बोल हरि बोल : अनजाने डर से टेंशन में कई साहब... मैडम की ढील पोल और खाकी वाले साहब सोम रस में डूबे

गणेश उत्सव की हर्ष की बेला में अफसरशाही टेंशन में है। मसला, ऐसा ​है कि अपर मुख्य सचिव स्तर के कुछ अफसर सरकार के निशाने पर हैं। ऐसे में अधिकारियों को अनजाना सा भय सता रहा है। ये डर प्रदेश की सबसे बड़ी लूप लाईन पोस्टिंग का है।

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Harish Divekar
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बोल हरि बोल

सर्वविघ्ननाशाय सर्व कल्याण हेतवे, 
पार्वती प्रिय पुत्राय गणेशाय नमो नमः॥

सभी विघ्न हरने वाले, सबका कल्याण करने वाले, मां पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी को नमन। वे प्रथम पूज्य हैं। विद्या-बुद्धि के दाता हैं। अज्ञान का अंधकार दूर करने वाले हैं। वे गणाधीश हैं। 

गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरित मानस के मंगलाचरण में लिखते हैं, 
जो सुमिरत सिधि होय गणनायक करिबरूबदन, 
करहु अनुग्रह सोई बुद्धिसासी शुभ गुन सदन।

इसलिए आज के बोल हरि बोल की भूमिका सिर्फ गणेश जी को समर्पित करता हूं। प्रभु से बस इतनी अरज है कि अज्ञानियों को ज्ञान दें, भ्रष्टों को सद्बुद्धि दें। दुष्टों को सजा दें, मानवता पर अपनी कृपा बरसाते रहें। 

अब रुख करते हैं, बोल हरि बोल का...। तो नीचे उतर आईए और रोचक किस्सों का आनंद लीजिए। 

गर्भकाल …

मोहन यादव सरकार के नौ माह और आपका आंकलन…

कैसी रही सरकार की दशा और दिशा…

आप भी बताएं मोहन कौन सी तान बजाएं…. 

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अपर मुख्य सचिव में ये डर कैसा...

गणेश उत्सव की हर्ष की बेला में अफसरशाही टेंशन में है। मसला, ऐसा ​है कि अपर मुख्य सचिव स्तर के कुछ अफसर सरकार के निशाने पर हैं। ऐसे में अधिकारियों को अनजाना सा भय सता रहा है। ये डर प्रदेश की सबसे बड़ी लूप लाईन पोस्टिंग का है।

दरअसल, हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद सरकार ने आनन फानन राजस्व मंडल में धड़ाधड़ पोस्टिंग की हैं। इसमें दो प्रमुख सचिव और एक सचिव को पोस्ट किया है, लेकिन अभी भी राजस्व मंडल के अध्यक्ष का पद खाली है। इस पद पर अपर मुख्य सचिव स्तर के अफसर को पदस्थ किया जाना है। हालांकि सरकार अभी प्रभार देकर काम चला रही है, लेकिन जब तक यह पद भर नहीं जाता, तब तक अपर मुख्य सचिव स्तर के अफसर टेंशन में हैं। उन्हें लग रहा है कि कहीं सरकार की नजर ना पड़ जाए। अब ये साहब लोग कौन हैं, इसके लिए आप को थोड़ी सी मेहनत करना होगी। हम तो यही कहेंगे, गणेश जी सब पर अपनी कृपा बनाए रखें। 

मैडम पर आन पड़ा विघ्न 

लो प्रोफाइल में रहने वाली एक महिला आईएएस परेशानी में​ घिरती नजर आ रही हैं। मैडम की वर्किंग इतनी ढीली ढाली है कि उसके चक्कर में उन पर विभागीय जांच तक बैठ गई है। मामला यहीं नहीं थमा... अब उन पर सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाने की भी जांच शुरू होने के आसार हैं। मैडम ने जड़ी बूटी वाले विभाग में रहते हुए डॉक्टरों के फर्जी भुगतान करवा दिए थे, जो करोड़ों में निकले हैं। मैडम के विभाग से जाने के बाद इसका खुलासा हुआ है। अब देखना है कि मैडम इस मामले से कैसे बच पाती हैं।  

तुलसीदास जी का एक दोहा आज बरबस याद आ रहा है। जिसमें वे कहते हैं, 
मुखिया मुखु सो चाहिए खान पान कहुं एक 
पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित बिबेक।।

अर्था​त मुखिया मुख के समान होना चाहिए, जो खान-पान तो अकेला करता है, लेकिन सारपूर्वक सब अंगों का पालन-पोषण करता है| अब देखिए न, प्रदेश के कानून की जिम्मेदारी संभालने वाले इसके उलट चल रहे हैं। हमारी खाकी भाई- भतीजावाद के साथ अब जातिवाद में उलझकर रह गई है। पुलिस मुख्यालय के आला अफसर अपने जाति भाई को प्राइम पोस्टिंग में सेट कराने में जुट गए हैं।

इसके लिए हर स्तर पर लॉबिंग की जा रही है। इतना ही नहीं, पहले से अपने जाति भाइयों को जो पोस्टिंग दे रखी है, उनकी हर गलती पर पर्दा डालकर खुले आम संरक्षण देने की बात आ रही है। इसे लेकर दूसरे अफसरों में भारी नाराजगी है। मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक जा पहुंचा है तो वहीं अफसरों के सोशल मीडिया पर भी इस बात की खासी चर्चा है। 

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पार्टी ऑल नाइट...

पुलिस मुख्यालय से लेकर मंत्रालय तक, पार्टीबाज एडिशनल एसपी की खासी चर्चा है। ये साहब देहात जिले में पदस्थ हैं। सूरज अस्त और साहब मस्त वाली कहावत इन पर खूब फिट बैठती है। मजे की बात तो ये है कि देहात जिले के कप्तान साहब भी एडिशनल एसपी के साथ कदमताल करते नजर आते हैं। देहात छोटा होने के कारण वसूली कम हो रही है तो अब थानों की पोस्टिंग और सिपाही हवालदारों से उगाही चालू है। मामला ऊपर तक जा पहुंचा है, लेकिन हाय रे जातिवाद, कप्तान साहब के जाति वाले पुलिस मुख्यालय में बड़े ओहदे पर बैठे हैं। तो फिर क्या सैंय्या भए कोतवाल… वाली कहावत भी यहां चरितार्थ हो रही है। हम तो यही कहेंगे कि गजानन इन्हें सद्बुद्धि दें...

यहां भी पंडितजी कर गए खेला

देशभर में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच को लेकर चर्चा है कि उन्होंने पद पर रहते हुए दूसरी संस्थाओं से लाभ लिया। मामला गरमाने पर उनके इस्तीफे की मांग होने लगी है। ऐसा ही कुछ मामला एमपी में हो गया, यहां सुशासन लाने वाली संस्था में मु​खिया रहे पंडितजी बड़ा खेला कर गए। संघ की सिफारिश से पंडितजी यहां पदस्थ हुए थे।

पंडितजी राज्य सरकार से सारे वेतन भत्ते और सुविधाओं का लाभ लेते रहे और राष्ट्रीय स्तर की संस्था में भी जमे रहे। फिर वहां से भी वो सारी सुविधाएं लेते रहे। मामले में शिकायत भी हुई, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री को ये कहकर चुप करवा दिया गया कि संघ ने इन्हें भेजा है, इसलिए इस मामले को दबा दो। मामला बिगड़ने पर पंडितजी धीरे से खिसक लिए, लेकिन जाते- जाते सरकार को लाखों रुपए का चूना लगा गए।

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मैडम हैं कि मानती ही नहीं...

सूबे में एक मैडम फिर चर्चाओं में हैं। इनकी भर्ती से लेकर तमाम कामों पर सवाल उठते रहे, लेकिन मजाल है कि उनकी कुर्सी पर आंच आए, लेकिन फिर जब मैडम ने अति कर दी तो उनकी विदाई हो ही गई। दरअसल, मैडम की कई मामलों में जांच चल रही है। आरोप है कि वे जांच में सहयोग करने के बजाय उलटे सवाल- जवाब कर रही थीं।

लिहाजा, पहले तो उन्हें समझाइश दी गई, पर जब बात नहीं बनी तो उनकी विदाई कर दी गई। जलने वाले तो यह भी कहते हैं कि मैडम का रसूख ऊपर तक था। यही वजह रही कि आरटीआई में उनके खिलाफ तमाम खुलासे, पुलिस थाने में केस, अदालत में जिरह होने के बाद भी वे कुर्सी पर जमीं थीं। आपको बता दें कि इन मैडम के जिम्मे ट्रेनिंग और नौकरी देने जैसे काम थे। समझ गए न... हम किसकी बात कर रहे हैं। 

मंत्रीजी और रील का फितूर 

यूं तो आज के डिजिटल युग में हर किसी को रील और फोटो का फितूर चढ़ा है, लेकिन यहां ज्यादा चर्चा मंत्रीजी की है। वे मौके पर खूब चौका मार रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि वे बाकायदा पूरा मामला पुलिस तक ले जाते हैं। चाहे बात औचक निरीक्षण की हो या पुलिस चैकिंग की… और फिर चाहे हाईवे पर चलते कारकेड की। मंत्रीजी अटेंशन के लिए पूरे जतन करते हैं। अब हाल ही में उन्होंने हाईवे पर बेहद संजीदगी दिखाई और बाकायदा रील बनवाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करा दी। नेतानगरी में मंत्रीजी की खूब चर्चा है।

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