पेरिस. हर देश की अपनी एक परंपरा होती है, जिसे वहां के लोग निभाते है जैसे भारत में पैर छूने की परंपरा है। उसी तरह से पेरिस में ला बीज़ हैं। इस परंपरा को पिछले डेढ़ सालों से लोगों ने नहीं निभाया। ला बीज़ के फिर से शुरू होने को लेकर लोगों ने अपनी-अपनी राय रखी। कुछ का मानना है कि ला बीज़ को वापस से लागू होना ही चाहिए। वहीं, एक वर्ग इसे लेकर चिंतित है। कोरोना की वजह से लोग एक दूसरे को दूर से हाय और बाय करते थे।
आदर व्यक्त करने का एक तरीका है ला बीज़
फ्रेंच लोगों की परंपरा के अनुसार- ला बीज़ मतलब एक दूसरे के गालों पर किस करना। फ्रांस में ला बीज़ आदर व्यक्त करने का एक तरीका है। 2020 में जब पहली बार कोरोनावायरस ने अपने पैर पसारना शुरू किया था, तब ला बीज़ एक तरह से विलुप्त हो गया था। खुद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि कोरोना खतरनाक है, कोशिश करें कि किसी भी तरह से संक्रमित ना हों। लिहाजा ला बीज़ और हाथ मिलाने पर रोक लगा दी गई थी।
ला बीज़ को लेकर आमलोगों की राय
फ्रांस में इस वक्त 70% आबादी पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हैं। इस बात की खुशी लोग के चेहरे पर दिख रही है। लोग अपने घरवालों से ला बीज़ की परंपरा निभा पा रहे है, लेकिन इस परंपरा को लेकर दो धारणाएं सामने आई हैं। पेरिस के एक सिविल सर्वेंट विन्सेंट सेजनेक के मुताबिक, सोशल डिस्टेंसिंग के दौरान हमने अपने रिवाजों को काफी मिस किया। हम अपनी परंपराओं का आदर करते है। मुझे इस बात की खुशी है कि लोग ला बीज़ कर पाते है। दो महिलाओं ने एक दूसरे का गले लगाते हुए कहा कि हमें इस बात खुशी है कि एक-दूसरे को गले लगा पा रहे हैं। वहीं, एक स्टूडेंट नताली बिटर बताती है कि हमारी पीढ़ी में लोग अब ला बीज को नहीं मानते। एक अन्य स्टूडेंट एलिसा मेयर कहती हैं कि ला बीज़ मैं सिर्फ अपने परिवार के साथ करती हूं।