Raipur,18 अप्रैल 2022। केंद्र से राशि के मसले पर मुख्यमंत्री बघेल के द्वारा लगाए आरोप के बाद सूबे की सियासत में गरमाहट आ गई है। मुख्यमंत्री बघेल केंद्र पर विभिन्न मदों की राशि नहीं देने का लगातार आरोप लगाते रहे हैं, साथ ही छत्तीसगढ़ के भाजपा सांसदों पर दिल्ली में मौन साधने की बात भी कह चुके हैं।इन आरोपो के दृष्टिगत रायपुर सांसद सुनील सोनी आँकड़ों के साथ प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर दावा किया कि राज्य सरकार केवल झूठे आरोप लगा रही है। सांसद सुनील सोनी की पीसी के बाद शाम प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ल ने सहयोगी प्रवक्ताओं के साथ प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर सांसद सुनील सोनी के आरोप के जवाब में केंद्र से लंबित राशि का आँकड़ा जारी कर दिया।
दोपहर को एकात्म परिसर में भाजपा सांसद सुनील सोनी ने पत्रकारों से कहा -
“वर्ष 19-20 में केंद्र ने राज्य को 34 हज़ार करोड़ दिए, जो राज्य के कुल आय का 53 फ़ीसद है,20-21 में 38 हज़ार करोड़ दिए और 21-22 में 44 हज़ार करोड़ दिए साथ ही अब 44573 करोड़ की राशि मिलनी है।इस साल से राज्यों के विकास के लिए 2 लाख 92 हज़ार करोड़ की राशि पूँजीगत व्यय के लिए आबंटित है जिसमें से 8 हज़ार करोड़ का अतिरिक्त लाभ छत्तीसगढ़ को मिलने जा रहा है।पहले छत्तीसगढ़ को करो की हिस्सेदारी के रुप में केवल 32 फ़ीसदी हिस्सा मिलता था अब 42 फीसदी हिस्सा मिल रहा है।केंद्र से मिलने वाली ग्रांट में प्रतिवर्ष 9 फ़ीसदी की वृद्धि है, छत्तीसगढ़ को केंद्र से 178 प्रतिशत ज़्यादा राशि मिल रही है।”
सासंद सोनी ने सवाल उठाया कि, कांग्रेस के सभी नेता लंबित राशि का आँकड़ा अलग अलग क्यों बताते हैं,कोई 20 हज़ार करोड़ कहता है कोई 24 हज़ार करोड़ तो कोई 35 हज़ार करोड़। राज्य सरकार जिस राशि को लेना शेष बता रही है उसमें से 13 हज़ार करोड़ एक्साईज ड्यूटी का लंबित बताया गया है यह किस वस्तु की एक्साईज ड्यूटी है।
इस पत्रकार वार्ता के बाद शाम को राजीव भवन में पीसी कर कांग्रेस ने मोर्चा खोला। कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने केंद्र से लेने वाली राशि का आँकड़ा कुछ यूँ बताया -
“राज्य की केंद्र से कुल लेनदारी-राज्य की जीएसटी क्षतिपूर्ति का पैसा 14,000 करोड़ रू. लेना। कोयले की रायल्टी का अतिरिक्त लेबी का 4140 करोड़। सेंट्रल एक्साईज के 13,000 करोड़ रू.। प्रधानमंत्री शहरी आवास का 1500 करोड़ की दो किश्ते बकाया - 3000 करोड़। खाद सब्सिडी का 3631 करोड़ रू.। मनरेगा का भुगतान - 9,000 करोड़। मनरेगा तकनीकी सहायता का लंबित - 350 करोड़। कुल 44121 करोड़। सीआरपीएफ बटालियन खर्च के नाम पर राज्य का 11,000 करोड़ रू. काट दिया। कुल - 55,121 करोड़ रू. लेनदारी है। इस वर्ष से जीएसटी क्षतिपूर्ति देना बंद हो जायेगा इससे राज्य को 5,000 रू. की हानि होगी। अभी सेंट्रल पुल के चावल का हिसाब आना बाकी है।”
कांग्रेस ने पत्रकार वार्ता में कहा कि, संघीय ढाँचे में केंद्र राज्य सरकारों को उनकी आबादी और क्षेत्रफल के अनुपात में राशि जारी करता है, मोदी सरकार कोई नया काम नहीं कर रही है, यह उसका दायित्व है। सवाल केंद्र से लंबित राशि मिलने का है तो उसका जवाब देने के बजाय केंद्र से कितनी राशि राज्य को मिल रही है इसका ब्यौरा दे रहे हैं।पत्रकार वार्ता में सुशील आनंद शुक्ला ने कहा − यदि केंद्र को राज्य को कुछ भी बकाया राशि नहीं देनी है तो मुख्यमंत्री के द्वारा लिए गए आधा दर्जन से अधिक पत्रों के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्री नकार क्यों नहीं रहे कि, राज्य की कोई लेनदारी बकाया नही”