Ambikapur।हसदेव अरण्य में उत्खनन के विरोध में चल रहे आंदोलन को अब सरगुजा कांग्रेस का साथ मिल गया है।सरगुजा कांग्रेस की टीम कल आंदोलन स्थल पर जाएगी साथ ही जंगल के भीतर उस जगह भी पहुँचेगी जहां ग्रामीण पेड़ नहीं कटने देने के लिए अडिग बैठे हुए हैं।इस मामले ने हालिया दो दिनों से तब ज़्यादा गंभीर रुख़ ले लिया जबकि पेड़ काटने के लिए पुलिस की बेहद बड़ी संख्या में मौजूदगी के साथ प्रशासनिक दल पहुँच गया, ग्रामीणों ने जंगल के भीतर उस जगह मोर्चा सम्हाल लिया जहां पेड़ काटने की क़वायद चल रही थी।हालाँकि देर रात जबकि ग्रामीण मौक़े पर डटे रहे तो पुलिस और प्रशासनिक दल लौट गया।
ज़िला पंचायत के बाद अब सरगुजा कांग्रेस भी आई साथ
हसदेव अरण्य पर उत्खनन को लेकर बीते 48 घंटों में हुई प्रशासनिक हड़बड़ी ने मामले को और तूल दे दिया है। चार दिन पहले ज़िला पंचायत सरगुजा ने कलेक्टर संजीव झा को पारित प्रस्ताव सौंपा था जिसमें दूबारा विस्तृत सूचना के साथ पारदर्शी तरीक़े से ग्रामसभा कराए जाने की बात लिखी गई थी। लेकिन इसके विपरीत कल जबकि पेड़ कटाई के लिए पुलिस के बेहद बड़े दस्ते के साथ जब टीम पहुँच गई तो इस पर नाराज़गी बढ़ गई। ज़िला पंचायत उपाध्यक्ष आदित्येश्वर ने फिर से कलेक्टर को पत्र लिखकर आग्रह किया कि, ज़िला पंचायत का पारित प्रस्ताव आप तक पहुँच चुका है और पेड़ कटाई की खबरें हैं इसे तत्काल रोकना चाहिए। आदित्येश्वर ने पत्र में एक जगह लिखा था
“यह कार्यवाही अनैतिक है कलेक्टर साहब”
इस पत्र के बाद अब सरगुजा कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। सरगुजा कांग्रेस की इस बैठक में हसदेव अरण्य पर आदिवासियों के आंदोलन को लेकर विस्तार से चर्चा हुई और वनवासियों की सहमति के बिना परसा ईस्ट और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक के लिए की जा रही वनों की कटाई के विरोध की रणनीति तय की गई।इस बैठक में मौजूद मेयर डॉ अजय तिर्की ने यह कहा कि विनाश की क़ीमत पर विकास मंज़ूर नहीं है।यदि बेहद आवश्यक हो तो भूमिगत खदान के माध्यम से कोयला निकाला जाना चाहिए।औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने बैठक में यह कहते हुए सरगुजा कांग्रेस की रणनीति तय कर दी
“राहुल गांधी की बात हमारे लिए लक्ष्मण रेखा है। गाँव वालों की मर्ज़ी के बिना हसदेव अरण्य क्षेत्र में एक भी पेड़ कटने नहीं देंगे। ज़िला पंचायत ने खनन प्रभावित गाँव में ग्राम सभा बुलाने का प्रस्ताव पारित किया है। ग्राम सभा होने तक वहाँ कोई भी कार्यवाही नहीं होना चाहिए”
लंबी खामोशी ही रहती पर राहुल की बात ने तोड़ दी खामोशी
राहुल गांधी जबकि हार्वर्ड विश्वविद्यालय के दौरे पर थे तो इंडिया एट 70 के कार्यक्रम में हसदेव अरण्य पर एक तीखे सवाल जिसमें उनसे पूछा गया था कि पहले आपने कहा था खनन नहीं होगा आदिवासियों को नहीं हटाया जाएगा उस पर अब आपकी ही सरकार ने उत्खनन की अनुमति दे दी है, तो राहुल गांधी ने दृढ़ शब्दों में कहा था
मैं इस उत्खनन के खिलाफ हूँ, और कांग्रेस के भीतर इस मसले पर कुछ कर रहा हूँ जल्दी ही आपको छत्तीसगढ़ में इसका नतीजा दिख जाएगा
कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के बाद दूसरे सबसे शीर्षस्थ नेता राहुल गांधी के इस बयान के बाद ही खनन प्रभावित सरगुजा में कांग्रेस को समझ आ गया कि, आदिवासियों के साथ हर सूरत में खड़े होना है, और वही हुआ भी है।सरगुजा कांग्रेस कल हसदेव अरण्य में आंदोलन स्थल पर पहुँच रही है और आदिवासियों को समर्थन देगी।