DELHI. नेपाल में नई सरकार के गठन की कवायद निर्णायक मोड़ पर जा पहुंची है। यहां हाल ही हुए आम चुनाव में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। राष्ट्रपति के बुलावे पर कई बड़ी सियासी पार्टियां गठबंधन को लेकर विचार-विमर्श कर रही थीं। नई सरकार बनाने की समय सीमा का आज आखिरी दिन था, पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड की अगुवाई में 25 दिसंबर को हुई दलों की बैठक के बाद शाम 4 बजे यह बताया गया कि, प्रचंड नेपाल के अगले प्रधानमंत्री होंगे। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उनकी नियुक्ति की घोषणा की। प्रचंड 26 दिसंबर की शाम 4 बजे शपथ लेंगे। नेपाल की नई सरकार 6 पार्टियों के गठबंधन से बन रही है। प्रचंड ढाई साल तक प्रधानमंत्री रहेंगे। इसके बाद CPN-UML सत्ता संभालेगी।
राष्ट्रपति की समय सीमा हो रही थी खत्म
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, 'नेपाली कांग्रेस, सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी को छोड़कर संसद में सभी दलों के समर्थन से दहल ने पद के लिए दावा पेश किया।' दो सौ पचहत्तर सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में किसी भी दल के पास सरकार बनाने के लिए आवश्यक 138 सीट नहीं हैं। संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत गठबंधन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति बिद्या भंडारी द्वारा दी गई समय सीमा रविवार शाम को समाप्त हो रही थी। यदि राजनीतिक दल समय सीमा के भीतर सरकार बनाने में विफल रहते, तो उनके (राजनीतिक दलों के) अनुरोध पर राष्ट्रपति या तो समय सीमा बढ़ातीं या वह संविधान के अनुच्छेद 76(3) के तहत सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकती थीं।
ओली के आवास पर हुई थी मीटिंग
गुरुंग ने कहा था कि राष्ट्रपति को सौंपने के लिए पत्र तैयार किया जा रहा है। यह मीटिंग पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली के आवास पर हुई। बालकोट में हुई इस मीटिंग में ओली, प्रचंड, आरएसपी अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन, जनता समन्वयवादी पार्टी के अध्यक्ष अशोक राय सहित अन्य लोगों ने भाग लिया।
165 सांसदों ने दिया प्रचंड को समर्थन
सीपीएन-एमसी देब के महासचिव गुरुंग ने कहा कि सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी और अन्य पार्टियां संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के तहत 165 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ राष्ट्रपति कार्यालय 'शीतलनिवास' में प्रचंड को प्रधानमंत्री बनाने का दावा करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को सौंपने के लिए एक समझौता पत्र तैयार किया जा रहा है।