कीव/मॉस्को. रूस-यूक्रेन जंग का आज (22 मार्च) 27वां दिन है। रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले शुरू किए थे। 26 दिन बीतने और ताबड़तोड़ हमलों के बावजूद रूस, यूक्रेन को झुकाने में नाकाम रहा है। हालांकि, रशियन आर्मी के हमले अब भी जारी हैं। वहीं, देश में भारी तबाही के बावजूद यूक्रेनी राष्ट्रपति वेलोडिमिर जेलेंस्की सरेंडर के लिए तैयार नहीं हैं। जेलेंस्की नेटो (NATO) के रवैये से भी नाराज हैं। उन्होंने कहा कि नेटो को या तो अब कहना चाहिए कि वे यूक्रेन को स्वीकार कर रहे हैं या साफतौर पर कहें कि वे हमें स्वीकार नहीं कर रहे, क्योंकि वे (नेटो) रूस से डरते हैं।
जंग ने बिगाड़े हालात: यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर डोनबास के दोनेत्स्क और लुहांस्क से करीब 2500 यूक्रेनी बच्चों को किडनैप कर रूस भेजने का आरोप लगाया। दूसरी तरफ युद्ध की वजह से यूरोप में शरणार्थी संकट लगातार गहराता जा रहा है। जर्मन विदेश मंत्री ने यूरोपियन यूनियन को 80 लाख यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए तैयार रहने को कहा है। UNHRC की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 1 करोड़ से ज्यादा लोग शरणार्थी के रूप में देश के अंदर और बाहर शिफ्ट हो चुके हैं। UN का दावा है कि रूसी हमले की वजह से अब तक 33 लाख से ज्यादा लोगों ने यूक्रेन छोड़ दिया है।
जंग से यूक्रेन तबाह तो रूस में भी संकट: रूस के कब्जे वाले यूक्रेनी शहरों और गांवों से ह्यूमन कॉरिडोर के जरिए अब तक 8,057 लोगों को निकाला जा चुका है। क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का ऑफिस) समर्थक एक अखबार के मुताबिक, युद्ध में लगभग 10 हजार रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं। यूक्रेन के अफसर का कहना है कि मारियुपोल पर रूस हर 10 मिनट में बमबारी कर रहा है।
एकजुट रहने की अपील: जेलेंस्की ने 21 मार्च को कहा कि भले ही रूस ने मारियुपोल को जलाकर राख कर दिया हो, लेकिन फिर भी यह शहर जिंदा रहेगा। उन्होंने यूक्रेनी लोगों से अपील की कि हमारे देश की रक्षा के लिए, हमारे लोगों को बचाने के लिए आप जो कुछ भी कर सकते हैं, वह करें। उधर, रूसी सेना को यूक्रेन आर्मी के साथ अब आम लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। सोमवार को खेरसॉन के फ्रीडम स्क्वॉयर पर लोगों ने बड़ी संख्या में जमा होकर हमले का विरोध किया। इसके बाद रूसी सेना ने भीड़ को काबू करने के लिए गोलीबारी की और हथगोले दागे।