नई दिल्ली. आर्थिक संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका की भारत लगातार मदद कर रहा है। भारत ने दूसरी बार श्रीलंका को फ्यूल क्राइसिस से निपटने के लिए डीजल और पेट्रोल सप्लाई किया है। मंगलवार और बुधवार को भारत से 36 हजार मीट्रिक टन पेट्रोल और 40 हजार मीट्रिक टन डीजल श्रीलंका पहुंचा। भारत इससे पहले भी 2.70 लाख मीट्रिक टन फ्यूल श्रीलंका भेज चुका है। श्रीलंका की डूबती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए भारत ने 1 बिलियन अमरीकी डॉलर का कर्ज देने का भी ऐलान किया है।
श्रीलंका ने भारत को दिया धन्यवाद
श्रीलंका में जरूरी दवाइयों की भी कमी हो गई है। इसको देखते हुए भारत ने पड़ोसी देश को जरूरी दवाइयां भेजी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्रीलंका में ज्यादातर दवाएं LOC यानी लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत भारत से आ रही हैं। इससे श्रीलंका को काफी मदद मिल रही है। सभी ने भारत का आभार भी जताया है।
राजपक्षे सरकार से नाराज लोग
राजपक्षे सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है। हजारों लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। बुधवार को श्रीलंका में यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार के पास पैसा इसलिए नहीं है, क्योंकि उसने सब कुछ चीन को बेच दिया है। बुधवार को लोगों ने कहा कि राजपक्षे परिवार को देश को बर्बाद करने से रोकना होगा। विपक्षी दल भी सरकार के विरोध में सामने आए हैं।
6 से 8 अप्रैल तक 6.5 घंटे बिजली कटौती
श्रीलंका में 6 अप्रैल से 8 अप्रैल तक 6.5 घंटे तक की बिजली कटौती को मंजूरी दी गई है। पब्लिक यूटिलिटी कमीशन के चेयरमैन जनक रत्नायके का कहना है कि भारत से उधार लिए गए पैसे से फ्यूल इंपोर्ट करने के लिए फॉरेन रिजर्व की कमी को अस्थायी रूप से कम किया गया है।
तंगी का बड़ा कारण
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में टूरिज्म सेक्टर का बड़ा रोल है, लेकिन कोरोना की मार से यह पहले ही ठप पड़ा है। टूरिज्म देश के लिए फॉरेन करेंसी का तीसरा बड़ा सोर्स है। इसके कमजोर पड़ने से देश का विदेश मुद्रा भंडार लगभग खाली हो चुका है। करीब 5 लाख श्रीलंकाई सीधे पर्यटन पर निर्भर, जबकि 20 लाख अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं। श्रीलंका की GDP में टूरिज्म का 10% से ज्यादा योगदान है।