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London. बस कुछ घंटे (6 मई) में ब्रिटेन को किंग चार्ल्स तृतीय के रूप में अपना नया सम्राट मिल जाएगा। हालांकि चार्ल्स तृतीय पहले ही औपचारिक तौर पर किंग घोषित किए जा चुके हैं, लेकिन ब्रिटेन तकरीबन 70 साल बाद एक बार फिर शाही ताजपोशी का गवाह बनने जा रहा है और इस मौके पर किंग चार्ल्स तृतीय एक धार्मिक और रीति-रिवाजों के तहत सम्राट की गद्दी संभालेंगे। राज्याभिषेक के दौरान महाराजा चार्ल्स और उनकी पत्नी महारानी कैमिला अलग-अलग क्षणों में ‘सेंट एडवर्ड्स चेयर’, ‘चेयर्स ऑफ स्टेट’ और ‘थ्रोन चेयर्स’ पर बैठेंगे, जहां उनके लिए मौजूद जनसमुदाय 'ईश्वर सम्राट की रक्षा करे' का नारा लगाएंगे। ब्रिटेन के नए सम्राट की ऐतिहासिक ताजपोशी के लिए दुनिया भर के 100 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों को आमंत्रण भेजा गया है। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी इनमें से एक हैं। धनखड़ ने लंदन पहुंचकर किंग चार्ल्स से मुलाकात की। इससे पहले महारानी एलिजाबेथ का राज्याभिषेक 2 जून 1953 को हुआ था।
उपराष्ट्रपति ने दी किंग चार्ल्स को बधाई
लंदन में होने वाले राज्याभिषेक समारोह से पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किंग चार्ल्स तृतीय से मुलाकात की। इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर दी। बागची ने उपराष्ट्रपति धनखड़ और किंग चार्ल्स की कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं। तस्वीरों में उपराष्ट्रपति और किंग चार्ल्स हाथ मिलाते और बातचीत करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने लिखा, उपराष्ट्रपति ने राज्याभिषेक के अवसर पर (किंग चार्ल्स तृतीय को) बधाई दी और भारत-ब्रिटेन व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। ब्रिटेन के नए महाराज चार्ल्स तृतीय का शनिवार, 6 मई को वेस्टमिंस्टर एबे में औपचारिक राज्याभिषेक होगा जिसमें शामिल होने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शुक्रवार, 5 मई को लंदन पहुंचे। धनखड़ के साथ उनकी पत्नी डॉ.सुदेश धनखड़ भी हैं।
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थ्रोन चेयर्स’ पर बैठेंगे किंग चार्ल्स तृतीय
जिस ‘थ्रोन चेयर्स’ पर महाराजा चार्ल्स तृतीय बैठेंगे, उसका इस्तेमाल 12 मई, 1937 को किंग जॉर्ज षष्टम और महारानी एलिजाबेथ के राज्याभिषेक के लिए किया गया था। बकिंघम पैलेस ने कहा कि शाही जोड़े ने पारंपरिक वस्तुओं के महत्व को बरकरार रखते हुए पिछले राज्याभिषेकों में इस्तेमाल हुईं ‘चेयर्स ऑफ एस्टेट’और ‘थ्रोन चेयर्स’ को चुना है। इन्हें आवश्यकतानुसार संरक्षित, पुनर्स्थापित और अनुकूलित किया गया है।
‘चेयर्स ऑफ द स्टेट’ का निर्माण 1953 में हुआ
‘चेयर्स ऑफ द स्टेट’ का निर्माण 1953 में किया गया था और उसी साल दो जून को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राज्याभिषेक के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया था। ‘सेंट एडवर्ड्स चेयर’ का निर्माण 700 साल पहले किया गया था और महाराजा एडवर्ड द्वितीय के राज्याभिषेक के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया था। राज्याभिषेक के बाद चार्ल्स इसी गद्दी पर बैठेंगे।
तीन दिन चलेगा समाराेह
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन ( 8 सितंबर, 2022) के बाद ही चार्ल्स को सम्राट का दर्जा मिल गया था, लेकिन अब उन्हें वास्तव में ताज पहनाने की शाही परंपरा अपनाई जाएगी। महारानी एलिजाबेथ का राज्याभिषेक 2 जून 1953 को हुआ था। ब्रिटेन 70 साल बाद एक बार फिर राजतिलक का गवाह बनने जा रहा है।करीब सौ देशों के राष्ट्राध्यक्ष और राजपरिवार इस दौरान एक हजार साल पुरानी पंरपरा के साक्षी बनेंगे। शाही अंदाज वाला यह समारोह तीन दिन तक चलेगा। इसके साथ ही सम्राट चर्च ऑफ इंग्लैंड के मुखिया बन जाते हैं और उन्हें विशेष अधिकार हासिल हो जाते हैं। हालांकि, यह परंपरा अनिवार्य नहीं है। किंग एडवर्ड सप्तम ने राजतिलक के बिना ही गद्दी संभाली थी।
ताज में नहीं होगा कोहिनूर
ऐसी अटकलें लग रही थीं कि महारानी कैमिला किंग चार्ल्स की दादी यानी क्वीन मदर का मुकुट पहन सकती हैं, जिसमें कोहिनूर हीरा जड़ा है। लेकिन बकिंघम पैलेस ने 14 फरवरी को ही स्पष्ट कर दिया था कि इस मौके के लिए क्वीन मैरी का मुकुट बदला गया है। यह परंपरा इस मायने में भी काफी अहम है कि किंग चार्ल्स न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा समेत 15 देशों के सम्राट बन जाएंगे।
चार टन की बग्घी में बैठकर पहुंचेंगे चार्ल्स
किंग चार्ल्स और महारानी कैमिला घोड़े से चलने वाली बग्घी में बैठकर वेस्टमिंस्टर एबे पहुंचेंगे। इस बग्घी में बिजली से चलने वाली खिड़कियां और एयर कंडीशन की सुविधा है। डायमंड जुबली स्टेट कोच में बैठकर जाएंगे। इस बग्घी का सबसे पहले इस्तेमाल 2014 में किया गया था। ताजपोशी के बाद सम्राट चार्ल्स और महारानी कैमिला गोल्ड स्टेट कोच में बैठकर राजमहल लौटेंगे, जो कि 1830 के बाद से हर राज्याभिषेक में इस्तेमाल होती रही है। चार टन की यह बग्घी 1767 से शाही परिवार के पास है। 1953 में महारानी एलिजाबेथ के राज्याभिषेक समारोह की तरह ही इस बार भी आयोजन का सीधा प्रसारण किया जाएगा। वर्ष 1066 से ही राज्याभिषेक समारोह का आयोजन वेस्टमिंस्टर एबे में ही किया जा रहा है।
700 साल पुरानी कुर्सी, पवित्र तेल से अभिषेक, थामेंगे राजदंड
शाही चर्च वेस्टमिंस्टर एबे में किंग चार्ल्स 700 साल पुरानी कुर्सी के बगल में खड़े होंगे। केंटरबरी के आर्कबिशप 'ईश्वर सम्राट की रक्षा करें' का उद्घोष करेंगे। चार्ल्स कानून और चर्च ऑफ इंग्लैंड को कायम रखने की शपथ लेंगे। फिर राजतिलक कुर्सी पर बैठेंगे। आर्कबिशप उनके हाथों और सिर पर पवित्र तेल से अभिषेक करेंगे। सम्राट को धार्मिक और नैतिक अधिकारों का प्रतीक एक शाही गोला और राजदंड प्रदान किया जाएगा। अंत में उनके सिर पर सेंट एडवर्ड का ताज रखा जाएगा। यही प्रक्रिया महारानी कैमिला के राज्याभिषेक में भी अपनाई जाएगी। इसके बाद सम्राट ताजपोशी की कुर्सी से उठकर सिंहासन पर बैठेंगे।
पहली बार बौद्ध-हिंदू धर्मगुरु भी होंगे शामिल
ब्रिटिश राजशाही के इतिहास में पहली बार किसी उत्तराधिकारी को राज्याभिषेक के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ा है। पहला मौका होगा...जब राज्याभिषेक के अनुष्ठान में बौद्ध, हिंदू, यहूदी, मुस्लिम और सिख धर्मगुरु भी शामिल होंगे।
धनखड़ कर रहे भारत का प्रतिनिधित्व
भारत की तरफ से आधिकारिक प्रतिनिधि के तौर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राज्याभिषेक समारोह में मौजूद रहेंगे। वह पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ सहित शुक्रवार को लंदन पहुंच गए हैं। उपराष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि लंदन में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
सोनम कपूर और मुंबई के दो डिब्बावाला को भी आमंत्रण
भारत की तरफ से आधिकारिक प्रतिनिधि के तौर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राज्याभिषेक समारोह में शामिल हो रहे हैं। इनके अलावा सोनम कपूर और मुंबई के दो डिब्बावाला को भी समारोह में आमंत्रित किया गया है। भारतीय मूल की ब्रिटिश शेफ मंजू मल्ही को भी न्योता मिला है जो उन कुछ लोगों में शुमार हैं, जिन्हें ब्रिटिश एंपायर मेडल से सम्मानित किया गया है।