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अमेरिका ने एंटी शिप हारपून मिसाइल डील के लिए हामी भर दी है। यह डील करीब 82 मिलियन डॉलर यानी लगभग 6 अरब रुपए की है। भारत को इस मिसाइल के साथ कई दूसरे उपकरण भी दिए जाएंगे। पूर्व में भारत ने अमेरिका से हारपून मिसाइल खरीदने की बात कही थी। इस डील से इंडो-पैसिफिक रीजन में अमेरिका के बड़े डिफेंस पार्टनर को अपनी सुरक्षा करने में सहायता मिलेगी। इस डील से भारत-अमेरिका के संबंध मजबूत होंगे।
भारत को मिलेंगे कई लाभ
हारपून मिसाइल डील को अमेरिका की साउथ एशिया में दबदबा बढ़ाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।डिफेंस सिक्योरिटी कॉर्पोरेशन एजेंसी ने सोमवार यानी 2 अगस्त को अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी वाला लेटर जारी किया। इस लेटर में कई बातों का जिक्र है जैसे मिसाइल की मेंटेनेंस के लिए एक सर्विस स्टेशन खोलने, स्पेयर पार्ट्स और सपोर्ट देने और टेक्निकल डॉक्यूमेंट के अलावा पर्सनल ट्रेनिंग की बात भी शामिल है। इसके साथ ही भारत को इंजीनियरिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी दिया जाएगा।
इंडियन आर्मी को नही होगी कोई दिक्कत
पेंटागन द्वारा जारी बयान के मुताबिक इंडियन आर्मी को इस मिसाइल को अपने बेड़े में शामिल करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, ये डील अमेरिकी कंपनी बोइंग और भारत सरकार के बीच की गई है। अभी तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि इस डील में कोई ऑफसेट एग्रीमेंट है या नहीं। भारत सरकार जब इस डील को लेकर विस्तृत जानकारी देगी, तो ऑफसेट पार्टनर का जिक्र किया जा सकता है।
हारपून मिसाइल की रेंज
समुद्र में काफी ज्यादा विध्वंसक माने जाने वाली हारपून मिसाइल में बूस्टर, लॉन्चर, लॉन्च सपोर्ट स्ट्रक्चर, के अलावा लॉन्च सिस्टम भी लगे हुए हैं। हारपून मिसाइल एक बार में 500 पाउंड के मिसाइल के साथ दुश्मनों के जहाज या फिर पनडुब्बी पर सटीक हमला कर सकता है। इसमें लगा नेविएगेशन पिन प्वाइंट को हिट करने के लिए जाना जाता है। हारपून मिसाइल की रेंज समुद्र में करीब 125 किलोमीटर है।