WASHINGTON. बीते कई महीनों से रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है। अब अमेरिका ने बड़ी बात कही है। अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि भारत के पीएम नरेंद्र मोदी चाहें तो व्लादिमीर पुतिन को युद्ध रोकने के लिए मना सकते हैं। अमेरिका ने पीएम मोदी की कोशिशों की भी तारीफ की। अमेरिका की तरफ से ये बयान ऐसे समय आया है, जब 2 दिन पहले ही भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल 2 दिन के रूस दौरे से लौटे। डोभाल ने इस दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से लंबी चर्चा भी की थी।
अमेरिका ने ये कहा
व्हाइट हाउस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी 10 फरवरी को जर्नलिस्ट्स से बात कर रहे थे। इस दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए पीएम मोदी की मध्यस्थता को लेकर सवाल हुआ। इस पर किर्बी ने कहा, 'मुझे लगता है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन के पास युद्ध रोकने के लिए अभी भी समय है। युद्ध को रोकने के लिए पीएम मोदी द्वारा उठाए गए कदमों का हम समर्थन करेंगे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को युद्ध रोकने के लिए मना सकते हैं। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध पर बोलना चाहें तो हम उन्हें ये कोशिश करने देंगे। अमेरिका पीएम मोदी के प्रयासों का स्वागत करेगा।'
मानवीय संकट को रोकने के लिए पश्चिमी देशों ने लगाए बैन
किर्बी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी आड़े हाथों लिया। कहा कि इस मानवीय संकट को रोकने के लिए अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कई बैन लगाए हैं, ताकि मानवता को बचाया जा सके। अमेरिका की यही कोशिश है कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए रूस को रोका जाए। आज यूक्रेन में आम लोगों के साथ जो भी बुरा हो रहा है, उसके लिए जिम्मेदार सिर्फ एक ही व्यक्ति है और वो पुतिन हैं। वो अभी भी युद्ध को रोक सकते हैं, लेकिन युद्ध को रोकने की बजाय रूस क्रूज मिसाइलें दाग रहा है।
मोदी ने कहा था- आज युद्ध का युग नहीं
उज्बेकिस्तान के समरकंद में सितंबर 2022 में पुतिन के साथ बातचीत के दौरान मोदी ने कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है। इसी तरह अक्टूबर 2022 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जैपसोरिजिया परमाणु संयंत्र के पास रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई बढ़ने पर भारत को मध्यस्थता करने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा था, 'इस समय, संघर्ष अभी भी गर्म है, युद्ध को लेकर जुनून अभी भी उच्च हैं। ऐसे समय लोगों के लिए तार्किक बातों को आसानी से सुनना आसान नहीं है। लेकिन मैं कह सकता हूं कि अगर हम अपना पक्ष लेते हैं, अगर हम अपने विचारों को आवाज देते हैं तो मुझे नहीं लगता है कि हमारी बातों की अवहेलना करेंगे।