Raipur. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह के बीच जुबानी तकरार देखने को मिली है। दरअसल वन अधिकार पट्टे को लेकर सीएम और पूर्व सीएम आमने सामने हैं। यह जुबानी जंग ट्वीटर में चल रही है। जिसमें सबसे पहले पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने 15 अप्रैल को ट्वीट कर सीएम भूपेश पर निशाना साधा था, जिसके जवाब में 15 अप्रैल को बघेल ने ट्वीट किया। लेकिन आज फिर से वन अधिकार पट्टे को लेकर रमन सिंह छत्तीसगढ़ सरकार ने हमला बोला है। सीएम बघेल ने कहा रमन झूठों के सरताज तो रमन ने आंकड़े पेश किए और पूछा - कौन है सरताज ?
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन के ट्वीट्स
ट्वीट में शायराना अंदाज में सिंह ने कहा है कि झूठ की आयु कुछ ही दिन है, अंत में वह घबराता है जब सत्य सनातन सामने आकर अपना रूप दिखाता है। दाऊ... डंके की चोट पर चुनौती दे रहा हूँ, वन अधिकार पट्टों के इस सत्य से टकराकर दिखाइए, साढ़े 4 सालों के कुशासन ने प्रदेश का जो हाल किया है उसकी सच्चाई से भाग नहीं सकते। आज पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा है कि अब यहां-वहां की बातें करके जनता को बरगलाना मत, सिर्फ इसी मुद्दे पर टिके रहना। यह आंकड़े उसी भारत सरकार के हैं, जिनके पुरुस्कार तो बड़े गौरव से स्वीकार कर लेते हो लेकिन जब वह कड़वी सच्चाई सामने रखते हैं तब उनके आंकड़ों से मुंह छुपा लेते हो।
इससे पहले 15 अप्रैल को पूर्व मुख्यमंत्री ने किया था ट्वीट
डॉ रमन सिंह ने 15 अप्रैल को ट्वीट कर लिखा था कि वन-अधिकार पत्रों की सच्चाई... बीजेपी शासनकाल (2008-2018) में लाभान्वित की संख्या- 4,015,85... प्रतिवर्ष अनुपात- 40,158 पट्टे...देश में स्थान- दूसरा.... दाऊ के कुशासन में लाभान्वित की संख्या - 54,771... प्रतिवर्ष अनुपात - 13,692 पट्टे... देश में स्थान- सातवां
मुख्यमंत्री ने जवाब में बोला- “झूठों के सरताज”
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व सीएम के ट्वीट के जवाब में लिखा है कि आंकड़ों की बाज़ीगरी और लफ़्फाज़ी के हुनर से 15 साल प्रदेश को ठगने के वाले डियर “झूठों के सरताज”! वन अधिकार पत्रों की वास्तविकता क्या है, मैं आपको बताता हूं: आपने हजारों पात्र लोगों के आवेदन रद्दी की टोकरी में डाल दिए थे, हमने उन्हें पट्टे दिए। जो काम 5 साल में करना था, उसे आपने 15 सालों में भी नहीं किया। आपने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार देने में हाथ खींच लिए, हमने 3,934 पत्रकों में 17 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि दी। हम पट्टा और जमीन बांटने के मामले में देश में नंबर वन है, आंखें धोकर देख लीजिए। आपने नगरीय क्षेत्रों में वन अधिकार दिए ही नहीं, हमने दिए हैं। हमने रिजर्व फारेस्ट में भी वन अधिकार दिए। आपने अपनी तीन पारियों में जितने पट्टे बांटे, तुलनात्मक रूप से हमारे सवा चार साल के आंकड़े कहीं ज्यादा बेहतर हैं। थोड़े समय में ही हमारे पास आवंटन के बड़े आंकड़ों का होना इस बात का सबूत है कि आपने 15 साल तक आदिवासियों के साथ बेईमानी की। आपको तो हमारे लिए कोई काम छोड़ना ही नहीं था।