बीजिंग. चीन (China) में सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (Communist Party of China) ने अपने कोर लीडर शी जिनपिंग (Xi Jinping) को राष्ट्रपति (President) का तीसरा कार्यकाल सौंपने पर मुहर लगा दी है। अतीत में दूसरों की जमीन पर कब्जा करके फैलाए ड्रैगन के साम्राज्य (चीन) में शी जिनपिंग वो नाम है, जिन्हें तानाशाह की पदवी प्राप्त हो गई है। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश चाइना में शी जिनपिंग ही अब वो नाम हैं, जो माओ के बाद सत्ता की धुरी बनने में कामयाब हुए। जिनपिंग, माओ के बाद पार्टी के इकलौते कोर लीडर (core leader) हैं। 100 साल पुरानी पार्टी के इतिहास में तीसरा संकल्प पत्र भी चार दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में पेश किया गया। राष्ट्रपति के तौर पर शी अगले साल अपना पांच साल का दूसरा कार्यकाल पूरा करने वाले हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बैठकें गोपनीय रहती हैं। उनके बारे में उतनी ही जानकारी दुनिया को मिलती है, जितनी पार्टी मीडिया ब्रीफिंग में बताती है। सोमवार को शुरू हुई बैठक में पार्टी के सेंट्रल कमेटी के 370 से भी ज्यादा पूर्ण और वैकल्पिक सदस्यों ने भाग लिया है। इस बैठक में कई बड़े और कठोर फैसले लिए गए हैं।
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अधिवेशन का महत्व
चीन में यह इतिहास रहा है कि सेंट्रल कमेटी के पूर्ण अधिवेशन में मंजूर की गई नीतियों को आधार बना कर सरकार कानून बनाती है। मसलन, 2019 में हुए पूर्ण अधिवेशन में पारित नीति के आधार पर हांगकांग के सुरक्षा कानून को बनाया गया। उससे हांगकांग की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था का स्वरूप बुनियादी रूप से बदल गया है।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने 1945 में अपना पहला एतिहासिक प्रस्ताव पास किया था। उसके साथ माओ जे दुंग की हैसियत सर्वोच्च की बन गई थी। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद 1976 में पार्टी ने नई दिशा अपनाई। उसके दो साल बाद सेंट्रल कमेटी ने 30 हजार शब्दों के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसमें माओ की कई नीतियों की सार्वजनिक आलोचना की गई। समझा जाता है कि वहां से चीन में देग श्याओ पिंग सर्वोच्च नेता बन गए। अनुमान लगाया गया है कि अब वही हैसियत शी को मिल जाएगी।
खबरों के मुताबिक पूर्ण अधिवेशन के दौरान पार्टी की कई कमेटियों को शी संबोधित करेंगे। लेकिन आमतौर पर ऐसे भाषणों का वही हिस्सा सामने आता है, जिन्हें पार्टी जारी करती है। इसलिए पर्यवेक्षकों का कहना है कि पूर्ण अधिवेशन में असल में क्या फैसले होते हैं और पार्टी क्या दिशा तय करती है, इससे जानने के लिए दुनिया को कुछ समय तक इंतजार करना पड़ सकता है।
माओ की विरासत को टक्कर दे रहे, जिनपिंग
चीन पर राज कर रही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की स्थापना जुलाई 1921 में की गई थी। अपने स्थापना के सौ साल पूरे होने पर पार्टी इस बार तीसरा संकल्प पत्र जारी कर रही है। इसके पहले 1945 और दूसरी बार 1981 में संकल्प पत्र पढ़ा गया था। पहले संकल्प पत्र में माओत्से तुंग (Mao Tse Tung) और दूसरे में देंग जियाओपिंग (Deng Jia Oping) की शक्तियों को बढ़ाया गया था। अब तीसरे संकल्प पत्र से शी जिनपिंग को सबसे शक्तिशाली बनाया जा रहा है। वह माओ के बाद पार्टी के कोर लीडर भी चुने जा चुके हैं।
संकल्प पत्र के जरिये इतिहास और भविष्य का एक कॉमन विजन
न्यूयॉर्क टाइम्स ने जिसको लेकर To Steer China’s Future, Xi Is Rewriting Its Past शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में जर्मनी की फ़्रेबर्ग यूनिवर्सिटी में इतिहासकार डेनियल लीज़ का एक बयान भी है जिसमें वो कहते हैं कि चीन में सुप्रीम लीडर संकल्प पत्र के जरिए पार्टी एलीट के बीच इतिहास और भविष्य का एक कॉमन फ्रेमवर्क, कॉमन विजन तैयार कर रहे थे। अगर आप सत्ता के गलियारे में मौजूद लोगों को अतीत के मुद्दे पर एकमत नहीं करते, तो उन्हें भविष्य के लिए राज़ी करना लगभग असंभव होगा। जियाओपिंग ने एक साथ दोनों चीज़ों को साध लिया था। उन्होंने अतीत के साथ बहुत छेड़छाड़ नहीं की थी। साथ ही, आगे के लिए उदार नीतियां भी ले आए।
माओ लेकर आए पहला संकल्प पत्र
माओ के संकल्प-पत्र का नाम- ‘रिजॉल्यूशन ऑन सर्टेन क्वेश्चन्स इन द हिस्ट्री ऑफ अवर पार्टी’ था। इसमें शंघाई नरसंहार से लेकर लॉन्ग मार्च तक के पार्टी के बीते दो दशकों के संघर्ष पर बात की गई थी। पार्टी काडर की वफ़ादारी हासिल करने के लिए ऐसा किया गया था। माओ के समय में चीन सिविल वॉर और जापानी आक्रमण से जूझ रहा था। माओ ने सितंबर 1976 में अपने मरने तक चीन पर शासन किया।
जियाओपिंग लेकर आए दूसरा संकल्प पत्र
माओ की मौत के बाद डेंग जियाओपिंग चीन के सुप्रीम लीडर बने। जियाओपिंग के सामने माओ की हिंसक विरासत और अस्थिर नेतृत्व का संकट था। 1981 में वो दूसरा संकल्प-पत्र लेकर आए। इसमें पार्टी की स्थापना से लेकर उनके समय तक के इतिहास का ज़िक्र किया गया था। संकल्प-पत्र में जियाओपिंग ने माओ की नीतियों की आलोचना की थी और माओ की नीतियों में भारी फेरबदल किया था। उन्होंने इकोनॉमिक रिफॉर्म्स पर काफी जोर दिया था, जिससे चीन के बाज़ार बाकी दुनिया के लिए खुलने लगे थे।
तीसरा संकल्प पत्र
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपने इतिहास का तीसरा संकल्प पत्र लेकर आ रही है। जिसमें सीसीपी की 100 साल की उपलब्धियों पर चर्चा की जाएगी। माओ और जियाओपिंग के बाद चीन में तीसरे युग की शुरुआत हुई है। जियाओपिंग चीन को अमीर बनाने का सपना देखते थे जबकि जिनपिंग ने चीन को शक्तीशाली बनाने पर जोर दिया है। जब माओ और जियाओपिंग रेज़ॉल्यूशन लेकर आए थे, उस समय चीन अलग-अलग संकटों के दौर से गुज़र रहा था। लेकिन इससे इतर जिनपिंग के सामने ऐसी कोई समस्या दूर-दूर तक नहीं।
अगले पार्टी महाधिवेशन में नए नेतृत्व का चुनाव
इस पूर्ण अधिवेशन के दौरान सेंट्रल कमेटी एक महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पारित करने वाली है। इसे पार्टी की ‘महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों और अनुभव पर संकल्प-पत्र’ का नाम दिया गया है। हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक खबर में बताया गया है कि इस सम्मेलन के बाद पार्टी नीति संबंधी कुछ महत्त्वपूर्ण घोषणाएं करेगी। इसके साथ ही इस अधिवेशन में अगले साल होने वाली पार्टी कांग्रेस (महाधिवेशन) की रूपरेखा तैयार की जाएगी। अगले पार्टी महाधिवेशन में नए नेतृत्व का चुनाव होगा। उस बारे में भी कुछ झलक इस पूर्ण अधिवेशन (प्लेनम) से मिलने की संभावना है।