Hong Kong. आजकल बच्चे हों या किशोर, सभी स्मार्ट फोन यानी मोबाइल का जमकर उपयोग कर रहे हैं। यह एक आदत से बन चुकी है। उनकी आंखों के साथ पढ़ाई और करियर पर भी असर पड़ रहा है। इसे रोकने के लिए चीन ने बढ़ा कदम उठाया है। चीन के साइबर स्पेस रेगुलेटर (सीएसी) ने बुधवार (2 अगस्त) को कहा कि दिनभर में बच्चों की ओर से स्मार्ट फोन के उपयोग को दो घंटे तक सीमित किया जाना चाहिए। सीएसी के अनुसार, स्मार्ट डिवाइस से जुड़ी कंपनियां ऐसे नाबालिग मोड की सुविधा दे, जिसमें रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक 18 वर्ष से नीचे उम्र वाला इंटरनेट एक्सेस न कर सके। प्रस्तावित बदलाव में कंपनी की ओर से समय की भी सीमा तय की जाए। ऐसे में कंपनियां इस काम में जुट गई हैं। संभावना है कि जल्द ‘नाबालिग मोड’ की सुविधा मोबाइल में आने लग जाएगी।
जानें क्या है समय सीमा तय करने का प्रस्ताव
प्रस्ताव के अनुसार, 16 और 18 वर्ष के बीच के किशोरों के लिए यह समय सीमा दो घंटे तय हो। आठ से 16 वर्ष के बीच वालों के लिए यह एक घंटे, जबकि आठ वर्ष से नीचे के बच्चों के लिए यह सिर्फ आठ मिनट हो। साथ ही साइबर स्पेस रेगुलेटर ने सेवा प्रदाता कंपनियों से कहा है कि वह समय सीमा तय करने का अधिकार उनके परिजनों को दे।
बच्चों को वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार बना रहे मोबाइल फोन, खोखला कर रहे दिमाग
बच्चों की जिद से पीछा छुड़ाने के लिए पैरेंट्स मोबाइल फोन थमा देते हैं। वह भले ही शांत हो जाता है, लेकिन काफी देर तक स्क्रीन पर समय बिताने से वह दिमागी रूप से कमजोर हो रहा है। दुनियाभर में हुई कई रिसर्च बताती हैं कि कम उम्र में बच्चों को स्मार्टफोन देना उनके मानसिक विकास को प्रभावित करना है। एक रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल, गैजेट्स और ज्यादा टीवी देखने से बच्चों का भविष्य खराब होता है। वर्चुअल आटिज्म का खतरा भी बढ़ रहा है।
वर्चुअल ऑटिज्म क्या है
अक्सर 4-5 साल के बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म (virtual autism) के लक्षण दिखते हैं। मोबाइल फोन, टीवी और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत की वजह से ऐसा होता है। स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल या लैपटॉप-टीवी पर ज्यादा समय बिताने से उनमें बोलने और समाज में दूसरों से बातचीत करने में दिकक्त होने लगती है। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, इस कंडीशन को ही वर्चुअल ऑटिज्म कहा जाता है। इसका मतलब यह होता है कि ऐसे बच्चों में ऑटिज्म नहीं होता लेकिन उनमें इसके लक्षण दिखने लगते हैं। सवा साल से तीन साल के बच्चों में ऐसा बहुत ज्यादा दिख रहा है।
वर्चुअल ऑटिज्म के पांच लक्षण
1- वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार बच्चे दूसरों से बातचीत करने से कतराते हैं।
2- ऐसे बच्चे बातचीत के दौरान आई कॉन्टैक्ट से बचते हैं।
3- इन बच्चों में बोलने की क्षमता का विकास काफी देरी से होता है।
4- इन्हें समाज में लोगों से घुलने-मिलने में काफी परेशानियां होती हैं।
5- वर्चुअल ऑटिज्म की चपेट में आने वाले बच्चों का आईक्यू भी कम होता है।