। इमरान और बेनजीर काफी ‘करीब’ भी थे। सेंडफोर्ड ये भी कहते हैं कि इमरान की मां ने बेनजीर से उनकी अरेंज मैरिज कराने की कोशिश की थी।
एक किताब इमरान वर्सेस इमरान ने बताया था- जब बेनजीर पहली मुस्लिम प्रधानमंत्री बनीं तो मुझे लगा कि राजनीति में मैं अपनी दोस्त खो दूंगा। उनका गजब का कॉन्फिडेंस था। उन्हें अपने पिता से काफी कुछ मिला था। दोस्तों के बीच में भी इसकी झलक मिलती थी। हम लोग उन्हें कई बार बातों में फंसाने की कोशिश करते थे, लेकिन उनके पास गजब के तर्क हुआ करते थे। ऑक्सफोर्ड में डिबेट के दौरान वे ह्यूमन राइट्स, कानून का शासन, लैंगिक अधिकार, असमानता और देश की खराब वित्तीय के मुद्दे उठाती थीं। लेकिन जब वे (बेनजीर) खुद में आईं तो एक आत्म-केंद्रित साम्राज्ञी में बदल गईं। उन्होंने ताकत का खून चखा और नशे में धुत हो गईं।
एक-एक लाइन में इमरान का सफर...
- 1952 - लाहौर के पख्तून परिवार में जन्म