नई दिल्ली. भारत का पड़ोसी श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा है। श्रीलंका के ऊपर इतना कर्ज हो गया है कि वो 'दिवालिया' होने की कगार पर आ गया है। आर्थिक संकट की वजह से वहां महंगाई आसमान छू रही है। श्रीलंका की इस हालत के पीछे बड़ी वजह जो सामने आ रही है, वो है उसका फॉरेन करेंसी रिजर्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार। पिछले साल मार्च में श्रीलंका सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के लिए आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे चीनी और ईंधन जैसी जरूरी चीजों की कमी भी हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जुलाई 2019 में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 अरब डॉलर का था, जो नवंबर 2021 में घटकर 1.6 अरब डॉलर का रह गया।
भारत ने पड़ोसी राज्य श्रीलंका बड़ी आर्थिक सहायता दी है। श्रीलंका के अर्थशास्त्री डब्ल्यूए विजयवर्द्धने ने शनिवार को भारत का धन्यवाद देते हुए कहा कि ये मदद इस समय बहुत जरुरी थी, लेकिन श्रीलंका में विदेशी मुद्रा संकट केस्थाई समाधान के लिए गोटबाया राजपक्षे सरकार को तत्काल अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से मदद लेने की जरूरत है।
भारत ने दिया 90 करोड़ डॉलर का लोन: भारत ने गुरुवार को श्रीलंका को उसके घटते विदेशी मुद्रा भंडार और खाद्य आयात के लिए 90 करोड़ डॉलर का लोन देन का ऐलान किया है। श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर अजीत निवार्ड कैब्राल से मुलाकात की, बागले ने गवर्नर के साथ मुलाकात में कहा कि ''बीते हफ्ते रिजर्व बैंक द्वारा दी गई 90 करोड़ डॉलर से अधिक के ऋण सुविधा के बीच भारत की ओर से श्रीलंका को समर्थन का भरोसा दिलाया'' है।
अर्थशास्त्री डब्ल्यूए विजयवर्द्धने ने कहा कि भारत की तत्काल सहायता से श्रीलंकन सरकार को दो महीने की राहत मिल गई है। उन्होंने कहा कि कठिन आर्थिक सुधारों को लागू करने के साथ इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए IMF से एक 'bailout' की जरुरत है। ''भारत के हस्तक्षेप से श्रीलंका को मदद मिली है, लेकिन वे हमें संकट से बाहर नहीं निकाल सकते। हमें भारत से मिली मदद का सम्मान करते हुए आईएमएफ से मदद लेने की आवश्यकता है।''