सुन्नी मुसलमानों (sunni momedian) के सबसे बड़े संगठन तब्लीगी जमात पर सऊदी अरब (Saudi Arabia Ban on Tablighi Jamaat) ने बैन लगा दिया है। इसके पीछे सऊदी अरब ने तर्क दिया है कि ये संगठन आतंकवाद का एंट्री गेट (entry gate of terrorism) है। संगठन को समाज के लिए खतरा बताते हुए सरकार ने स्पष्ट आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया कि अब से शुक्रवार की नमाज के दौरान लोगों को तब्लीगी जमात से मिलने की जरूरत नहीं है, उनके साथ किसी भी तरह का संपर्क रखना अनिवार्य नहीं रहेगा।
मस्जिदों से ये अपील की
सऊदी इस्लामी मामलों के प्रमुख अब्दुल्लातिफ अल अलशेख ने कहा कि तब्लीगी जमात समाज के लिए खतरा है। साथ ही मस्जिदों से तब्लीगी जमात से संबंध न रखने का ऐलान करवाया गया है। मस्जिद की तकरीर में ये विषय शामिल है।
- इस समूह से लोगों के भटकने और ब्रेन वॉश होने का खतरा, यह आतंकवाद के एंट्री गेट में से एक है। भले ही वह कुछ और दावा करें।
- उनकी सबसे प्रमुख गलतियों का जिक्र करें।
- लोगों को बताएं कि यह संगठन समाज के लिए खतरा है।
- यह भी बताएं कि सऊदी अरब में तब्लीगी समेत सभी पक्षपातपूर्ण समूहों से संबंध रखना गैर कानूनी है।
भारत में भी मचा था बवाल
कोरोना (Corona) की पहली लहर के दौरान तब्लीगी जमात की भूमिका सवालों के घेरे में थे। भारत में कोरोना फैलने के लिए जमात के लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया था। उस समय जमात को लेकर देश में खासा बवाल मचा था। अब सऊदी अरब ने जमात पर बैन लगाकर कई देशों को कड़ा संदेश दिया है।
तब्लीगी जमात क्या है?
तब्लीगी जमात की शुरुआत लगभग 100 साल पहले देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में की थी। तब्लीगी जमात का काम विशेषकर इस्लाम के मानने वालों को धार्मिक उपदेश देना होता है। पूरी तरह से गैर-राजनीतिक इस जमात का मकसद पैगंबर मोहम्मद के बताए गए इस्लाम के पांच बुनियादी सिद्धांतों का प्रचार करना है।
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