रूस और यूक्रेन के बीच तनाव जारी है। दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। यूक्रेन सीमा पर रूस ने 1 लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं। अमेरिका समेत कई देशों ने आशंका जताई है कि रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है। इसे देखते हुए अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने 8,500 अमेरिकी सैनिकों को पूर्वी यूरोप में तैनाती के लिए 'हाई अलर्ट' पर रखा है।
नाटो के फैसले के बाद होगी फोर्सेस की तैनाती: पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि इन सैनिकों में कॉम्बेट टीम, हेल्थ वर्कर्स, इंटेलिजेंस और सर्विलांस टीम के मेंबर्स शामिल हैं। जॉन किर्बी ने कहा, 'अभी तक इन सैनिकों की तैनाती के लिए न तो कोई आदेश जारी किया गया है और न ही इन्हें कोई मिशन सौंपा गया है। हालांकि, पूर्वी यूरोप में नाटो को मजबूत करने के लिए अमेरिकी सैनिकों को तैनात किया जा सकता है। यूरोप में अतिरिक्त अमेरिकी फोर्सेस की तैनाती नाटो के फैसले पर ही होगी।
ब्रिटेन पीएम की पुतिन को चेतावनी: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन पर हमले की स्थिति में गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है। जॉनसन का ये बयान रूसी सेना द्वारा फरवरी में आयरलैंड के तट से 150 मील दूर समुद्री सैन्य अभ्यास करने के ऐलान के बाद आया है। रूस ने एटलांटिक, प्रशांत, भूमध्यसागर व उत्तरी सागर में अपने 140 वॉरशिप के साथ युद्धाभ्यास का ऐलान किया है।
यूक्रेन और रूस के रिश्तों की कहानी: यूक्रेन परंपरागत तौर पर सोवियत संघ का हिस्सा है। आज से 30 साल पहले सोवियत संघ के विघटन के समय यह वर्तमान रूस से अलग हुआ था। यूक्रेन के हिस्से में सोवियत संघ के जमाने के कई महत्वपूर्ण स्थल, बंदरगाह और सैन्य निर्माण ईकाईयां आईं थीं। हालांकि, आजादी के बाद यूक्रेन परंपरागत तौर पर रूस का हमदम बना रहा। साल 2014 तक विक्टर यानुकोविच के राष्ट्रपति पद से अपदस्थ होने तक दोनों देशों के रिश्ते काफी मजबूत थे।
विक्टर यानुकोविच के हटते ही यूक्रेन में रूस विरोधी सरकार आ गई। इस कारण यूक्रेन के रूसी भाषी क्षेत्रों में अस्थिरता पैदा होने लगी। सबसे अधिक प्रभावित क्रीमिया में बढ़ते यूक्रेन विरोधी विद्रोह का फायदा रूस को मिला। इसी को आधार बनाकर 2014 में रूस ने क्रीमिया पर हमला किया और कब्जा कर लिया। तब से दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बना हुआ है। तब से लेकर अबतक क्रीमिया में रूस समर्थक विद्रोहियों और यूक्रेनी सेना के बीच जारी लड़ाई में 14 हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।