ANKARA. भूकंप से तुर्किए-सीरिया में जमकर तबाही हुई है। दोनों देशों में मरने वालों का आंकड़ा 7826 तक पहुंच गया है। तुर्किए सरकार ने 3 महीने की इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है। तुर्किए में भूकंप से करीब 6000 इमारतें तबाह हो गईं, जबकि सीरिया में 400 इमारतें पूरी तरह से जमीदोंज हो गईं, जबकि 1220 से ज्यादा इमारतों को नुकसान पहुंचा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) समेत कई एजेंसियों ने जान गंवाने वालों का आंकड़ा 20 हजार तक पहुंचने की बात कही है।
मैक्सिको के रेस्क्यू डॉग्स भी मदद कर रहे
भूकंप में तुर्किए की ऐतिहासिक मस्जिद भी तबाह हो गई। तुर्किए के मालाटया शहर में स्थित यह ऐतिहासिक येनी कैमी मस्जिद खंडहर हो गई। यह मस्जिद 100 साल से ज्यादा पुरानी थी। वहीं, मैक्सिको के रेस्क्यू डॉग तुर्किए में फैले मलबे में इंसानों की तलाश में मदद कर रहे हैं। मैक्सिको अपने ट्रेंड खोजी कुत्तों के लिए जाना जाता है। मैक्सिको में अक्सर इन डॉग्स का इस्तेमाल रेस्क्यू ऑपरेशन में किया जाता है। मैक्सिको ने 16 कुत्तों की टीम तुर्किए भेजी है।
मलबे के नीचे पैदा हुई बच्ची, जिंदा निकाली गई
सीरिया में मलबे के नीचे फंसी एक गर्भवती महिला ने नवजात को जन्म दिया। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, 34 साल खलील अल शमी ने बताया कि 6 फरवरी को सीरिया के जिंदेरेस शहर में भूकंप के चलते उनके भाई का घर भी तबाह हो गया। पूरी इमारत मलबे के ढेर में तब्दील हो गई थी। वे अपने भाई और अन्य परिजन को तलाशने के लिए मलबे की खुदाई कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने अपनी भाभी की गर्भनाल से एक नवजात बच्ची को जुड़ा देखा। उन्होंने तुरंत गर्भनाल काट दी। बच्ची रोने लगी। उसे बाहर निकाला। मलबा को पूरी तरह से हटाया तो पता चला कि बच्ची की मां मर चुकी है। बच्ची अभी अस्पताल में है और सुरक्षित है। खलील के अनुसार, उनकी भाभी गर्भवती थीं और एक-दो दिन बाद वह बच्चे को जन्म देने वाली थीं, लेकिन भूकंप आने के बाद सदमे के चलते उन्होंने मलबे के अंदर ही बच्ची को जन्म दे दिया। करीब 30 घंटे बाद बच्ची को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
बर्फबारी और खराब मौसम रेस्क्यू में चुनौती
तुर्की में बर्फबारी भी जारी है, ऐसे में यहां रेस्क्यू अभियान में काफी दिक्कत हो रही है। इतना ही नहीं, खराब मौसम के चलते हेलिकॉप्टर की भी लैंडिंग नहीं हो पा रही है। ऐसे में तमाम मदद प्रभावित इलाकों में सड़क के रास्तों से पहुंच रही है। भूकंप से तुर्की-सीरिया कॉरिडोर भी तबाह हो गया है। ऐसे में सड़क के रास्ते सीरिया तक मदद नहीं पहुंच पा रही है। वहीं, WHO ने तुर्की और सीरिया में 20 हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका जताई है। दोनों देशों में 2.3 करोड़ लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं।
तुर्किए में सरकारी इमारतों को शेल्टर होम बनाया गया
तुर्किए में 3 महीने तक इमरजेंसी का ऐलान किया गया है। यहां सभी स्कूलों को 13 फरवरी तक बंद कर दिया गया है। इतना ही नहीं, सभी सरकारी इमारतों को शेल्टर होम बनाया गया है। राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन ने बताया कि अब तक 70 देश और 14 अंतरराष्ट्रीय संगठन मदद के लिए आगे आए हैं। यह तुर्की ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ी आपदा है। देश में 10,000 कंटेनर को शेल्टर बनाने की तैयारी की गई है.
तुर्किए में 6 फरवरी को आया था 7.8 तीव्रता का भूकंप
तुर्किए में 6 फरवरी सुबह 04:17 बजे भूकंप आया था। इसका एपी सेंटर जमीन से 17.9 किलोमीटर अंदर था। भूकंप का केंद्र गाजियांटेप के पास था। यह सीरिया बॉर्डर से 90 किमी दूर है। ऐसे में सीरिया के कई शहरों में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए। यह तुर्किए में 100 साल में सबसे बड़ा भूकंप बताया जा रहा है। US Geological Survey के मुताबिक, भूकंप के बाद 78 झटके (आफ्टर शॉक्स) आए। इनमें से एक झटका 7.5 तीव्रता का था, जबकि तीन झटके 6.0 तीव्रता से ज्यादा थे।